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Friday, 15 November, 2024
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कैलाश विजयवर्गीय ने खुद को MP के CM रेस से बताया बाहर, कहा- ‘मुख्यमंत्री से बड़ा महामंत्री हूं’

भाजपा के महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जो अब एमपी चुनाव के उम्मीदवार हैं, को पिछले साल बंगाल प्रभारी के पद से हटा दिया गया था. उनका कहना है कि टीएमसी द्वारा उनके खिलाफ दायर किए गए 'झूठे मामलों' के कारण उन्हें हटने के लिए कहा गया था.

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भोपाल: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने खुद को चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर कर दिया है और कहा है कि वह पार्टी में महामन्त्री (राष्ट्रीय महासचिव) हैं, “जो एक मुख्यमंत्री से भी बड़े हैं.”

सोमवार को दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार में, इंदौर-I निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार विजयवर्गीय ने यह भी कहा कि उन्होंने खुद भाजपा नेतृत्व से अनुरोध किया था कि उन्हें पश्चिम बंगाल प्रभारी के पद से हटा दिया जाए क्योंकि इससे उन्हें केवल “अदालतों के चक्कर लगाने” पड़ते हैं. राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार द्वारा उनके खिलाफ “झूठे मामले” दायर किए गए.

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और गृहमंत्री अमित शाह के विश्वासपात्र माने जाने वाले विजयवर्गीय ने पार्टी को बंगाल की राजनीति में अभूतपूर्व ऊंचाई तक पहुंचाया, और बीजेपी ने वामपंथियों और कांग्रेस को उखाड़ फेंका व प्रमुख विपक्ष बन गई.

2021 के बंगाल चुनाव में, जब विजयवर्गीय राज्य प्रभारी थे, तो भाजपा ने 38 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 294 में से 77 सीटें (2016 में जीती गई तीन सीटों से अधिक) जीतीं, जबकि उसने 2019 के आम चुनाव में राज्य 42 लोकसभा सीटों में से 18 सीटें जीती थीं.

हालांकि, 2021 के चुनाव के ठीक बाद, विजयवर्गीय के ऊपर पार्टी कार्यकर्ताओं का ठीक तरह से मैनेजमेंट न करने और नेताओं को दरकिनार करने के आरोप लगाए गए.

अगस्त 2022 में, पार्टी ने उनसे बंगाल का प्रभार वापस ले लिया और उसके बाद उन्हें कोई अन्य संगठनात्मक जिम्मेदारी नहीं दी, हालांकि वे राष्ट्रीय महासचिव बने रहे.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “देखिए, हमने पश्चिम बंगाल में बहुत अच्छा काम किया. इसके लिए हमारी सराहना भी की गई, जिसमें पीएम भी शामिल हैं. लेकिन मेरे खिलाफ इतने झूठे मामले दर्ज किये गये कि अगर मैं बंगाल में रहता तो अदालतों के चक्कर लगा रहा होता. इसलिए मैंने पार्टी से मुझे वहां से हटाने का अनुरोध किया,”  उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ लगभग 30-35 मामले दर्ज थे और उनमें से लगभग आठ से 10 ”हाल ही में समाप्त हुए”. यह पहली बार है कि विजयवर्गीय ने सार्वजनिक रूप से इस बारे में कि उनके पासे से पश्चिम बंगाल का प्रभार क्यों चला गया, अपनी बात रखी है.

उन्होंने कहा, ”बंगाल में (सीएम) ममताजी का रवैया दुश्मन जैसा हो गया है. यह पार्टी की भी सलाह थी कि मुझे वहां नहीं रहना चाहिए.”

जबकि वह भाजपा शासित मध्य प्रदेश में कमजोर भूमिका निभा रहे हैं – विजयवर्गीय राज्य के इंदौर शहर से आते हैं और उन्होंने अपना राजनीतिक करियर यहीं से शुरू किया. उन्हें बिना कोई संगठनात्मक जिम्मेदारी सौंपे आलाकमान ने उन्हें इंदौर- I निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित कर दिया.

एमपी के लिए पार्टी की दूसरी सूची जारी होने के तुरंत बाद सामने आए कई वीडियो में, जहां 17 नवंबर को मतदान होना है, विजयवर्गीय ने अपनी उम्मीदवारी पर आश्चर्य व्यक्त किया.

जब उनसे इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने दिप्रिंट से कहा: “एक व्यक्ति की एक मनःस्थिति होती है. मैं चुनाव लड़ने की मनःस्थिति में नहीं था.”

अटकलें लगाई जा रही हैं कि उन्हें टिकट दिया गया है तो उनके बेटे जो कि इंदौर-3 से मौजूदा बीजेपी विधायक हैं, उन्हें संभवतः टिकट नहीं दिया जाएगा, इस पर टिप्पणी करते हुए विजयवर्गीय ने कहा, “पार्टी द्वारा लिए गए निर्णयों पर सवाल नहीं उठाया जा सकता, चाहे आपको लगे कि वे सही हैं या ग़लत. पार्टी जो भी निर्णय लेगी वह सही है. इसलिए अगर पार्टी ने एक परिवार में दो टिकट नहीं देने का फैसला किया है, तो यह सही है.”

यह पूछे जाने पर कि क्या वह मध्य प्रदेश के लिए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं, विजयवर्गीय ने कहा, “मैं तो मुख्यमंत्री से भी बड़ा मुख्यमंत्री हूं पार्टी का.”

“मैं पार्टी में काफी वरिष्ठ हूं. जो भी मुख्यमंत्री या मंत्री बनेगा वह मुझसे वरिष्ठ नहीं होगा. मेरे बयानों को इस अर्थ में लिया जाना चाहिए कि मैं महामन्त्री हूं और यह भाजपा के भीतर कोई छोटा पद नहीं है. कांग्रेस में कई महामन्त्री हैं, यहां तक कि वे एक-दूसरे को पहचानते भी नहीं. लेकिन जब बीजेपी की बात आती है तो सिर्फ आठ महामंत्री हैं, कोई नौवां महामंत्री नहीं है.”


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‘कोई सत्ता-विरोधी लहर नहीं’

एमपी चुनावों के बारे में बोलते हुए, विजयवर्गीय ने दावा किया कि भाजपा स्पष्ट बहुमत की ओर बढ़ रही है और सीएम शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 150 से 160 सीटें जीतेगी. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि राज्य में लंबे शासन के बावजूद पार्टी किसी भी सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “जब राज्य में (दिसंबर 2018 में) 15 महीने के लिए कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में आई, तो लोगों ने कांग्रेस और भाजपा शासन में अंतर देखा, और इसने किसी भी तरह की सत्ता विरोधी भावना को समाप्त कर दिया जो बीजेपी के खिलाफ हो सकती थी. कांग्रेस ने गरीबों के लिए लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना और यहां तक कि संबल कार्ड योजनी भी बंद कर दी थी. शासन का यह अंतर जो लोगों ने देखा वह हमारे लिए फायदेमंत साबित हुआ.”

उन्होंने कहा, “अगर कांग्रेस सत्ता में नहीं आती तो हमें सत्ता विरोधी लहर महसूस होती, लेकिन अब सत्ता समर्थक लहर महसूस हो रही है.”

जब उनसे पूछा गया कि क्या मध्य प्रदेश के लिए भाजपा की दूसरी सूची में सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने के लिए राज्य के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले विजयवर्गीय के अलावा तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित सात लोकसभा सांसदों के नाम हैं, तो उन्होंने कहा: “हमारे केंद्रीय नेतृत्व ने निर्णय लिए हैं जिसने कांग्रेस को हतप्रभ कर दिया है. कांग्रेस नेताओं को समझ नहीं आ रहा कि वे इसका जवाब कैसे दें.”

विजयवर्गीय ने कहा, “कमलनाथ के बड़े दावों के बावजूद कि कांग्रेस चुनाव से दो महीने पहले अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करेगी, उन्होंने आज तक उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है. बीजेपी के इस कदम का उनके पास कोई जवाब नहीं है. हम जमीन पर हैं जबकि कांग्रेस अभी भी जवाब ढूंढ रही है.”

विजयवर्गीय कार्यकुशलता के लिए जाने जाते हैं

एक कट्टर आरएसएस कार्यकर्ता, इंदौर के पूर्व मेयर और छह बार के विधायक, विजयवर्गीय अपने संगठनात्मक कौशल और दक्षता के लिए जाने जाते हैं.

2014 में, जब विजयवर्गीय एमपी कैबिनेट में मंत्री थे, तो अमित शाह ने उन्हें दिल्ली बुलाया और उसके बाद उस साल विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें हरियाणा का प्रभारी नियुक्त किया. बीजेपी ने जीत हासिल की और राज्य में पहली बार सरकार बनाई.

फिर उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया और बाद में भाजपा का पश्चिम बंगाल प्रभारी बनाया गया.

29 नवंबर, 2018 को, पश्चिम बंगाल में एक महिला द्वारा विजयवर्गीय और दो अन्य भाजपा नेताओं, प्रदीप जोशी और जिष्णु बसु के खिलाफ कथित तौर पर बलात्कार की शिकायत दर्ज की गई थी.

विभिन्न मामलों में अन्य भाजपा नेताओं के साथ, विजयवर्गीय ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और गिरफ्तारी से सुरक्षा मांगी थी. उनके वकील ने अदालत में कहा कि विजयवर्गीय पर मामला दर्ज किया गया था क्योंकि वह पार्टी से संबंधित काम के लिए पश्चिम बंगाल का दौरा कर रहे थे.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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