नई दिल्ली: राजस्थान में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की अगुवाई वाली सरकार की कार्यप्रणाली की उसके अपने विधायकों द्वारा आलोचना किए जाने के कारण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए अपने समर्थकों को संभालना मुश्किल होता जा रहा है.
सीएम शर्मा को भाजपा विधायक द्वारा पत्र लिखकर प्रशासन पर अधिकारियों के तबादलों पर उनकी दलीलों को नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगाने से लेकर, सरकारी विभागों की आलोचना करने के बावजूद कई महीनों से सरकार की तरफ लटके एक वरिष्ठ मंत्री के इस्तीफे तक और एक अन्य भाजपा विधायक द्वारा सरकारी परियोजना में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाने तक — सरकार विवादों में घिरी है.
मामले को और बदतर बनाते हुए राजस्थान में भूजल के इस्तेमाल को रेगुलेट करने वाले विधेयक को विपक्ष और भाजपा विधायकों द्वारा आलोचना किए जाने के बाद समीक्षा के लिए विधानसभा की एक प्रवर समिति को वापस भेज दिया गया.
राज्य की राजनीति में आदिवासी नेता और दिग्गज किरोड़ी लाल मीणा ने जून 2025 में अपना इस्तीफा सौंप दिया, लेकिन सीएम ने इसे स्वीकार नहीं किया. मीणा द्वारा अपने फोन को टैप किए जाने का आरोप लगाए जाने के बाद, राजस्थान भाजपा प्रमुख मदन राठौर ने उन्हें ‘अनुशासनहीनता’ के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया, उस समय मीणा ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने अपना जवाब दे दिया है.
हालांकि, वे प्रशासन के कामकाज से जुड़े मुद्दे उठाते रहते हैं. कुछ दिनों तक चुप रहने के बाद, मीणा ने फिर से सरकार से 17 मार्च को सब-इंस्पेक्टर (एसआई) भर्ती परीक्षा रद्द करने की मांग की, जिसकी मांग वे लगातार उठा रहे हैं. अलवर में, भूमि अतिक्रमण, बिल्डरों द्वारा अवैध कब्जे और लंबित मामलों का जायज़ा लेते हुए, अलवर के प्रभारी मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे परीक्षा ‘फर्ज़ी पुलिस’ के मुद्दे को जन्म दे सकती है. वे पुलिस अत्याचारों के बारे में शिकायतें सुन रहे थे.
इस महीने की शुरुआत में प्रशासनिक तबादलों पर भाजपा विधायक खींवसर रेवंत राम डांगा द्वारा सीएम को लिखा गया एक पत्र भी वायरल हुआ था. तब, भाजपा के कई लोगों ने बताया कि नौकरशाही के सरकार चलाने के तरीके से कई विधायक परेशान थे. जनवरी में लिखा गया यह पत्र मार्च में सामने आया, जिसका इस्तेमाल कई लोगों ने सरकार पर निशाना साधने के लिए किया.
दिप्रिंट से बात करते हुए, राजनीतिक विश्लेषक ओम सैनी ने कहा कि समस्या सीएम की सभी नेताओं को साथ लेकर चलने की अक्षमता के कारण है.
सैनी ने कहा, “वसुंधरा राजे एक सफल सीएम थीं और इसके पीछे एक कारण यह था कि मतभेदों के बावजूद, वे सभी को साथ लेकर चल सकती थीं, चाहे चुनाव के दौरान हो या शासन के दौरान. शर्मा ‘पर्ची वाला सीएम’ रहे हैं और आज तक यही उनकी पहचान है.”
यह भी पढ़ें: किरोड़ी लाल की बगावत से लेकर अपने ही विधायक पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों तक — राजस्थान भाजपा की बढ़ी मुश्किलें
‘न्याय होगा’
एक अक्टूबर 2024 को राजस्थान सरकार ने 2021 एसआई भर्ती परीक्षा में पेपर लीक की जांच के लिए छह सदस्यीय मंत्रिस्तरीय समिति का गठन किया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि परीक्षा रद्द की जानी चाहिए या नहीं, जैसा कि राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने मांग की थी.
मीणा परीक्षा रद्द करने के बारे में काफी मुखर रहे हैं. उन्होंने कई मौकों पर बताया कि राजस्थान पुलिस विशेष अभियान समूह, पुलिस मुख्यालय, महाधिवक्ता और एक कैबिनेट उप-समिति जैसी एजेंसियों ने सभी ने इसकी सिफारिश की है.
उन्होंने पूछा, “अगर ऐसी परीक्षाएं रद्द नहीं होती हैं, तो पुलिस थानों में बड़ी संख्या में फर्ज़ी एसएचओ होंगे. ऐसी स्थिति में कानून-व्यवस्था की स्थिति क्या होगी?”
मीणा, जिन्हें कुछ भाजपा नेताओं के साथ विवाद के लिए जाना जाता है, परीक्षा रद्द करने की मांग उठा रहे हैं, लेकिन जो बात हैरान करने वाली है, वह यह है कि नोटिस मिलने के बावजूद उन्होंने इसे बंद नहीं किया है. उन्होंने सबसे पहले कांग्रेस सरकार के सत्ता में रहने के दौरान परीक्षा रद्द करने की मांग उठाई थी.
भजन लाल शर्मा सरकार ने हाई कोर्ट को सूचित किया कि पेपर लीक के आरोपों और गड़बड़ियों से घिरी 2021 की एसआई भर्ती परीक्षा जल्दबाज़ी में रद्द नहीं की जाएगी.
राजनीतिक विश्लेषक सैनी के अनुसार, पार्टी मीणा जैसे बागी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती, क्योंकि वे समुदाय के वोट बैंक से जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी मतदाताओं को नाराज़ करने का जोखिम नहीं उठा सकती.
सैनी ने कहा, “मीणा शायद अकेले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने राजे के खिलाफ आवाज़ उठाई है. उनके लिए, उनके समुदाय का कल्याण सबसे पहले है और उन्हें पता है कि उन्हें मीणा या आदिवासी वोट बैंक से भारी समर्थन है. पार्टी के लिए कोई विकल्प नहीं है. वे आदिवासी वोट बैंक को नाराज़ करने का जोखिम नहीं उठा सकती. वे अपनी बात कहते रहेंगे, लेकिन कुछ सीमाओं के साथ.”
अलवर में पत्रकारों से बात करते हुए मीणा ने कहा कि वे किसी भी कीमत पर एसआई भर्ती परीक्षा के पेपर को रद्द करवाने की कोशिश करेंगे.
उन्होंने कहा, “हम इन मुद्दों को खत्म नहीं होने देंगे. न्याय ज़रूर होगा. मैं दुखी हूं…मांग करने के बावजूद, पेपर रद्द नहीं किया गया है, लेकिन मैं हमेशा ऐसे मुद्दों पर लड़ता रहूंगा. चाहे वह भ्रष्टाचार हो या पेपर लीक, मैं इन मुद्दों को उठाता हूं और मैं उन्हें खत्म नहीं होने दूंगा.”
दिप्रिंट से बात करते हुए एक अन्य राजनीतिक विश्लेषक डॉ. प्रताप सिंह ने कहा कि राजस्थान में सामने आ रहे “संकट” के पीछे एक कारण पार्टी संगठन और सरकार के बीच समन्वय की कमी है.
उन्होंने कहा, “नौकरशाही हावी हो रही है, संगठन और सरकार में तालमेल नहीं है. विधायकों में भी विश्वास की कमी है. केंद्र अभी भी प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति में व्यस्त है और राज्यों में चुनावों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और राजस्थान प्राथमिकता नहीं है.”
सिंह ने कहा, “मीणा लगातार अपनी आवाज़ उठा रहे हैं. अब, वे भू-माफियाओं और पुलिस अत्याचारों के बारे में भी बात कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि ये सार्वजनिक मुद्दे हैं और इसलिए, उन्हें हमेशा उनका समर्थन मिलेगा. साथ ही, राज्य इकाई के कार्यकर्ता प्रेरित नहीं हैं क्योंकि कांग्रेस से आए कई लोगों को पार्टी के लिए कड़ी मेहनत करने वाले ‘असली’ कार्यकर्ताओं पर तरजीह दी गई है.”
यह भी पढ़ें: झारखंड में भाजपा की हार से क्या राज्य की राजनीति में लौटने को रघुबर दास के लिए खुला है रास्ता
‘भजन लाल सरकार के लिए शर्मनाक’
सूत्रों के अनुसार, पार्टी और सरकार पार्टी विधायकों द्वारा सरकार के खिलाफ खुलेआम मुद्दे उठाने से चिंतित हैं. पार्टी के एक नेता ने दिप्रिंट को बताया कि डांगा का पत्र वायरल होने के तुरंत बाद पार्टी ने डैमेज कंट्रोल के तौर पर उनसे सार्वजनिक रूप से स्पष्टीकरण जारी करने को कहा गया था.
डांगा के पत्र में आरोप लगाया गया है कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) से जुड़े पदाधिकारी और कार्यकर्ता उनके विधानसभा क्षेत्र में प्रशासनिक पदों पर काबिज़ हैं, जिससे भाजपा कार्यकर्ताओं में गुस्सा है.
डांगा के पत्र, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास है, इसमें लिखा है कि तबादलों को लेकर उनकी सिफारिशों पर ध्यान नहीं दिया गया और आरएलपी विचारधारा से जुड़े अधिकारियों को प्रमुख पद मिलते रहे. उन्होंने सरकार को आगाह किया कि अगर वह ठोस कार्रवाई करने में विफल रही तो इसका असर आगामी नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनावों पर पड़ेगा.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “डांगा ने इस मामले का तत्काल संज्ञान लेने और उनकी सिफारिशों के अनुसार अधिकारियों के तबादले की मांग की थी. पत्र लीक होने के बाद से उन्होंने स्पष्टीकरण जारी किया है. यह सरकार के लिए शर्मनाक है.”
पत्र में डांगा ने आगे आरोप लगाया कि भाजपा विधायक हनुमान बेनीवाल खींवसर में सत्ता का आनंद ले रहे हैं और उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की कोशिश चल रही है.
दिप्रिंट ने डांगा से संपर्क किया, लेकिन वे टिप्पणी के लिए मौजूद नहीं थे.
राजस्थान भाजपा प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने कहा, “डांगा जी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि यह जनवरी का पुराना पत्र है. पत्र में उठाए गए सभी मुद्दे हल हो चुके हैं और उनकी मांगें मान ली गई हैं, इसलिए अब इस मुद्दे को उठाने का कोई मतलब नहीं है. साथ ही, जहां तक किरोड़ी लाल मीणा जी का सवाल है, यह हमेशा अच्छा होता है कि वे लोगों से जुड़े मुद्दों को उठाते रहते हैं और सरकार हमेशा कार्रवाई करती है. विपक्ष के पास करने के लिए कुछ और नहीं है, इसलिए वह इन मुद्दों को उठाता रहता है.”
हालांकि, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने मौजूदा राजनीतिक हालात को स्पष्ट करते हुए कहा कि केंद्रीय नेतृत्व दिल्ली से सरकार चला रहा है. उन्होंने कहा, “हर कोई जानता है कि नौकरशाहों को सीधे केंद्र से निर्देश मिल रहे हैं; सभी फैसले वहीं लिए जाते हैं. इसलिए, स्वाभाविक रूप से, विधायक और नेता अपनी चिंताओं को व्यक्त करने के लिए लीक हुए पत्र का इस्तेमाल करेंगे. वह जानते हैं कि कोई दूसरा विकल्प नहीं है.”
बुधवार को भाजपा विधायक बालमुकुंदाचार्य ने जयपुर के परकोटा क्षेत्र में चल रहे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए और अधिकारियों पर सवाल उठाए. हालांकि, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि काम की गुणवत्ता में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है.
भाजपा के कई लोगों ने यह भी दावा किया कि पार्टी के विधायक निराश हैं, क्योंकि वह कई साल बाद “सत्ता” का आनंद लेने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन, आज भी, विपक्षी नेताओं को अधिक “सम्मान” मिल रहा है.
पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा, “सत्ता में न होने के बावजूद, राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता टीका राम जूली और गोविंद सिंह डोटासरा जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेता सरकार को अपने पैरों पर खड़ा कर रहे हैं और राजस्थान की राजनीति पर उनकी अच्छी पकड़ है. कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान पद पर रहे कुछ अधिकारियों के साथ भी उनके अच्छे संबंध हैं.”
भजन लाल शर्मा सरकार के लिए स्थिति शर्मनाक हो गई है, यहां तक कि विधानसभा के भीतर भी. इसकी आलोचना न केवल विपक्ष बल्कि उसके विधायकों द्वारा भी की गई है.
उदाहरण के लिए पिछले अगस्त में प्रवर समिति को भेजा गया भूजल के इस्तेमाल वाला विधेयक फरवरी में फिर से समिति को सौंप दिया गया.
भाजपा सरकार के लिए स्थिति शर्मनाक हो गई, क्योंकि विपक्ष के अलावा भाजपा विधायकों ने भी विधेयक का विरोध किया.
नाथद्वारा से भाजपा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ ने विधानसभा में बोलते हुए कहा कि जल संरक्षण महत्वपूर्ण है, लेकिन अस्पष्ट विधेयक भ्रष्टाचार का कारण बन सकता है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: झारखंड चुनाव में हार के एक महीने बाद भी BJP ने विपक्षी नेता का क्यों नहीं किया चयन