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Sunday, 22 December, 2024
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राहुल गांधी के इस्तीफा देने पर सचिन पायलट छोड़ सकते हैं कांग्रेस

अगर राहुल अपने इस्तीफे पर अड़े रहे तो इस स्थिति में सचिन पायलट राजस्थान के उप मुख्यमंत्री का पद छोड़ सकते हैं.

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जयपुर: राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बने रहने पर अनिश्चितता बरकरार रहने के बीच यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर राहुल अपने इस्तीफे पर अड़े रहे तो इस स्थिति में सचिन पायलट राजस्थान के उप मुख्यमंत्री का पद छोड़ सकते हैं और इसके साथ ही वह अपने विधायकों की टीम के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का भी पद छोड़ सकते हैं.

पार्टी सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी 2014 में पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के सूत्रधार थे. पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव के बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था. अब जब कांग्रेस अध्यक्ष खुद अपने इस्तीफे पर अड़े हुए हैं, पायलट का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है.

200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 100 सदस्य हैं. भाजपा के 73, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के छह, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के तीन, माकपा के दो, भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो, राष्ट्रीय लोकदल के एक और 13 निर्दलीय विधायक हैं.

गहलोत सरकार को बसपा के छह विधायकों और 12 निर्दलीय विधायकों ने समर्थन दिया है. हालांकि सरकार अब संकट में दिख रही है. सोमवार को, बसपा विधायक राज्यपाल कल्याण सिंह से मुलाकात करने वाले थे. हालांकि अंतिम समय में बैठक रद्द कर दी गई.

ऐसी रिपोर्ट है कि राज्य के एक मंत्री, कांग्रेस के लालचंद कटारिया ने भी संभवत: इस्तीफा दे दिया है, हालांकि मुख्यमंत्री और राज्यपाल के कार्यालय से इस बारे में कोई पुष्टि नहीं हुई है.

एक अन्य कांग्रेस नेता ने कहा, ‘सचिन पायलट बुद्धिमान हैं, शिक्षित हैं और किसान नेता के रूप में भी विश्वसनीयता हासिल की है. वह देश में कहीं भी अच्छे नेता हो सकते हैं. इस बात की उम्मीद है कि पार्टी उन्हें नई जगह पर भेज सकती है.’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘पायलट का पांच वर्ष का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यकाल भी मार्च में समाप्त हो चुका है. उनके कार्यकाल में लोकसभा चुनाव को देखते हुए विस्तार किया गया था. अब उसे समाप्त किया जा सकता है.’

अगर कांग्रेस उनसे किसी और इलाके की जिम्मेदारी संभालने को कहती है तो इस बात की संभावना है कि पायलट कांग्रेस छोड़ दें और फिर कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों और भाजपा विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करें. इस तरह वह मुख्यमंत्री बन सकते हैं.

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘विधानसभा चुनाव से पहले, अशोक गहलोत अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव थे और पायलट राजस्थान कांग्रेस समिति के अध्यक्ष थे. दोनों की भूमिकाओं में स्पष्ट अंतर था.’

गत वर्ष दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव से पहले, जब पायलट को राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश किया गया था, गहलोत ने जोधपुर से टिकट देने पर जोर दिया.

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘चुनाव के बाद, पायलट ने मुख्यमंत्री पद के लिए जोर लगाया क्योंकि उन्होंने राजस्थान में पार्टी को फिर से खड़ा करने में काफी मेहनत की थी.’

उन्होंने कहा, ‘हालांकि जो वह चाहते थे, उन्हें वह नहीं मिला. पार्टी नेता सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने गहलोत के वरिष्ठता को उपर रखा और उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया.’

गहलोत को राज्य में पार्टी के लोकसभा अभियान को भी देखने के लिए कहा गया था. लेकिन गहलोत-पायलट की युवा और अनुभवी टीम कुछ भी करिश्मा करने में नाकाम रही और राज्य में कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली.

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