चंडीगढ़: पंजाब के जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव कृष्ण कुमार के लिए सुर्खियों में रहना कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब 1997 बैच के इस आईएएस अधिकारी पर पंजाब में आई भीषण बाढ़ को लेकर विपक्ष और भगवंत मान सरकार के बीच छिड़ी तकरार के चलते आरोपों के घेरे में हैं.
विपक्ष का कहना है कि कुमार ने समय रहते मॉनसून की तीव्रता से निपटने की तैयारी नहीं की, इसलिए उनका तुरंत तबादला होना चाहिए. वहीं आम आदमी पार्टी (आप) सरकार कुमार के समर्थन में खड़ी है और कह रही है कि उन्होंने बाढ़ की तैयारी के लिए “अपनी पूरी कोशिश की.”
कुमार 2011 से 2015 तक प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में काम कर चुके हैं. वे एक सख्त और अनुशासित अफसर माने जाते हैं, जिन्हें शिक्षा सचिव रहते (2017-2022) राज्य में शिक्षा सुधारों को आगे बढ़ाने का श्रेय दिया जाता है.
वे मुख्यमंत्री मान की प्रमुख परियोजना — नहरों के अंतिम छोर पर बंद पड़ी नदी जल धाराओं को दोबारा चालू कर सिंचाई सुधारने को लागू करने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं.
पंजाब विधानसभा में शुक्रवार को मुख्यमंत्री मान ने कहा, “यह वही कृष्ण कुमार हैं जिन्होंने पंजाब के हर सरकारी स्कूल मास्टर को काम पर लगाया था. वह आपके (कैप्टन अमरिंदर वाली कांग्रेस) सरकार में शिक्षा सचिव थे, जो अफसर काम करते हैं, उनका दिल मत तोड़ो.”
मान यह जवाब विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा को दे रहे थे. बाजवा ने विधानसभा में तीखा हमला बोलते हुए कहा कि पंजाब में आई यह “मानव-निर्मित बाढ़” कुमार की वजह से हुई.
बाजवा ने कहा, “ये (कृष्ण कुमार) हमेशा समस्या पैदा करते हैं. इन्हें बिगाड़ू कहा जाता है. ये सिर्फ बदनामी लाएंगे. इनका तबादला होना चाहिए.”
सिंचाई और जल संसाधन मंत्री बरिंदर गोयल ने भी शुक्रवार से शुरू हुए बाढ़ और पुनर्वास पर चर्चा के लिए बुलाए गए विशेष विधानसभा सत्र में कुमार का बचाव किया.
गोयल ने विपक्ष से कहा, “आप झूठ बोलकर उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. सच तो यह है कि इस विभाग ने उनके नेतृत्व में 3 साल में जितना काम किया है, उतना पिछले 30 साल में कांग्रेस और अकाली सरकारें भी नहीं कर पाईं.”
हालांकि, बाजवा ने अपने हमले जारी रखे. उन्होंने कहा, “कृष्ण कुमार के विभाग के करीब 8,000 कर्मचारियों पर पिछले कुछ सालों में चार्जशीट हुई है. कोई भी अफसर उनके साथ काम नहीं करना चाहता.”
कृष्ण कुमार से इस पर प्रतिक्रिया के लिए दिप्रिंट ने कॉल और व्हाट्सऐप संदेशों के जरिए संपर्क किया है. जवाब मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
नेताओं से टकराव
कड़े नियमों के लिए मशहूर कुमार नौकरशाही हलकों में उन नेताओं को नाराज़ करने के लिए जाने जाते हैं जो अव्यावहारिक या गैर-कानूनी मांगें रखते हैं.
पिछले महीने पहली बार उन पर “बाढ़ लाने” का आरोप आप विधायक हरमीत सिंह पथानमाजरा (सनौर) ने लगाया था.
पथानमाजरा का कहना था कि बार-बार कहने के बावजूद कुमार के विभाग ने नदी जल धाराओं की सफाई के लिए कोई कदम नहीं उठाया.
पथानमाजरा ने 31 अगस्त को एक नदी जल धारा का दौरा करते हुए मीडिया से कहा, “इस एक अफसर को छोड़ दें तो बाकी सब ठीक हैं. इन्हें लगता है कि ये ही सब कुछ जानते हैं और भारत की रचना इनकी पैदाइश के बाद ही हुई. ये मुद्दे को ऐसे घुमाते हैं कि जो भी आप मांगो, कभी नहीं होता.”
उन्होंने कहा, “इन्हें ऐसी जगह भेज देना चाहिए जहां इन्हें काम ही न मिले, बस मछली पकड़ने जाना हो.”
हालांकि, अपनी ही पार्टी की सरकार की बाढ़ प्रबंधन को लेकर आलोचना करने के दो दिन बाद पथानमाजरा पर तीन साल पुराने बलात्कार मामले में केस दर्ज हो गया. गिरफ्तारी के बाद पुलिस से ले जाते वक्त वे भाग निकले और तब से अज्ञात स्थान से वीडियो संदेश भेज रहे हैं, जिसमें वे कह रहे हैं कि विधायकों को AAP की दिल्ली नेतृत्व के खिलाफ बगावत करनी चाहिए.
कुमार ने हरियाणा के साथ पंजाब के जल विवाद में भी अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने मुख्यमंत्री मन्न के लिए सारा होमवर्क तैयार किया ताकि वे भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) और हरियाणा को चुनौती दे सकें.
मई में मान ने बीबीएमबी के खिलाफ प्रदर्शन किया था क्योंकि उसने पंजाब के हिस्से का अतिरिक्त नदी जल हरियाणा को दे दिया. बीबीएमबी नदी जल का बंटवारा हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के बीच तयशुदा हिस्सों के अनुसार करता है.
इस मुद्दे पर मान का हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से भी टकराव हुआ.
बीबीएमबी की बैठकों में, जहां पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल और दिल्ली जैसे हितधारक राज्य शामिल होते हैं, कुमार पंजाब के पक्ष में मुखर रहते हैं और बीबीएमबी पर “पक्षपात” का आरोप लगाते हैं.
कुमार के करीबी लोगों ने दिप्रिंट को बताया कि 30 अप्रैल को एक बैठक में जब हितधारक राज्यों ने हरियाणा को पंजाब के हिस्से से अतिरिक्त पानी देने के लिए वोट किया, तो कुमार ने पांच घंटे से ज़्यादा समय तक पंजाब का पक्ष रखा और तीन पन्नों की आपत्ति दर्ज कराकर गुस्से में बैठक छोड़ दी.
AAP के मार्च 2022 में सत्ता में आने के तुरंत बाद कुमार को जल संसाधन विभाग में तैनात किया गया था. उन्हें मान की विशेष परियोजना — नहरों के अंतिम छोर पर बंद पड़ी नदी जल धाराओं को दोबारा चालू कर सिंचाई सुधारने की जिम्मेदारी दी गई थी.
मान का दावा है कि पिछले तीन साल में 60% से ज्यादा बंद पड़ी धाराओं की सफाई हो चुकी है, जिसकी वजह से अब नदी का पानी उन खेतों तक भी पहुंच रहा है जो अब तक ट्यूबवेलों पर निर्भर थे.
सोमवार को विधानसभा में जल संसाधन मंत्री गोयल ने कहा कि अगले कुछ महीनों में 75% से ज्यादा ऐसी धाराएं चालू हो जाएंगी.
शिक्षा सुधार
कुमार सबसे ज्यादा शिक्षा विभाग में अपनी भूमिका के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने स्कूल शिक्षा के महानिदेशक (2007-2010) और बाद में शिक्षा सचिव (2017-2022) के तौर पर काम किया.
पंजाब के सरकारी स्कूल शिक्षा तंत्र में बड़े बदलाव का श्रेय उन्हें दिया जाता है. प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए उन्होंने ‘पढ़ो पंजाब’ अभियान शुरू किया, जिसमें खास ध्यान गणित और अंग्रेजी की पढ़ाई पर दिया गया.
उन्होंने स्कूल शिक्षकों के लिए अनिवार्य उपस्थिति लागू की और सैकड़ों गैर-प्रदर्शनकारी शिक्षकों पर कार्रवाई की.
उनके खिलाफ शिक्षकों की यूनियनें हड़ताल पर चली गईं और शिक्षा विभाग में उनके कार्यकाल के दौरान लंबे समय तक उनके दफ्तर के बाहर धरना लगा रहना आम बात थी.
उन्होंने पूरे राज्य में स्कूल भवनों को नया रूप दिया — उन्हें चमकीले रंगों से पेंट कराया ताकि बच्चों के लिए आकर्षक बने. साथ ही सरकारी स्कूलों को स्मार्ट स्कूल में बदल दिया, जिनमें आधुनिक शैक्षिक उपकरण और सुविधाएं मौजूद थीं, ताकि वे प्राइवेट स्कूलों से प्रतिस्पर्धा कर सकें.
हालांकि, शिक्षकों की भर्ती और तबादले में नियमों पर अड़े रहने की उनकी जिद ने उन्हें शिक्षकों और उन नेताओं के बीच अलोकप्रिय बना दिया जिनकी सिफारिशें वे अक्सर ठुकरा देते थे.
हरियाणा के रोहतक स्थित महार्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (MDU) से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग करने वाले कुमार के पास अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री भी है. 2016-2017 में करीब एक साल से भी कम समय के लिए वे पंजाब सरकार में व्यय सचिव रहे.
वे 2011 से 2015 तक प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में रहे, इसके बाद भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग में काम किया और फिर पंजाब वित्त विभाग में लौट आए.
शिक्षा में योगदान के अलावा, कुमार ‘नवांशहर मॉडल’ बनाने के लिए भी मशहूर हैं, जिसे उन्होंने 2006-2007 में नवांशहर के डिप्टी कमिश्नर रहते हुए कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए लागू किया था.
इस अनोखे अभियान में राज्य में हर गर्भावस्था को स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट करना और प्रसव तक उसकी लगातार निगरानी करना शामिल था.
नवांशहर में इस प्रयोग की सफलता के बाद, तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आदेश दिया कि इसे पूरे राज्य में लागू किया जाए.
2007 में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मॉडल को कन्या भ्रूण हत्या रोकने का एक प्रभावी तरीका माना और देशभर के राज्यों को इसे अपनाने की सलाह दी.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: BBMB और IMD की चेतावनियों की नज़रअंदाज़ी? पंजाब में आखिर क्यों आया सैलाब