नई दिल्ली: अंग्रेज़ी में एक कहावत है जिसमें कहते हैं- टेस्ट ऑफ़ योर ओन मेडिसिन. इसका मतलब ये होता है कि इंसान जो बर्ताव दूसरों के साथ करता है वैसा ही जब उसके ख़ुद के साथ होता है तो उसे समझ आता है कि उसने क्या किया है. इस बार अपनी ही दवा का स्वाद नरेंद्र मोदी सरकार के सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) राज्य मंत्री गिरिराज सिंह को चखना पड़ा है और ये स्वाद उन्हें उनके ही एक बयान की वजह से चखना पड़ा है. इस ताज़ा विवाद के केंद्र में बिहार की नवादा और बेगुसराय की लोकसभा सीटें हैं जिसे लेकर गिरिराज सिंह के नाराज़ होने की बात कही जा रही है.
सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आई है कि नवादा और बेगुसराय की सीट को लेकर जोड़-तोड़ जारी है. नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) गठबंधन के अहम सहयोगी पसवान की नज़र इस सीट पर होने की बात कही जा रही है. हालांकि, गिरिराज सिंह के करीबी इस सूत्र ने एक बात और साफ की है कि बीजेपी इस सीट को नहीं छोड़गी क्योंकि किसी गठबंधन की स्थिति नें सत्ताधारी पार्टी ने इस सीट को कभी नहीं छोड़ा है. वहीं, एलजेपी के महासचिव अब्दुल खालिक की बात जब दिप्रिंट से हुई तो उन्होंने कहा कि अभी एनडीए में सीटों को लेकर जोड़-तोड़ चल रही है और इसलिए वो इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे. लेकिन अगर ऐसी कोई बात नहीं होती तो संभव है कि पार्टी के इतने बड़े पद पर विराजमान खालिक इसे सीधे तौर पर ख़ारिज कर देते.
आपको बता दें कि महागठबंधन की तरफ से बेगुसराय सीट पर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार का चुनाव लड़ना लगभग तय हैं. कन्हैया इस सीट पर सीपीआई के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले हैं. बेगुसराय सीट पर भी भूमिहारों की अच्छी पकड़ मानी जाती है. कन्हैया भी गिरिराज सिंह की तरह भूमिहार जाति से आते हैं. ऐसे में गिरिराज सिंह अपनी ही जाति के उम्मीदवार के ख़िलाफ़ एक ऐसी सीट से नहीं लड़ना चाहेंगे जिस पर उनकी कोई पकड़ नहीं है. वहीं, कन्हैया के पक्ष में जो एक और चीज़ जाती है वो ये है कि बेगुसराय उनका अपना ज़िला है और इस सीट पर लेफ्ट पार्टियों की अच्छी पकड़ रही है.
अपने ही बयान की वजह से फंसे गिरिराज
सिंह ने बिहार की राजधानी पटना में होने वाली एनडीए की संकल्प रैली को लेकर एक विवादित बयान दिया था. इसमें उन्होंने कहा था कि तीन मार्च को होने वाली इस रैली में जो भी शामिल नहीं होगा वो ‘देशद्रोही और पाकिस्तान का समर्थक’ होगा. ऐसा बयान देते वक्त उन्हें शायद ही इस बात का अंदाज रहा होगा कि अंत में उन्हें ही ‘देशद्रोही’ और पाकिस्तान का समर्थक’ साबित होना पड़ेगा. दरअसल, हुआ ये कि गिरिराज सिंह ख़ुद इस रैली में नहीं गए थे.
इसके बाद उन्होंने एक ट्वीट करके बताया कि उनकी तबीयत ख़राब होने की वजह से वो इस रैली में नहीं जा सके. लेकिन उनकी इस बात को विपक्षी पार्टी के नेता मानने को तैयार नहीं है. सिंह पर तंज कसते हुए बिहार की जन अधिकार पार्टी के नेता पप्पू यादव लिखते हैं, ‘अरे Mr. ‘बीमार’ आपने तय किया- आप देशभक्त हैं या देशद्रोही? आपके मापदंड के अनुसार तो आप देशद्रोही हैं. सबूत भी आप ही हैं.’
2 दिन पहले नवादा से पटना आने के क्रम में अस्वस्थ हो गया,इस कारण मा० @narendramodi जी के संकल्प रैली में शामिल न हो सका।
विशाल रैली और प्रधानमंत्री जी के सम्बोधन को TV पर देखा।
देश के विकास के लिए और दुश्मनों के मंसूबो को तोड़ने के लिए जनता पुनः नमो को प्रधानमंत्री बनाएगी।— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) March 3, 2019
यादव ने ट्वीट में आगे लिखा है, ‘देश को सबूत नहीं जवाब चाहिए. देशद्रोही का पासपोर्ट भी जब्त हो जाना है, लिहाज़ा वीजा तो मिलेगा नहीं. सरेंडर कर जेल जाएंगे या जनता की अदालत में कुर्की का इंतज़ार है?’
अरे Mr.'बीमार' आपने तय किया- आप देशभक्त हैं,या,देशद्रोही?आपके मापदंड के अनुसार तो आप देशद्रोही हैं।सबूत भी आप ही हैं।
देश को सबूत नहीं जवाब चाहिए।देशद्रोही का पासपोर्ट भी जब्त हो जाना है,लिहाज़ा वीजा तो मिलेगा नहीं।सरेंडर कर जेल जाएंगे या,जनता की अदालत में कुर्की का इंतज़ार है? https://t.co/99fItIOlM2
— Pappu Yadav (@pappuyadavjapl) March 5, 2019
आपको बता दें कि यादव ने ये ट्वीट सिंह के उस ट्वीट के जवाब में किया था जिसमें गिरिराज ने संकल्प रैली के अगले ही दिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की देशभक्ति पर सवाल उठाते हुए लिखा था, ‘राहुल गांधी देश भक्त है या नहीं? आज देश को सबूत चाहिए. उन्होंने आगे लिखा था कि ‘देश’ का तात्पर्य हिन्दुस्तान से है.
कौन हैं गिरिराज सिंह
गिरिराज सिंह बिहार के नवादा से बीजेपी के सांसद हैं. उनका जन्म बिहार के लखीसराय के बड़हिया ज़िले में 8 सितंबर 1952 को हुआ था. वो बिहार की दबंग जातियों में शामिल भूमिहार जाति से आते हैं. जो मंत्रालय वो संभालते हैं उसकी वेबसाइट पर अपने पेशे में उन्होंने ख़ुद को किसान बताया है. वहीं, ये भी बताया गया है कि उन्होंने बिहार की मगध यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया है. 2014 में सांसद बनने से पहले वो नीतीश कुमार की बिहार सरकार में सहकारी मंत्री (2008-2010) के अलावा पशु और मत्स्य संसाधन विकास मंत्री (2010-2013) रह चुके हैं.
विवादित बयानों से बटोरी लाइमलाइट
जब नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे तो बिहार के सीएम नीतीश कुमार और उनके बीच का मनमुटाव जगज़ाहिर था. 2013 में जब माहौल बनने लगा और नरेंद्र मोदी अपनी पार्टी बीजेपी के पीएम पद उम्मीदवार बनते नज़र आने लगे तो नीतीश कुमार एनडीए की अपनी इस सहयोगी पार्टी से तेज़ी से किनारा करने लगे. वक्त आने पर कुमार ने गठबंधन भी तोड़ दिया. इसी दौरान गिरिराज सिंह ने कहा था कि नीतीश कुमार एक देहाती औरत की तरह बर्ताव कर रहे हैं और जलन के मारे नरेंद्र मोदी पर हमला कर रहे हैं.
गिरिराज सिंह जिस तरह के बयान देते हैं उसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि एक बार उन्होंने कहा था कि भारत के मुसलमान मुगलों के नहीं बल्कि प्रभु राम के वंशज हैं और इसलिए उन्हें राम मंदिर का विरोध नहीं करना चाहिए. उन्होंने सबसे लंबे समय तक देश की सरकार चलाने वाली पार्टी कांग्रेस को लेकर दिए गए अपने एक बयान में कहा था कि आतंकवाद समाप्त होने से कांग्रेस परेशना है. वहीं, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को लेकर दिए गए अपने एक बयान में उन्होंने कहा था कि सोनिया अपने गोरे रंग की वजह से कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं. अपने बयानों की वजह से लगातार सुर्खियों में बने रहने वाले सिंह को शायद ही पता होगा कि एक दिन वो ख़ुद इसी के घेरे में चले आएंगे.