नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच फिर से तनातनी शुरू हो गई है. असोला भट्टी माइंस में वृक्षारोपण अभियान के पूर्व-निर्धारित संयुक्त कार्यक्रम में केजरीवाल शामिल नहीं हुए हैं.
एलजी कार्यालय के सूत्रों ने बताया, ‘दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के साथ शुक्रवार को निर्धारित साप्ताहिक बैठक में खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अनुपस्थित रहने के बाद, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को फिर से खराब स्वास्थ्य के कारण असोला भट्टी माइंस में वृक्षारोपण के पूर्व-निर्धारित संयुक्त कार्यक्रम में भाग नहीं लिया.’
‘वन महोत्सव’ के अनुरूप उपराज्यपाल एवं मुख्यमंत्री द्वारा संयुक्त रूप से शामिल होना था.
इस संबंध में आपसी निर्णय 4 जुलाई, 2022 को लिया गया था. कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में कुल 1,00,000 पेड़ लगाए गए हैं, और उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री को रविवार एक साथ इसका शुभारंभ करना था.
एलजी के सूत्रों ने कहा, ‘कोई भी आश्चर्यचकित रह जाएगा कि क्या स्पष्ट रूप से अवैध आबकारी नीति की सीबीआई जांच की सिफारिश करने से मुख्यमंत्री का ध्यान दिल्ली की पर्यावरण संबंधी चिंताओं से हट जाएगा.’
इस बीच, दिल्ली सरकार के सूत्रों ने दावा किया है कि चूंकि सरकारी कार्यक्रम को एक राजनीतिक भाजपा कार्यक्रम में बदल दिया गया था. इसलिए मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों ने कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का फैसला किया क्योंकि दिल्ली पुलिस ने कार्यक्रम से पहले वन महोत्सव के मंच पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया था.
दिल्ली सरकार के सूत्रों ने कहा, ‘दिल्ली पुलिस ने कार्यक्रम से पहले वन महोत्सव के मंच को जबरदस्ती अपने कब्जे में ले लिया. यह दिल्ली सरकार का कार्यक्रम है, जिसमें सीएम और एलजी को संयुक्त रूप से भाग लेना था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पोस्टर लगाए गए और सरकारी कार्यक्रम को भाजपा के राजनीतिक कार्यक्रम में बदल दिया गया. यही कारण है कि दिल्ली के सीएम और मंत्रियों ने इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का फैसला किया.’
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के मुख्यमंत्री शुक्रवार को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा बुलाई गई साप्ताहिक बैठक में शामिल नहीं हुए थे.
आम आदमी पार्टी के सूत्रों ने आरोप लगाया कि एलजी ने 8 जुलाई को इसी तरह की बैठक को ‘स्किप’ किया था.
विशेष रूप से, सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली सरकार की विवादास्पद नई आबकारी नीति के कथित उल्लंघनों की सीबीआई जांच की भी सिफारिश की, जिसमें उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा ‘शराब लाइसेंसधारियों को निविदा के बाद अनुचित लाभ प्रदान करने’ का आरोप शामिल हैं.
एलजी कार्यालय ने कहा कि सिसोदिया ने निविदाएं दिए जाने के बाद भी शराब लाइसेंसधारियों को ‘अनुचित वित्तीय लाभ’ दिया और इस तरह राजकोष को भारी नुकसान हुआ.
2021 में कोविड महामारी की घातक डेल्टा लहर के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली मंत्रिमंडल द्वारा आबकारी नीति पारित की गई थी.
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