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सोमवार, 28 अप्रैल, 2025
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कर्नाटक के मंत्री तिम्मापुर पहलगाम आतंकी हमले पर बयान देकर कैसे मुश्किल में फंसे

आबकारी मंत्री की टिप्पणियों ने कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया के उस बयान पर पहले से ही चल रहे विवाद को और हवा दे दी है जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के साथ युद्ध करने की कोई ज़रूरत नहीं है.

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बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के पाकिस्तान के साथ युद्ध से बचने के बयान पर विवाद के बीच, उनके एक मंत्री ने एक और विवाद खड़ा कर दिया है. उन्होंने सवाल उठाया है कि पहलगाम के आतंकवादी किसी व्यक्ति की जान लेने से पहले उसका धर्म कैसे पूछ सकते हैं.

आबकारी मंत्री आर.बी.तिम्मापुर ने शनिवार को बागलकोट में संवाददाताओं से कहा, “कोई भी व्यक्ति जो गोली चलाने वाला होता है, वह जाति (या धर्म) पूछ सकता है. आप व्यावहारिक रूप से सोचिए, वह गोली चलाएगा और फिर भाग जाएगा.”

उन्होंने कहा, “कारगिल, पुलवामा और अब इस मामले में खुफिया जानकारी के स्तर पर चूक हुई. जब हम उनसे इस बारे में पूछते हैं, तो वह कहते हैं कि उन्होंने हिंदू पहचान पत्र देखा और फिर गोली मार दी. क्या उन्होंने किसी मुस्लिम को नहीं मारा? अगर आप इस सबका राजनीतिकरण करना चाहते हैं, तो स्थिति हमें कहां ले जाएगी?”

कई लोगों ने बयानों पर नाराज़गी जताई क्योंकि ऐसी खबरें आई हैं कि आतंकवादियों ने धर्म की पहचान करने के बाद 26 हत्याएं कीं. कर्नाटक के शिवमोगा में एक पीड़ित की पत्नी ने भी कहा था कि उसके पति की भी इसी तरह गोली मारकर हत्या की गई थी.

तिम्मापुर की टिप्पणियों ने सिद्धारमैया के उस बयान पर पहले से ही चल रहे विवाद को और हवा दे दी है जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के साथ युद्ध करने की कोई ज़रूरत नहीं है. सिद्धारमैया ने शनिवार को कहा था, “युद्ध करने की कोई ज़रूरत नहीं है, हमें सख्त कदम उठाने होंगे और सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना होगा. हम युद्ध के पक्ष में नहीं हैं.”

सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के एक टीवी चैनल की खबर छाई हुई है जिसमें सिद्धारमैया के बयान पर चर्चा की गई है. भाजपा के कई नेताओं ने इस खबर की क्लिपिंग पोस्ट की, जिसमें से कुछ ने कहा कि अगर कर्नाटक के मुख्यमंत्री कभी अपने शत्रु पड़ोसी से मिलने जाएंगे तो उन्हें बहुत अच्छा आतिथ्य मिलेगा.

कांग्रेस पार्टी का कहना है कि भारत के खुफिया नेटवर्क में खामियां थीं, जो 22 अप्रैल के हमले को रोकने में विफल रही और न ही पहलगाम में पर्यटकों को कोई सुरक्षा प्रदान की.

रविवार को विपक्ष के नेता आर. अशोक ने सिद्धारमैया पर निशाना साधते हुए कहा कि पड़ोसी देश के शांति दूत के रूप में उन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किया जाएगा.

उन्होंने कन्नड़ में एक्स पर लिखा, “जब देश बहुत संवेदनशील स्थिति का सामना कर रहा है, सीमा पर युद्ध का खतरा मंडरा रहा है, तो आप दुश्मन देश की कठपुतली की तरह काम नहीं कर रहे हैं. सार्वजनिक जीवन में आप जैसे लोगों की मौजूदगी हमारे देश की सबसे बड़ी त्रासदी है.”

सिद्धारमैया ने अपने बयान को स्पष्ट करने की कोशिश करते हुए कहा कि भारत को युद्ध तभी करना चाहिए, जब यह ज़रूरी हो और युद्ध इस समय समाधान नहीं है.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने रविवार को मैसूर में संवाददाताओं से कहा, “मैंने जो कहा वह यह था कि अगर यह ज़रूरी है, तो हमें युद्ध करना चाहिए.” उन्होंने कहा कि यह समाधान नहीं है और उन्होंने कभी यह टिप्पणी नहीं की कि ऐसा कभी नहीं किया जाना चाहिए.

मुख्यमंत्री ने बाद में एक्स पर एक लंबी पोस्ट लिखी, जिसमें उन्होंने अपनी टिप्पणियों के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा, “युद्ध हमेशा किसी देश का अंतिम विकल्प होना चाहिए. कभी भी पहला या एकमात्र विकल्प नहीं. केवल तभी जब दुश्मन को हराने के लिए हर दूसरा तरीका विफल हो जाए, किसी देश को युद्ध के लिए मजबूर होना चाहिए…”

उन्होंने कहा कि इस त्रासदी का इस्तेमाल कुछ “कुछ शरारती तत्वों” द्वारा किया जा रहा है जो देश के भीतर विभाजन पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं और “हमारे बीच शांति और एकता को भंग कर रहे हैं”.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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