नई दिल्ली: देश एक बार फिर शर्मसार हुआ है. देश में ट्यूबवेल और बोरवेल के गड्ढे आखिर कब तक खुले छोड़े जाते रहेंगे और कब तब इसमें मासूम फंसते रहेंगे. हादसे आखिर कब तक होते रहेंगे? इसका जवाब कोई देना नहीं चाहता है. हर घटना से सीखने की बात होती है पर घटना दर घटना होती रहती है और मासूम मौत के कुएं में गिरते रहते हैं. मौत के ऐसे गड्ढे कब भरे जायेंगे प्रशासन इसका जवाब नहीं दे पा रहा हैं. आखिर कब तक मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ होता रहेगा?
प्रिंस से शुरू हुआ सिलसिला
आपको याद होगा पांच साल का प्रिंस. जिसके गड्ढे में गिरने और बाद में बचाने की कोशिश लाईव टेलीविज़न पर दिखाई जा रही थी. लोग घरों में बैठ कर इस रियलिस्टिक खोज के ड्रामें पर आंखे गड़ाए बैठे थे. मंदिरों में भगवान से गुहार और देशभर में पूजा-पाठ का दौर चला था. और 60 फीट नीचे गिरे प्रिंस की हर सांस के साथ देश की सांस जुड़ गई थी. वो 49 घंटे प्रिंस के परिवार के लिए सबसे कठिन थे और देश उनके साथ खड़ा था. पर लंबे समय की जद्दोजहद के बाद प्रिंस की जान बच गई. पर बाद में कई और प्रिंस बच नहीं पाये. बोरवेल खुले पड़े रहे और लोगों ने कोई सीख नहीं ली.
कुछ बचे कुछ नहीं बचाए जा सके
4 फरवरी 2007 को मध्य प्रदेश के कटनी जिले में 2 साल का अमित 56 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था. 48 घंटे से ज्यादा समय तक चले ऑपरेशन के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका.
गुजरात के करमाडिया में 3 साल की आर्ती बोरवेल में गिरी और उसको बचाने का प्रयास भी हुआ. लेकिन उसको बचाया नहीं जा सका उसकी मौत हो गई.
7 अप्रैल 2007 में गुजरात के मेहसाणा जिले में 5 वर्षीय सानू गिरा था. बच्चे को बचाने के लिए सेना तक की मदद ली गई, लेकिन सारे प्रयास नाकामयाब रहे. सानू की मौत बोरवेल में ही हो गई थी.
20 जून 2012 में गुड़गांव में 68 फुट गहरे बोरवेल में माही गिर गई थी. उसे बचाने के लिए 64 घंटों तक प्रयास जारी रहा. माही निकल तो गई लेकिन जिन्दा नहीं थी.
पंजाब के संगरूर जिले के एक गांव में 150 फुट गहरे बोरवेल में गिरे दो वर्षीय बच्चे का पांच दिन के बचाव अभियान चल रहा था. जिसको मंगलवार सुबह निकाल लिया गया था. 150 फुट गहरे बोरवेल में गिरे दो वर्षीय बच्चे फतेहवीर सिंह को मंगलवार को बोरवेल से निकाले जाने के बाद मृत घोषित कर दिया गया. अधिकारियों ने कहा कि बोरवेल से निकाले जाने के फौरन बाद बच्चे को घटनास्थल से करीब 130 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ के पीजीआई हॉस्पिटल ले जाया गया था.
बच्चे के दादा रोही सिंह ने घटनास्थल पर मौजूद पत्रकारों से सवालिया लहजे में कहा, ‘जब उसकी मौत हो चुकी है तो फिर उसे अस्पताल क्यों ले जाया गया? उन्होंने दावा किया कि बच्चे के शरीर पर गंभीर जख्म थे. बोरवेल से उसे रस्सी का इस्तेमाल कर निकाला गया था. फतेहवीर के पिता सुखमिंदर सिंह ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है.
Punjab CM Cpt Amarinder Singh tweets, "Very sad to hear about tragic death of young Fatehveer. I pray Waheguru grants his family strength to bear this huge loss. Have sought reports from all DCs regarding any open bore well, so such terrible accidents can be prevented in future." pic.twitter.com/9aLrDI21zc
— ANI (@ANI) June 11, 2019
बता दें बच्चा छह जून को बोरवेल में गिर गया था. उसे राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के बचाव दल द्वारा बोरवेल से निकाला गया था.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि युवा फतेहवीर की दुखद मौत के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ. मैं प्रार्थना करता हूं कि वाहेगुरू उसके परिवार को इस भारी नुकसान को सहन करने की. वहीं इस दौरान संगरूर में ग्रामीण फतेहवीर की मौत के बाद प्रदर्शन कर रहे हैं.