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Wednesday, 20 November, 2024
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झारखंड विधानसभा चुनाव: जीत करीब देखकर हेमंत सोरेन बोले- आज मेरे लिए संकल्प लेने का दिन है

झारखंड विधानसभा चुनाव में राजद-कांग्रेस-झामुमो गठबंधन को बहुमत हासिल होता दिख रहा है. भाजपा अपने 65 पार के नारे को पूरा नहीं कर सकी.

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नई दिल्ली: झारखंड विधानसभा चुनाव में राजद-कांग्रेस-झामुमो के गठबंधन को बहुमत हासिल हुआ है. भाजपा अपने 65 पार के नारे को पूरा नहीं कर सकी. राष्ट्रीय मुद्दों के दम पर भी भाजपा बहुमत नहीं ला पाई. चुनावी नतीजों में कांग्रेस-झामुमो के गठबंधन को 43, भाजपा को 23, आजसू को 4 और झाविमों को 3 सीटें मिली हैं. वहीं, अन्य को 8 सीटें मिली हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बरहेट और दुमका विधानसभा सीटों पर जीत गए हैं. दुमका सीट पर उन्होंने लुईस मरांडी को करीब 5 हज़ार वोटों से हराया है. बरहेट विधानसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी साइमन मल्टो को 12 हजार से अधिक वोटों से हराया है.

जिस मकसद से बना राज्य उसे पूरा करने का दिन आ गया है

‘मेरा आज का दिन संकल्प लेने का है. यहां के लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने की शपथ लेने का दिन है. जिन उद्देश्यों से इस राज्य का गठन किया गया था उसे पूरा करने का दिन आ गया है. हमने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा. हमारे साथ कांग्रेस, राजद के लोग साथ रहे. मैं इसके लिए लालू जी, गुरूजी, सोनिया जी, प्रियंका गांधी और राहुल जी को बधाई देना चाहता हूं. साथ ही सभी दलों के लोगों को आभार देना चाहूंगा.’ चुनाव परिणाम लगभग अपने पक्ष में आने के बाद हेमंत सोरेन ये बातें प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही.

सोरेन ने कहा, ‘ये जीत हमारे लिए मील का पत्थर साबित होगी. मैं भरोसा दिलाता हूं कि उनकी उम्मीदें नहीं टूटेंगी फिर चाहे जो भी वर्ग और समुदाय हो. चाहे महिला हो या जवान. आगे की रणनीति के बारे में सोचा जाएगा.’

भाजपा के स्टार प्रचारकों के बीच मैं चुनावी मैदान में ‘वन मैन आर्मी’ की तरह उतरा था: हेमंत सोरेन

गौरतलब है कि नतीजों की घोषणा से पहले ही राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव ने हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनने की बधाई दे दी थी. चुनावी कवरेज के दौरान दिप्रिंट से हुई बातचीत में हेमंत सोरेन ने सत्ता में आने के बाद की रणनीति पर बात की थी.

चुनावी रैलियों में आए भाजपा के स्टार प्रचारकों को लेकर वो कहते हैं, ‘भाजपा के लिए नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह और केंद्रीय मंत्री की दौड़ लगवाई गई. हम लोग बिना रुके और बिना थके मैदान में उतरे थे. मेरे लिए मजेदार जंग रही है. वो जितना 10 दिनों में नहीं करते हैं, हम उतना एक दिन में कर देते हैं. मैंने वन मैन आर्मी की तरह काम किया है. हमारे पास स्टार प्रचारकों की फौज नहीं है. हम खुद ही प्रत्याशी भी हैं, प्रचारक भी और कार्यकर्ता भी. एक तरह से ये सौ सुनार की एक लौहार की बात साबित हुई है.’

2014 विधानसभा चुनाव में भी हेमंत बरहेट और दुमका से चुनाव लड़े थे. बरहेट से उन्हें जीत मिली थी और दुमका से वो चुनाव हार गए थे. उन्होंने भाजपा के कैंडिडेट हेमलाल मूर्मू को करीब 23 हजार से वोटों से हराया था. इस बार भी वो बरहेट और दुमका से चुनावी मैदान में उतरे थे. इस बार भी वो दुमका विधानसभा सीट से जीत नहीं सके. बरहेट सीट पर उन्होंने भाजपा उम्मीदवार को हराया है.

राष्ट्रीय मुद्दों पर भाजपा की रणनीति को लेकर उनका मानना है, ‘राष्ट्रीय मुद्दों के लिए लोकसभा चुनाव हो चुके थे. विधानसभा चुनाव लोगों की खुद की समस्याओं को लेकर होते हैं. भाजपा के पास मुद्दे नहीं रहते हैं तो ये लोग राम मंदिर और 370 पर भ्रमित करते हैं.’

रघुवर दास के राजद-कांग्रेस और झामुमो गठबंधन को गठबंधन कहने पर है हेमंत कहते हैं, ‘जब विपक्षी पार्टियां गठबंधन करें तो इनके पेट में दर्द और जब ना करें तो भी इनके पेट में दर्द. खुद ये हर क्षेत्रीय पार्टियों से येन-केन-प्रकारेण करके गठबंधन करके बैठे हैं. इसके लिए ये जितने सरकारी पैसे का दुरुपयोग करते हैं उतना किसी पार्टी ने नहीं किया.’

पिछले कुछ सालों से झारखंड मॉब लिंचिंग को लेकर चर्चा में रहा है. यहां भाजपा के एक शीर्ष नेता मॉब लिंचिंग के अभियुक्तों को जमानत मिलने पर मालाएं पहनाकर स्वागत किया था. इस मुद्दे पर हेमंत आक्रामक होकर कहते हैं, ‘प्रधानमंत्री कहते हैं कि झारखंड लॉन्चिंग पैड हो गया है. हर योजना का लॉन्च यहीं से हो रहा है. मैं सोच रहा था कि कहीं गलती से लिंचिंग पैड तो नहीं बोल गए. भाजपा के कार्यकाल में लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं.’

भाजपा सरकार की सबसे नामी शौचालय योजना और चूहों द्वारा बांध कुतर जाने की बात पर कहते हैं, ‘बिना पानी की व्यवस्था के शौचालय बनवा दिए हैं. मेडिकल कॉलेज में बिल्डिंग के अलावा ना स्टाफ है, ना दवाइयां. ये कैसा मेडिकल कॉलेज है? ये उद्घाटन करके घर भी नहीं पहुंचते कि बांध टूट जाते हैं.’

दिप्रिंट से हुई बातचीत में वो बताते हैं कि सरकार में आते ही सबसे पहले प्राथमिकता पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान 10 हजार आदिवासियों पर चले राजद्रोह के केस और महिला सुरक्षा को दी जाएगी. वो कहते हैं, ‘आप पांच साल तो छोड़िए. ढाई साल बाद ही झारखंड की तस्वीर देखिएगा. हम सिर्फ विज्ञापनों में हंसते चेहरों से ज्यादा जमीन पर हंसते लोगों में यकीन रखते हैं. मैं अपने मेनिफेस्टों के वादों को पूरा करूंगा.’

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