नई दिल्ली: बुधवार को केंद्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों द्वारा 24 घंटे जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई.
ओडिशा की आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को मंगलवार को आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने अपना उम्मीदवार घोषित किया था. बीजेपी की संसदीय बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया है.
अगर मुर्मू इस चुनाव में जीत हासिल कर लेती हैं तो वो आजादी के बाद पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति भी होंगी.
संथाल समुदाय में 20 जून 1958 को जन्मीं मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का गौरव भी रखती हैं.
बेहद पिछड़े और दूरदराज के जिले से ताल्लुक रखने वालीं मुर्मू ने गरीबी और अन्य समस्याओं से जुझते हुए भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से कला में स्नातक किया और ओडिशा सरकार के सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में अपने करियर शुरूआत की थी.
साल 1997 में वो बीजेपी में शामिल हो गईं. उसी साल वह रायरंगपुर की पार्षद और क्षेत्र की उपाध्यक्ष भी चुनी गईं.
यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरूआत हुई थी. वे साल 2000 में ओडिशा सरकार में मंत्री बनीं.
मंत्री के रूप में, उन्होंने 2004 तक परिवहन और वाणिज्य, मत्स्य पालन और पशुपालन जैसे विभागों को संभाला है.
वह हमेशा से ही पार्टी के लिए प्रतिबद्ध रहीं है. उन्होंने 2006-2009 के बीच मयूरभंज में बीजेपी इकाई की विभिन्न जिला अध्यक्ष और अनुसूचित जनजाति मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष रहीं.
रायरंगपुर से दो बार विधायक रहीं मुर्मू ने 2009 में तब भी अपनी विधानसभा सीट पर कब्जा जमाया था, जब बीजु जनता दल ने राज्य के चुनावों से कुछ हफ्ते पहले बीजेपी से नाता तोड़ लिया था, जिसमें मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी ने जीत दर्ज की थी.
बाद में उन्होंने 2015 में झारखंड के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी भी संभाली.
अपने निजी जीवन में मुर्मू ने अपने पति श्याम चरण मुर्मू और दो बेटों को खो देने के दुख को भी देखा है.
भाषा के इनपुट से
यह भी पढ़ें : अग्निपथ के खिलाफ हिंसक विरोध-प्रदर्शनों के बीच यूपी, बिहार के तमाम कोचिंग सेंटर कठघरे में आए