scorecardresearch
Friday, 15 November, 2024
होमराजनीति‘शांत रहें, आगे बढ़ें’- मंदिर-मस्जिद विवादों को खत्म करने के RSS प्रमुख के आह्वान के बाद संगठनों को भेजा गया संदेश

‘शांत रहें, आगे बढ़ें’- मंदिर-मस्जिद विवादों को खत्म करने के RSS प्रमुख के आह्वान के बाद संगठनों को भेजा गया संदेश

संघ परिवार से जुड़े संगठनों में से एक विहिप आक्रमणकारियों द्वारा हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किए जाने संबंधी डेटा और ऐतिहासिक साक्ष्य जुटाने में लगा है.

Text Size:

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विभिन्न सहयोगी संगठनों को ‘शांत रहने और आगे बढ़ने’ का संदेश भेजा गया है जो सदियों पहले मुस्लिम आक्रामणकारियों की तरफ से ध्वस्त किए गए मंदिरों पर फिर से ‘दावा जताने और उनके पुनर्निर्माण’ पर जोर दे रहे हैं या फिर इसके लिए कोई अभियान चला रहे हैं. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.

संघ के सूत्रों ने बताया, यह संदेश आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस संबोधन के एक दिन बाद भेजा गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि किसी मंदिर आंदोलन या हर मस्जिद में एक ‘शिवलिंग’ तलाशने की कोई जरूरत नहीं है. भागवत ने नागपुर में कहा था कि आज के भारत में रहने वाले हिंदू और मुसलमान पुराने संघर्षों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं.

अतीत में ध्वस्त मंदिरों या हिंदू धार्मिक ढांचों से संबंधित कम से कम छह अहम मामले हैं और सभी कोर्ट में विचाराधीन हैं. आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि इनमें वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद से संबंधित मामले शामिल हैं.

संघ परिवार का एक घटक विश्व हिंदू परिषद (विहिप) उन संगठनों में शामिल है जो आक्रमणकारियों द्वारा हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किए जाने संबंधी डेटा और ऐतिहासिक साक्ष्य जुटाने में लगा है.

आरएसएस के आंतरिक सूत्रों ने कहा कि संघ परिवार उन ‘कई स्थानों’ का ब्योरा तलाशने में जुटा था जहां हिंदू स्थलों को मस्जिदों या ईदगाहों में परिवर्तित कर दिया गया था.

हालांकि, आरएसएस ने इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक बयान देने से परहेज ही किया है, सिवाए एक मौके को छोड़कर जब अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने ज्ञानवापी ‘खुलासे’ का जिक्र करते हुए दावा किया था कि सच्चाई सामने आनी चाहिए.

उपरोक्त पदाधिकारी ने कहा कि भागवत के भाषण के साथ ही आरएसएस के सभी सहयोगियों को एक स्पष्ट संदेश भेजा गया है.

उन्होंने कहा, ‘हमें हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सद्भाव की रक्षा करनी है. हम सरसंघचालक जी के निर्देश का इंतजार कर रहे थे. अब जब वह अपनी बात कह चुके हैं, तो हम उनके वचनों का पालन करेंगे. उन्होंने इस मुद्दे पर किसी भी नए आंदोलन को स्पष्ट रूप से हतोत्साहित किया है लेकिन मुसलमानों को हमारी मनोस्थिति और धार्मिक भावनाओं को भी समझना होगा.’

विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने भागवत के बयान पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. आंदोलन जारी रहने को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘मामले अदालत में लंबित हैं. विहिप कहीं भी वादी नहीं है.’

जहां तक बात ज्ञानवापी को लेकर कानूनी लड़ाई की है, तो भागवत ने कहा है कि इस मामले को हिंदुओं और मुसलमानों के बीच संघर्ष के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.

उनका कहना है, ‘एक इतिहास है और कोई इससे इनकार नहीं कर सकता लेकिन इसे मुसलमानों के खिलाफ किसी मामले के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि न तो उन्होंने इतिहास लिखा और न ही हिंदुओं ने. आक्रमणकारियों के जरिए इस्लाम भारत पहुंचा. हिंदुओं की कमर और उनका आत्मविश्वास तोड़ने के लिए उन्होंने (आक्रमणकारियों ने) हजारों मंदिरों को तोड़ दिया और पूरी तरह तहस-नहस कर दिया. इनमें से कुछ मंदिर हिंदुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थे. ज्ञानवापी उनमें से एक है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यहां के मुसलमानों के पूर्वज भी हिंदू थे.’

उन्होंने कहा, ‘हमने कुछ नहीं बोला. जवाब 9 नवंबर 2019 (अयोध्या फैसला) को आया. मेरी राय में, हिंदुओं और मुसलमानों को एक साथ बैठकर इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए था लेकिन कुछ मामलों में बातचीत काम नहीं आती और मामला कोर्ट पहुंच जाता है. हम, हिंदुओं और मुस्लिमों दोनों को, न्यायिक फैसले का सम्मान करना चाहिए और उसे स्वीकार करना चाहिए. हमें फैसले पर सवाल नहीं उठाना चाहिए.’


यह भी पढ़ें: इतिहास और दंतकथाओं से मिल कर बनी ‘सम्राट पृथ्वीराज’ की लुभावनी कहानी


कोई नया ‘आंदोलन’ नहीं?

भागवत के संदेश के बाद, आरएसएस के आला अधिकारियों ने अपने कार्यकर्ताओं और सहयोगी संगठनों को शांत रहने और कोई नया आंदोलन शुरू नहीं करने का निर्देश दिया है.

एक दूसरे वरिष्ठ आरएसएस पदाधिकारी ने कहा, ‘संघ को (बीजेपी) सरकारों से तमाम ऐसे इनपुट मिल रहे थे कि मंदिर आंदोलन कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बन सकते हैं और कट्टरपंथियों को हमारे भाइयों (मुसलमानों) को उकसाने या हिंसा भड़काने का मौका दे सकते हैं.’

पदाधिकारी ने कहा, ‘हम ऐसा नहीं चाहते. उन्होंने जो कहा है हम उसका पालन करेंगे. हमारे संगठन सरसंघचालक जी के बताए रास्ते पर चलने के लिए पूरी तरह अनुशासित हैं.’

हालांकि, संघ के पदाधिकारी ने कहा कि ‘संगठन एक साथ बैठेंगे और हिंदुओं के साथ न्याय के लिए नीतियां बनाएंगे.’

नागपुर में गुरुवार को संघ के कार्यक्रम में भागवत ने कहा था कि उनके संगठन ने राम जन्मभूमि आंदोलन के माध्यम से वह हासिल किया जो लोग चाहते थे.

उन्होंने आगे कहा था, ‘हम और आंदोलन नहीं करना चाहते, लेकिन ये ऐसे मामले हैं जो अनसुलझे हैं और लोगों के दिमाग में बसे हुए हैं. हालांकि…झगड़ा क्यों बढ़ाना है?’

भागवत ने वो विवाद खत्म करने का भी आह्वान किया, जो मस्जिदों और ईदगाहों के परिसरों की जांच या खुदाई के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करते हुए हिन्दुत्ववादी संगठनों के अदालतों का रुख करने से शुरू हुए थे. उन्होंने कहा, ‘हर मस्जिद में शिवलिंग देखने की जरूरत नहीं है. उनकी (मुसलमानों की) इबादत का तरीका अलग है लेकिन वे यहीं के हैं. इनके पूर्वज हिन्दू थे. हम किसी और की पूजा-पद्धति के विरोधी नहीं है.’

संघ प्रमुख ने हिंदुओं और मुसलमानों दोनों से यह अपील भी कि एक-दूसरे से लड़कर ‘विदेशी साजिशों’ का शिकार न बनें.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें : कौन है लॉरेंस बिश्नोई? सलमान खान को धमकी देने वाला अब मूसे वाला की हत्या के लिए चर्चा में है


share & View comments