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Sunday, 3 November, 2024
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नीतीश ने ‘पीठ में छुरा घोंपने’ वाली BJP से दिया इस्तीफा, RJD और कांग्रेस के पास आए वापस

बिहार एनडीए सरकार गिरने पर बीजेपी ने 'पलटू राम' नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. पार्टी ने कहा कि यह बीजेपी थी जिसने पूर्व सीएम को 'राजनीतिक ऊंचाइयों तक पहुंचाया और उन्हें केंद्रीय मंत्री व मुख्यमंत्री बनाया.

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पटना: नीतीश कुमार ने मंगलवार को 1 अणे मार्ग पर आयोजित जद (यू) की बैठक में कहा कि भाजपा ने अक्सर उनका अपमान किया है और वह उनकी पार्टी को तोड़ने तक की कोशिश कर रही है. दोपहर लगभग 3.40 बजे, वे राजभवन गए और बाहर आकर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी.

जद (यू) के सूत्रों के अनुसार, वह वापस 1 अणे मार्ग गए और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव और महागठबंधन के अन्य नेताओं (राजद, कांग्रेस और वाम दलों का एक महागठबंधन) की प्रतीक्षा करने लगे.

बिहार के पूर्व सीएम और तेजस्वी की मां राबड़ी देवी के 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास पर जश्न मनाया गया. एक तरफ राजद कार्यकर्ताओं ने खुशी में गेट के बाहर मिठाई बांटी तो वहीं महागठबंधन के विधायकों को घर के अंदर रहने के लिए कहा गया.

यह राजद के साथ जद (यू) का पहला गठबंधन नहीं होगा. 2015 का राजद-जद (यू)-कांग्रेस का महागठबंधन 2017 में कड़वे अनुभवों के साथ खत्म हो गया था. जब कुमार भाजपा में चले गए थे.

इस बीच बीजेपी ने जदयू पर हमला बोला है.

भाजपा सांसद अश्विनी कुमार चौबे ने कहा, ‘यह भाजपा ही थी जिसने नीतीश कुमार को राजनीतिक ऊंचाइयों तक पहुंचाया. उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया, उन्हें मुख्यमंत्री बनाया. यहां तक कि जूनियर पार्टनर होने के बावजूद उन्हें सीएम भी बना दिया. वह एक पलटू राम हैं और उन्होंने बिहार में ‘जंगल राज’ के लिए गैर-जिम्मेदार लोगों के पास जाना पसंद किया है.’

मंगलवार को हुए इस घटनाक्रम में बिहार में 16 नवंबर 2020 को बनी भाजपा-जद (यू) सरकार गिर गई.

सीएम के आधिकारिक आवास 1 अणे मार्ग पर आयोजित जद (यू) विधायकों और सांसदों की एक बैठक में पार्टी ने इससे पहले  भाजपा पर अपने मंत्रियों को पैसे और मंत्री पद का लालच देकर पार्टी तोड़ने और उनकी पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.’

नालंदा से जद (यू) विधायक कौशलेंद्र कुमार ने कहा, ‘भाजपा हमारी पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रही है. हम उस पार्टी के साथ गठबंधन में नहीं रह सकते जो हमारी पीठ में छुरा घोंपती है.

बैठक में मौजूद सूत्रों के अनुसार, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी प्रमुख आर सी पी सिंह को ट्रोजन हॉर्स कहा और उन पर पार्टी को तोड़ने के लिए भाजपा द्वारा इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगाया था.

पूर्व में नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले आरसीपी सिंह और जद (यू) के साथ संबंधों में खटास तब आई जब पार्टी ने उन्हें इस साल की शुरुआत में उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद राज्यसभा के लिए नामित नहीं किया था.

जद (यू) और भाजपा के बीच मतभेद कुछ समय से चर्चा में बने रहे हैं और दोनों ने बार-बार सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे के खिलाफ अपनी शिकायतें जाहिर की हैं.

यहां तक कि 1 अणे मार्ग पर मंगलवार को जारी बैठक में सीएम नीतीश कुमार ने बिहार के राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है.

ऐसा लग रहा है कि कुमार का इरादा राजद, कांग्रेस और वाम दलों के साथ गठबंधन करने से पहले सरकार में भाजपा के मंत्रियों को बर्खास्त करने का है.

लगभग उसी समय जब जद (यू) के नेता कुमार के आवास पर इकट्ठे हुए थे, भाजपा के मंत्री डिप्टी सीएम और भाजपा नेता तारकिशोर प्रसाद के घर पर इकट्ठा हुए थे. वे पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशों का इंतजार कर रहे थे.

भाजपा के एक मंत्री ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘हम चर्चा कर रहे थे कि क्या हमें नीतीश कुमार को बर्खास्त करने का इंतजार करना चाहिए–जिससे यह संदेश जाएगा कि गठबंधन के पतन के लिए नीतीश जिम्मेदार हैं- या फिर उनके इस्तीफा के लिए रुकें.’

लेकिन बिहार के सीएम ने इसके बजाय इस्तीफा देने का फैसला किया.

2017 में भी कुमार ने ठीक इसी तरह अपने सभी विधायकों को 1 अणे मार्ग पर बुलाया था. तब उन्होंने गठबंधन (राजद और कांग्रेस के साथ) की निंदा की और विपक्षी खेमे भाजपा में चले गए.

कुछ समय पहले तक जद (यू) और राजद के बीच समझौता मुश्किल लग रहा था. लेकिन, अब कुमार के पूर्व सीएम और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के साथ संबंध धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं. कुमार राजद नेता और लालू के बेटे तेजस्वी यादव द्वारा इस साल की शुरुआत में आयोजित एक इफ्तार पार्टी में शामिल होने के बाद से एक बार फिर गठबंधन किए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं.

मंगलवार को जैसे ही जदयू के विधायक 1 अणे मार्ग में दाखिल हुए, उन्हें एजेंडे के बारे में पता चल गया था. उन्होंने बताया, ‘हमें तेजस्वी यादव के साथ जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी. जदयू विधायक हरि नारायण सिंह ने कहा कि नीतीश जी और लालू जी दोनों समाजवादी हलके से हैं.


यह भी पढ़ें : बिहार में टूटा जद(यू)-बीजेपी गठबंधन, पार्टी की बैठक में नीतीश कुमार ने किया ऐलान


तेजस्वी ने दिया जोशीला भाषण

इस बीच मंगलवार को बिहार के नए उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी अपने आवास पर राजद नेताओं की बैठक कर रहे थे.

बैठक में मौजूद एक विधायक के मुताबिक, ‘तेजस्वी ने कहा कि बीजेपी क्षेत्रीय पार्टियों को खत्म करना चाहती है. हम खत्म होने को तैयार नहीं हैं. भाजपा ने जिस पार्टी के साथ गठबंधन किया था, उसी जद (यू) को विभाजित करना चाहती थी. यह मंत्री बनने का सवाल नहीं है. यह लोकतंत्र को बचाने का सवाल है.’

विधायक ने कहा कि तेजस्वी ने दावा किया था कि राजद नेताओं को लगातार भाजपा नेताओं से धमकियां मिल रही हैं और नीतीश कुमार की मदद करने के लिए उन्हें अनुचित रूप से परेशान किया जाएगा.

बैठक में मौजूद सूत्रों ने यह भी बताया कि कांग्रेस नेता अजीत शर्मा कांग्रेस के 19 विधायकों के हस्ताक्षर वाले समर्थन के साथ बैठक में आए थे.

राजद के एक विधायक ने कहा, ‘सभी विधायकों को नीतीश कुमार को समर्थन देने वाली याचिका पर हस्ताक्षर करने को कहा गया था.

संयोग से लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अप्रैल की इफ्तार पार्टी के ठीक बाद नीतीश कुमार और राजद के बीच संभावित समझौते के बारे में बात की थी, लेकिन तब कुछ भी पक्का नहीं था.

पार्टी सूत्रों के अनुसार, गठबंधन के विवरण को अंतिम रूप देने और मंत्रालय के बंटवारे पर चर्चा करने के लिए तेजस्वी और नीतीश के बीच कम से कम तीन आमने-सामने बैठकें हुई हैं. यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार में 2024 के संसदीय चुनावों से पहले नीतीश कुमार बिहार के सीएम का पद तेजस्वी को सौंप देंगे, जबकि वह खुद दिल्ली चले जाएंगे.

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), जाति जनगणना और बिहार के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा जैसे मुद्दों पर दोनों दल एक ही लाइन में नजर आ रहे हैं.

एक गठबंधन का खात्मा

रविवार को, जद (यू) के पूर्व प्रमुख आरसीपी सिंह के बारे में बात करते हुए, ललन सिंह ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने नीतीश को कमजोर करने के लिए 2020 में चिराग मॉडल बनाया था – जद (यू) और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान के बीच मतभेदों ने लोजपा को 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में जद (यू) सीटों को लक्षित करने के लिए प्रेरित किया था– और वे जद (यू) को खत्म करने के लिए अब एक और मॉडल बना रहे हैं.

पिछले हफ्ते जदयू ने आरसीपी के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया था. सिंह पर पिछले नौ सालों में अपने परिवार के सदस्यों द्वारा 58 भूखंडों के अधिग्रहण का आरोप लगाया गया है. इन संपत्तियों को सिंह ने कथित तौर पर अपने राज्यसभा चुनाव हलफनामे में उल्लेख नहीं किया गया था.

कयास लगाए जा रहे हैं कि आरसीपी सिंह के खिलाफ कारण बताओ नोटिस मिलने की वजह पूर्व मंत्री द्वारा बिहार में अपना जनाधार बढ़ाने के प्रयास और उन्हें भाजपा का समर्थन मिलने का जद (यू) का कथित डर है.

बिहार में मौजूदा एनडीए गठबंधन का कार्यकाल मुश्किल भरा रहा क्योंकि जदयू और भाजपा के नेता और मंत्री अक्सर एक-दूसरे के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर आमने-सामने आते रहे हैं.

सीएए, जनसंख्या नियंत्रण कानून, जाति जनगणना, बिहार के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा और अन्य मुद्दों पर उनके बीच मतभेद थे.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल राज्य में शासन पर अक्सर सवाल उठाते रहे थे, जबकि नीतीश कुमार का भाजपा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के साथ दो बार विवाद हुआ था.

भाजपा नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी – नीतीश के एक करीबी सहयोगी – को राज्य की राजनीति से बाहर कर दिया गया और दिसंबर 2020 में राज्यसभा के लिए नामांकित होने के बाद दोनों दलों के बीच संबंध खराब होने लगे.

इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने बिहार में पार्टी के विधायकों और सांसदों से शिकायत करने के बजाय समस्याओं को हल करने और अनावश्यक टिप्पणियों से बचने के लिए कहा था. इसे सहयोगी जद (यू) के साथ पार्टी के संबंधों को सहज बनाने के संकेत के तौर पर देखा गया था.

लेकिन साफतौर पर गठबंधन को बचाने में बहुत देर हो चुकी थी.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया, ‘दोनों पार्टियों के बीच कटुता के चलते भाजपा-जदयू गठबंधन जमीनी स्तर पर काम करने लायक नहीं रह गया था.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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