रांची/बोकारो: राजधानी रांची से लेकर इस्पात शहर बोकारो तक होर्डिंग्स पर पीएम नरेंद्र मोदी की बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगी हैं. इन पोस्टर्स को देखकर लगता है कि विधानसभा के नहीं लोकसभा के चुनाव चल रहे हों. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि एक विरोधी लहर चल रही है जो भाजपा को ‘इस बार 65 पार’ के नारे के बीच दिखाई नहीं दे रही है ठीक वैसे ही जैसे हरियाणा विधानसभा चुनाव में नहीं दे रही थी. जहां टिकट वितरण और बागी हुए नेताओं के चलते भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा. लेकिन हरियाणा में चुनावी चेहरे को लेकर भाजपा आश्वस्त थी.
झारखंड में चारों ओर ‘मोदी ने बढ़ाया झारखंड का मान-सम्मान तो किसी और के बारे में क्या सोचना’ पढ़कर लगता है कि पिछले पांच सालों के अपने काम से भाजपा सरकार सतुंष्ट नहीं है. इस मोदी फैक्टर के बिना इस विधानसभा चुनाव में बाजी मारना आसान नहीं है.
महिला मुद्दों, एनआरसी, नेशनल सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल और बेरोजगारी को लेकर देश उबल रहा है, उन मुद्दों को लेकर इन रैलियों में शामिल हो रहे लोगों को कोई सरोकार है या नहीं. इस सिलसिले में दिप्रिंट ने पीएम मोदी की रैली का जायजा लिया.
झारखंड में ‘अबकी बार 65 पार’ पर रैली में सबसे आगे की लाइन में बैठीं एक भाजपा विधायक की पत्नी कहती हैं, ‘हमें राज्य सरकार द्वारा किए गए कामों पर पूरा विश्वास है. मोदी सरकार देश में नंबर वन है. सरकार महिलाओं के लिए खास तौर पर काम कर रही है. सबसे निचले स्तर के लोगों के लिए योजनाएं लागू की जा रही हैं. जैसे शौचालय. पहले हेडिंग्स आती थीं कि सुबह शौच के लिए जाती महिला के साथ दुष्कर्म. मोदी ही पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने महिलाओं की ‘सुरक्षा’ के बारे में सोचा.’
उन्नाव, हैदराबाद और रांची से आ रही गैंगरेप और महिलाओं को जलाने की खबरों के सवाल पर बगल में बैठी महिला ने जवाब दिया, ‘अभी हैदराबाद में चार को ठोका है ना, सरकार काम कर रही है. पहले से ऐसी घटनाएं कम हुई हैं. नंबर कम हुए हैं.’ बता दें कि इस घटना के बाद रांची गैंग रेप पीड़िता के लिए भी ऐसे ही न्याय की मांग उठी थी और मिठाइयां बांटकर पुलिसिया एनकाउंटर की खुशियां मनाई गई थीं.
सिलेंडर के बाद आवास का इंतजार
रैली के दौरान स्टेज से लगातार’ भारत माता की जय’ और ‘जय श्रीराम’ के जोशीले नारों से भीड़ का उत्साह बनाए रखने की कोशिश भी की गई. करीब एक घंटे देरी से आए पीएम मोदी के आते ही महिलाएं कुर्सियों पर चढ़ वीडियो बनाने लगीं. उनमें से एक आदिवासी महिला अनु देवी बताती हैं, ‘गैस सिलेंडर तो मिल गया है. अब आवास योजना का इंतजार कर रहे हैं. आगे वोट करेंगे तो वो भी मिल जाएगा.’
मंच से पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कर्नाटक के उपचुनावों का खास तौर से जिक्र करते हुए कहा,’ ये उपचुनाव कोई आम चुनाव नहीं था. ये देश को तीन संदेश देता है- स्थाई और स्थिर सरकार, विकास के लिए जनता का भाजपा पर भरोसा और कांग्रेस के सत्ता पाने के तरीकों को जनता जनादेश से जवाब देती है.’
पीएम मोदी अपनी हर रैली में झारखंड को 19 साल की बाली उम्र वाला जवान बता रहे हैं. जिसे आगामी पांच सालों में खुद को साबित करना है. उन्होंने कहा कि यही वक्त है जब झारखंड को खास देखभाल की जरूरत है.
राज्य में पांच चरणों में चुनाव हो रहे हैं. दो चरणों के चुनाव हो चुके हैं. 12 दिसंबर को बोकारो समेत 17 विधानसभाओं में मतदान होगा. इस रैली में शामिल होने से पहले वो बरही में एक जनसभा को संबोधित करके आए थे. पिछले पंद्रह दिन में ये उनका तीसरा दौरा है. इधर पीएम मोदी जनता को कांग्रेस से सावधान कर रहे थे तो उधर हजारीबाग में राहुल गांधी रघुवर दास को देश का सबसे भ्रष्ट व्यक्ति बता रहे थे.
विरंची नारायण हैं प्रत्याशी
बोकारो सीट से पूर्व मंत्री समरेश सिंह के बेटे की पत्नी श्वेता सिंह गठबंधन की उम्मीदवार हैं तो भाजपा ने विरंची नारायण को टिकट दिया है. पिछले चुनाव में विरंची नारायण ने समरेश को हराकर ये सीट हासिल की थी.
एक स्कूली इंग्लिश टीचर ढ़ाई बजे सीधे रैली पहुंचीं लेकिन बिना पास के अंदर ना देने वाले पुलिस वालों से कहती रही कि वो पीएम मोदी की बड़ी फैन हैं, उनसे मिलना चाहती हैं. पुलिस वाले भी उनकी दररख्वास्त के बाद उन्हें जाने देना चाहते थे लेकिन साथ ही सुरक्षा का हवाला देकर रोकते रहे.
दिप्रिंट से बातचीत में महिला टीचर ने राज्य में भाजपा सरकार के काम गिनवाते हुए कहा, ‘अभी जैसी कि घोषणा भी हुई है मंच से. 370, राम मंदिर और सर्जिकल स्ट्राइक.’ लेकिन ये जनता के काम कैसे हुए जवाब में आगे जोड़ती हैं, ‘महिला सशक्तिकरण पर काम हुआ है. महिलाओं के लिए योजनाएं आई हैं.’ योजनाओं के नाम पर वो राज्य सरकार की सुकन्या योजना ही बता सकीं. इसपर पास खड़े बीएड और एमए कर चुके पुलिस वाले ने कहा, ‘हम तो गुण और अवगुण दोनों गिनवा दें लेकिन हमारा काम तो ह्यूमन राइट्स का है. बोल नहीं सकते.’
पीएम मोदी को देखते ही जाने लगे लोग
एक तरफ मोदी जी के संबोधन को दो मिनट हुए ही थे कि रैली की आखिरी पंक्तियों से लोग उठकर जाने लगे. तीन घंटे से इंतजार कर रही प्यासी महिलाएं नारे लगाने के लिए सिर्फ हाथ ऊपर उठा रही थीं. जाने वालों में से एक बेरोजगार युवक ने बताया, ‘हम तो केवल मोदी जी को देखने आए थे. बाकी नेताओं की विकास की बातें तो सुन ही लेते हैं.’
इस भीड़ में अपने कांधे पर पोते को टांगे देवान महतो ने ध्यान आकृषित किया. हाथ में भाजपा का झंडा लिए तेजी से जाते महतो कहते हैं, ‘मेरे परिवार की औरतें भी आई हैं. वो कहीं छूट ना जाएं. सबको एक जगह मिलना है. बीस किलोमीटर दूर से गाड़ी करके आए हैं.’
वो आगे झंडे की तरफ इशारा करते हैं, ‘ये तो रैली में शामिल होने के लिए लिया था. घर पर बिछाने के काम आजाएगा. हम लोग तो अपने देश के प्रधानमंत्री को एक बार देखने आए थे.’ देखते ही देखते महतो हजारों की भीड़ में पोते को लिए गुम हो जाते हैं.