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Sunday, 22 December, 2024
होमअंंदर की बातजब राहु-केतु मंडराएंगे तो कैसे होगा 'स्किल इंडिया' का सपना पूरा?

जब राहु-केतु मंडराएंगे तो कैसे होगा ‘स्किल इंडिया’ का सपना पूरा?

भले ही ज्योतिष को लेकर मंत्रालय ने कोई कोर्स ना बनाया हो मगर एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री ज्योतिष को लेकर काफी गंभीर हैं.

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नई दिल्ली: दो हफ्ते पहले संसद में स्किल डेवलपमेंट मिनिस्ट्री यानी कौशल विकास मंत्रालय से ज्योतिष शास्त्र को लेकर संसदीय सदस्य कीर्ति प्रेमजी भाई ने सवाल पूछा. सवाल था कि क्या मंत्रालय ने ज्योतिष शास्त्र को लेकर कोई पाठ्यक्रम बनाया है या नहीं. अगर बनाया है तो उसकी जानकारियां मुहैया कराई जाएं और नहीं बनाया है तो उसका भी कारण बताएं. मंत्रालय ने जवाब दिया कि अभी तक ज्योतिष शास्त्र से जुड़ी नौकरियों का सृजन नहीं किया गया है.

भले ही ज्योतिष को लेकर मंत्रालय ने कोई पाठ्यक्रम न बनाया हो मगर एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री ज्योतिष को लेकर काफी गंभीर हैं. अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘मंत्री जी मंत्रालय की मीटिंग्स पंडित जी के बताए समय पर ही तय करते हैं. जैसे सुबह की मीटिंग का समय 10:37 है.’ बनारस के सूत्रों के मुताबिक मंत्री जी इसी सप्ताह बनारस रुद्राभिषेक कराने भी गये थे.


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गौरतलब है कि इस बार स्किल डेवलपमेंट मंत्रालय केंद्रीय नेता महेंद्रनाथ पांडे और राज्यमंत्री आरके सिंह के हवाले है. दोनों ही यूपी और बिहार जैसे राज्यों से आते हैं. पिछली बार धर्मेंद्र प्रधान और अनंत कुमार हेगड़े इस मिनिस्ट्री का जिम्मा सौंपा गया था.

ज्योतिष से परे एक जरूरी सवाल

चार अलग-अलग जगहों से चलाए जा रहे मंत्रालय की बिल्डिंग का शिल्यानास 2018-19 में दिल्ली के आरके पुरम में किया गया था. जिसे पूरा होने में सालों लगेंगे. तब तक फाइलें, अधिकारी और पूरे मंत्रालय की इस बिल्डिंग से उस बिल्डिंग में अपनी जगह तलाश रही हैं. कभी मंत्रालय श्रम शक्ति भवन से करोल बाग तो कभी पीटीआई बिल्डिंग तक इधर से उधर तक घुमाई जाती रहेंगी. पिछले दिनों एक दफ्तर को कनॉट प्लेस के शिवाजी स्टेडियम से उठाकर पीटीआई बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया था. इससे भी मंत्रालय का काम कई दिनों तक प्रभावित रहा था.

दिल्ली के कौशल सेंटर खाली पड़े

दिल्ली के एक कौशल सेंटर में बात करने पर एक अधिकारी ने बताया, ‘खांसी या छींक आना भी हम कौशल विकास मंत्रालय की दी गई नौकरी में ही गिन लेते हैं. दिल्ली के आधे से ज्यादा स्किल सेंटर तो बंद पड़े हैं बाकी जो चालू हैं उनमें भी काम चलाऊ काम ही चल रहा है.’ पिछले दिनों एक अखबार की रिपोर्ट में छापा गया था कि दिल्ली के 258 कौशल केंद्रों में से सिर्फ 15 ही चल रहे हैं.


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हिंदी को लेकर गंभीर हैं मंत्री

हिंदी में पीएचडी कर चुके महेंद्रनाथ पांडे ने मंत्रालय की ‘नोटिंग्स’ भी हिंदी में ही करने को कहा है. ऐसे में हिंदी का तो बढ़िया डेवलपमेंट हो रहा है लेकिन अधिकारियों को गूगल ट्रांसलेटर का सहारा लेना पड़ रहा है.

गौरतलब है कि सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में जोर शोर से ‘स्किल इंडिया’ का नारा बुलंद किया था. उसके बाद स्किल डेवलपमेंट मिनिस्ट्री भी बनाई गई लेकिन समय बीतने के साथ ही ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ की तरह ही इस मिनिस्ट्री का भी जादू फीका पड़ गया. इस बार देश के विकास के मामले में पिछड़े दो राज्यों के मंत्रियों को नेतृत्व दिया गया है. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि ज्योतिष और राहु-केतु से निकलकर कैसे इंडिया, ‘स्किल इंडिया’ बनता है.

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