scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमराजनीति‘कर रहा हूं बदतमीजी’, अपनी रिपोर्ट में लिख देना—हरियाणा में ऐसा रहा अभय चौटाला का ‘इंटरव्यू’

‘कर रहा हूं बदतमीजी’, अपनी रिपोर्ट में लिख देना—हरियाणा में ऐसा रहा अभय चौटाला का ‘इंटरव्यू’

हरियाणा की राजनीति काफी जटिल है. लेकिन दिप्रिंट रिपोर्टर ज्योति यादव का इनेलो नेता अभय चौटाला के साथ इंटरव्यू तो एकदम अशिष्टता की हद तक चला गया. वह यहां पर इस दौरान बोली बातों के उन हिस्सों का ही जिक्र कर रही हैं जिन्हें छापा जा सकता है.

Text Size:

मैं बुधवार को इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नेता अभय चौटाला का साक्षात्कार लेने चंडीगढ़ पहुंची थी. एजेंडे में था हरियाणा का राजनीतिक परिदृश्य.

चूंकि चौटाला खानदान काफी लंबा-चौड़ा है, इसलिए स्पष्टता के लिए बता दूं कि अभय चौटाला इस समय भ्रष्टाचार के मामले में सजा काट रहे पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के दो बेटों में से एक हैं. अभय के भाई अजय और उनके बेटे दुष्यंत अपनी पैतृक राजनीतिक पार्टी से अलग हो चुके हैं. दुष्यंत ने 2018 में अपने खुद के राजनीतिक दल जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का गठन किया था. 90 सदस्यीय सदन में 10 सीटें जीतने के बाद वह भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में गठबंधन सहयोगी और हरियाणा सरकार में डिप्टी सीएम हैं.

जेजेपी ने पिछले हफ्ते विधानसभा में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान मनोहर लाल खट्टर सरकार के पक्ष में मतदान किया था.

मूल पार्टी से चुने गए एकमात्र विधायक अभय चौटाला ही थे. वह भी नरेंद्र मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में जनवरी में सदन से इस्तीफा दे चुके हैं.

मैं शाम 7.30 बजे निर्धारित समय पर उनके कार्यालय पहुंची, क्योंकि उनकी टीम ने मुझे यही बताया था कि वह इसी समय तक दिल्ली से यहां पहुंचेंगे. उन्होंने मुझे एकदम ठीक समय पर पहुंचने को कहा था.

मेरे ड्राइवर ने चौटाला के घर के बाहर कार पार्क की. जब मैं अंदर पहुंची तो वहां मौजूद घरेलू सहायकों ने मुझे एक छोटे से दफ्तर की तरफ दिखाया, जहां चौटाला पहले से ही पांच सहयोगियों के साथ मौजूद थे.

मैंने पहुंचते ही सीधे इंटरव्यू लेना शुरू कर दिया और किसानों के आंदोलन पर इनेलो के रुख के बारे में जानना चाहा. उन्होंने जवाब दिया कि इनेलो लोगों के दिलों में बसा है.

भतीजे दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर अभय चौटाला बोले कि जेजेपी एक अलोकप्रिय गठबंधन का हिस्सा है.

उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि वह जमीनी हालात की नब्ज समझते है, जबकि सत्तारूढ़ जेजेपी, भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस सार्वजनिक सभाओं से नदारत हैं. उन्होंने कहा कि जेजेपी की छवि खराब हो चुकी है.

तभी मैंने अपना दूसरा सवाल दागा, ‘डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने उनके साथ रिश्ते क्यों तोड़ें? और दुष्यंत के मौजूदा राजनीतिक कदमों को वह कैसे देखते हैं?

इसके बाद उन्होंने काफी कुछ भला-बुरा कहते हुए दुष्यंत को अपने पिता अजय चौटाला की तरह ही भ्रष्ट करार दिया जिन्होंने ‘पार्टी के टिकट बेचे.’ चौटाला आगे कहने लगे, ‘पूरा परिवार ही नैतिक स्तर पर भ्रष्ट है.’ इस पर मैंने बीच में बात काटते हुए उन्हें याद दिलाया कि वे दोनों एक ही परिवार का हिस्सा थे.

बातचीत यहां तक पहुंचते-पहुंचते उनका जो व्यवहार रूखा और अप्रिय किस्म का था, अचानक एकदम से बेहद बिगड़ गया.

‘तुम पत्रकार’

चौटाला तब तक मुझे खारिज करने वाले रुख के साथ तीन बार ‘तुम पत्रकार’ कह चुके हैं. आखिरकार, मैंने इस पर आपत्ति जताई कि वह मुझसे इस अपमानजनक तरीके में बात नहीं कर सकते हैं, उन्होंने तभी अपने एक घरेलू सहायक को आवाज लगाई और थूकने के लिए पीकदान लाने को कहा.

जब भी मैंने दुष्यंत के बारे में कोई सवाल पूछा, चौटाला गुस्से में भड़क गए. मेरे हर सवाल पर उनके पास कहने के लिए यही दो-तीन बातें थी—’अलोकप्रिय सरकार’, ‘भाजपा एजेंट’ आदि, और इसके साथ ज्यादातर ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया गया जिसे छापा नहीं जा सकता है.

उनका लहजा लगातार बिगड़ता रहा. उन्होंने एकदम अपमानजनक तरीके से मुझसे कहा, ‘तू पत्रकारिता सीख.’

इस व्यवहार पर मेरे कई बार आपत्ति जताने के बाद भी चौटाला नहीं माने. उनके सहयोगी भी चुपचाप बैठे देखते रहे जबकि वह हमारे सामने पीकदान में थूकते रहे.

इसके बाद चौटाला फोन पर किसान नेता राकेश टिकैत से बात करने लगे जो कि राजस्थान के सीमावर्ती जिले में विरोध प्रदर्शन के बाद उनके तेजा खेड़ा फार्म हाउस पहुंचे थे.

चौटाला ने फिर उपेक्षापूर्ण तरीके से ‘तुम सारे पत्रकार’ संबोधन का इस्तेमाल किया. इस पर मैंने उनसे कहा कि मुझसे इस तरह अपमानजनक तरीके से बात न करें.

बहरहाल, मैंने अपना आखिरी सवाल पूछकर इंटरव्यू खत्म करने की बात सोची और उनसे सवाल किया कि कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बारे में क्या कहेंगे? इस पर कहा, ‘वह भाजपा के एक एजेंट हैं.’

मैंने पूछा, क्या आपके पास इस आरोप का कोई सबूत है. चौटाला ने एक घटना का जिक्र किया जब हुड्डा ने कथित तौर पर एक पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए थे, चौटाला का दावा है कि इस कदम से भाजपा को ही फायदा मिला था. उन्होंने कहा कि ‘भाजपा को इसकी वजह से ही अपने सदस्य को राज्यसभा भेजने का मौका मिल पाया. यह संदर्भ संभवत: 2016 में जी टीवी के मालिक सुभाष चंद्रा के राज्यसभा चुनाव से जुड़ा था.

मैंने उनसे फिर पूछा, वे कैसे साबित करेंगे कि हुड्डा भाजपा के एजेंट हैं?

उन्होंने जवाब दिया, ‘तू जानती नहीं है कि एक राज्यसभा सदस्य बिल पर साइन न करे तो सरकार गिर जाती है. बिल वापस लोकसभा में जाता है और सरकार अलोकप्रिय होकर गिर जाती है.’

मैंने उनके इस अस्पष्ट बयान पर सवाल उठाया और कहा कि ऐसा कोई उदाहरण बताएं जब किसी एक राज्यसभा सदस्य ने एक बिल पर हस्ताक्षर से इनकार किया हो और केंद्र सरकार गिर गई हो.

इतना कहते ही उनका पारा चढ़ गया और अपना आपा खोकर चिल्लाने लगे, ‘तू निकल यहां से, हो गया इंटरव्यू, बहुत देखे हैं पत्रकार.’

मैंने वहां से उठते हुए कहा, ‘आप एक पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं जिसे आपने इंटरव्यू देने के लिए बुलाया था.’

तो उनका जवाब था, ‘हा, कर रहा हूं बदतमीजी. रिपोर्ट में मेरी बदतमीजी के बारे में भी लिख देना.’

मुझ जैसी, 26 साल की उम्र वाली और राजनीतिक बीट की नई पत्रकार के लिए यह इस तरह का पहला कटु अनुभव था. निश्चित तौर पर समय के साथ मेरी खाल मोटी हो जाएगी लेकिन यह ऐसा अनुभव नहीं है जिसका मैं फिर कभी सामना करना चाहूंगी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


य़ह भी पढ़ें: हरियाणा का कानून दक्षता बढ़ाएगा, प्रवासी श्रमिकों पर निर्भरता करेगा कम: दुष्यंत चौटाला


 

share & View comments

2 टिप्पणी

  1. Aaj khud per baat aayi to popcorn ki trah uchal ho aabhi tk patakarita ki Jo band news room Mai baithkar Bajai h sbne wo Kisi se chupi to nhi h mamsaab paise lekr news print krna Jaise Marji Tod Marji kr btana paise lekr news chupana ya paise lekr jhuthi news bnana aur aab aap aam public se support ki ummed krti ho aap log patakarita ki iss date tk niche le aaye ho ki apki iss news Mai kitni sachai hai apko hi sabit krna pdega kyoki bhrosa to aap log khi kho chuke ho

  2. हम एक बुरे दौर से गुजर रहे हैं जहां मीडिया को लेकर लोगों में काफी गुस्सा है और अलग अलग धारणाएं भी
    तो इस तथ्य को भी ध्यान में रख कर अपनी सुरक्षा के ििइंतजआम कर के जाया कीजिये।
    इन नेताओं का कोई भरोसा नही है।

Comments are closed.