मेरठ: उत्तर प्रदेश के रछौती गांव में गुरुवार को 52 वर्षीय मुनीश भावुक हो गए. जब उन्होंने अपने ‘राम’ पर गुलाब की पंखुड़ियां फेंकी और बीच-बीच में अपने दुपट्टे से अपना चेहरा पोंछती रहीं तो उनके चेहरे से आंसू बह निकले. उनके लिए यह पल “सपना सच होने” जैसा था.
1980 के दशक की प्रतिष्ठित टेलीविजन श्रृंखला रामायण में भगवान राम के किरदार के लिए प्रसिद्ध 72 वर्षीय अरुण गोविल जब रछौती पहुंचे, तो ऐसा लगा जैसे राम ने स्वयं अपनी उपस्थिति से गांव को गौरवान्वित किया हो.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने लोकसभा चुनाव के लिए ‘टेलीविजन के राम’ को मेरठ से मैदान में उतारा है. रछौती मेरठ की किठौर विधानसभा में आता है. भाजपा ने जनवरी में अयोध्या के राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद यह फैसला लिया. गोविल की उम्मीदवारी की घोषणा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 27 मार्च को की थी.
मुनीष ने कहा, “मैंने राम को अपने सामने देखा है. हम उन पर पूरे दिल से विश्वास करते हैं और अब जब वह वोट मांगने आए हैं, तो हम यह कैसे यह कर सकते हैं कि उनकी जीत सुनिश्चित न हो?”
जैसे ही गोविल गले में भगवा दुपट्टा डालकर सड़कों पर चले, प्रशंसकों की भीड़ ने उनका स्वागत किया. महिलाएं उनकी एक झलक पाने के लिए अपने घरों से बाहर निकलीं, अपने फोन पर तेज़ी से वीडियो रिकॉर्ड कर रही थीं, जबकि अन्य लोगों ने अपने छतों से उन पर फूलों की वर्षा की. बदले में, गोविल ने जितना संभव हो सका उतने लोगों से हाथ मिलाए, लोगों के द्वारा पहनाई जाने वाी मालाएं स्वीकार कीं और कभी-कभी अपने गले से एक माला किसी और के गले में डाल दी.
ऐसे ही एक महिला हैं 56 साल की सतबीरी. उन्होंने कहा, “यह माला मेरे लिए विशेष है. मेरे भगवान ने मुझे यह दिया है. उनके चेहरे पर वैसी ही मुस्कान है जैसी मैंने टीवी पर देखी थी.”
गुलाबी कुर्ता पहने, माथे पर सिन्दूर लगाए गोविल ने दिप्रिंट से कहा, “लोगों के इस प्यार को देखकर मेरा दिल भर जाता है. मैं इसके बदले में क्या दे सकता हूं? ऐसा प्यार सिर्फ भारत में ही मिल सकता है. जनता ने मुझे अपने दिल में खास जगह दी है. अब उनके लिए कुछ करने की मेरी बारी है.”
“यह सब राम के कारण हो रहा है. राम चाहते हैं, इसीलिए मैं यहां से चुनाव लड़ पा रहा हूं.”
हालांकि, डीडी नेशनल पर रामायण एपिसोड के मूल प्रसारण को 35 साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन शो के मुख्य पात्र के रूप में गोविल की छवि लोगों की यादों में बनी हुई है. यह संभवतः उन्हें आगामी चुनावों में अच्छी स्थिति में रखेगा. यह उनका पहला चुनाव है. कम से कम बीजेपी को तो यही उम्मीद है. पार्टी गोविल की राम वाली छवि का भरपूर इस्तेमाल कर रही है. यहां तक कि वह अपने अभियान के दौरान भगवान राम की तस्वीर का भी इस्तेमाल कर रहे थे, जब तक कि मेरठ जिला प्रशासन ने उन्हें इसको लेकर नोटिस जारी नहीं किया.
मेरठ निर्वाचन क्षेत्र में प्रतिदिन होने वाले गोविल के रोड शो के दौरान भाजपा कार्यकर्ता जोर-जोर से “जय श्री राम” के नारे लगाते हैं. प्रचार वाले वाहन पर स्पीकर से म्यूजिक बज रहा है: ‘दूध मांगोगे तो सीधा खीर देंगे हम, राम पे जो बात तो सीधा चीर देंगे हम’.
गोविल के फेसबुक पर 2 मिलियन से अधिक, एक्स पर लगभग 1.2 मिलियन और इंस्टाग्राम पर एक मिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं. इंस्टाग्राम पर उनके बायो में लिखा है, “रामायण के राम. विश्व के सबसे प्रिय राम”
भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल, जो मेरठ से मौजूदा सांसद हैं और तीन बार इस सीट से जीत चुके हैं, उनको इस साल टिकट नहीं दिया गया. हालांकि, उन्हें गोविल के कैंपेन का समर्थन करते हुए और रोड शो में उनके साथ जाते देखा जा सकता है.
दिप्रिंट से बात करते हुए अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने तीन बार मेरठ का प्रतिनिधित्व किया है और अब किसी नए को लाने का समय आ गया है. उन्होंने कहा, “लोगों में उत्साह है. लोग हमारी तरफ आ रहे हैं.” मेरठ में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा.
हालांकि ज़मीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं में कुछ नाराज़गी है, लेकिन उनका कहना है कि वे नाराज़ नहीं हैं. बीजेपी कार्यकर्ता राजेश शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, “हमने वोट देकर सभी को मौका दिया है, अब हम शबरी के राम को मौका दें.” जो राम का नहीं, वो किसी का नहीं. मोदी ने राम को हमारे बीच भेजा है,”
गोविल के अभियान पर युवाओं की प्रतिक्रिया थोड़ी अलग है – कम श्रद्धापूर्ण. वे हाथ जोड़ने के बजाय उनसे हाथ मिलाते हैं और उनके साथ अच्छे से मजाक करते हैं.
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा, जिनकी उम्र 50 साल के आसपास है, उनके मुताबिक उनके लिए गोविल राम हो सकते हैं, लेकिन युवा उन्हें एक अभिनेता और भाजपा उम्मीदवार के रूप में देख रहे हैं. उन्होंने कहा, “वर्तमान में, युवाओं में राष्ट्रीय स्वाभिमान के बारे में बहुत जागरूकता है. और जिस पार्टी से गोविल आते हैं वह राष्ट्रीय स्वाभिमान की राजनीति कर रही है. इसलिए लोग उनके साथ हैं,”
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काम पर सोशल इंजीनियरिंग
मेरठ का महत्व इस बात से पता चलता है कि 31 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहीं से बीजेपी के चुनाव अभियान की शुरुआत की थी.
मेरठ को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रवेश द्वार माना जाता है और 2009 से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में, हालांकि, भाजपा की जीत का अंतर करीब था क्योंकि राजेंद्र अग्रवाल ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार से सिर्फ 4,000 वोटों से जीत हासिल की थी. पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा, समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने गठबंधन कर लिया था.
लेकिन अब रालोद के भाजपा के साथ गठबंधन करने से जमीनी समीकरण बदल गए हैं.
गोविल के रोड शो के दौरान, राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के समर्थक – जो भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं – अपना गाना ‘आरएलडी आई रे’ बजा रहे हैं.
जिले के भाजपा नेताओं के अनुसार, आरएलडी का मेरठ में ओबीसी जाट समुदाय के बीच एक बड़ा समर्थन आधार है, जो निर्वाचन क्षेत्र की आबादी का लगभग 7 प्रतिशत है. यह भाजपा के लिए एक आवश्यक वोटबैंक है जो आगामी चुनावों के लिए अपने ओबीसी वोटबैंक पर पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रही है.
इस बीच, चुनाव आयोग के अनुसार, मेरठ में 18.9 लाख मतदाताओं में से लगभग एक तिहाई मुस्लिम हैं, जो सपा को वोट देते हैं.
हालांकि गोविल ने गुरुवार को फेसबुक पर एक वीडियो जारी कर कहा था, “उन लोगों से सावधान रहें जो आपको जातियों के नाम पर बांटना चाहते हैं, हम सभी भाई-बहन हैं”, वह जाटवों, जाटों, गुर्जर, राजपूत और त्यागी की बड़ी आबादी वाले गांवों का दौरा कर रहे हैं. यह कदम निर्वाचन क्षेत्र में अपने ओबीसी मतदाता आधार को बनाए रखने के साथ-साथ विभिन्न जाति समूहों में अपना समर्थन बढ़ाने की भाजपा की रणनीति के अनुरूप है. चौधरी चरण सिंह की मूर्ति से लेकर भीमराव अंबेडकर की मूर्ति तक, वह सभी पर माल्यार्पण कर रहे हैं.
मेरठ बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘चुनाव में जातियों पर विचार करना बहुत जरूरी है. चूंकि गोविल को चुनावी अनुभव कम है, इसलिए प्रदेश के अनुभवी नेता ही उनके कार्यक्रम तय कर रहे हैं. यदि आप राम के रूप में उनकी छवि को जातीय रणनीति के साथ जोड़ दें, तो जीत सुनिश्चित हो जाएगी.’
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुल 27 लोकसभा सीटें हैं. 2019 में आरएलडी-एसपी-बीएसपी गठबंधन के सामने बीजेपी सात सीटें हार गई थी.
प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि पश्चिमी यूपी में जाति एक बड़ा कारक होने के बावजूद, विकास ने लोगों के सोचने के तरीके को बदल दिया है.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “2014 और 2019 में भी इस क्षेत्र में जाति का तावीज़ टूटा और एक पार्टी के पक्ष में वोटों की गोलबंदी हुई. साथ ही सामाजिक सुरक्षा को भी मजबूत किया गया है. लोग अब सुरक्षित महसूस करते हैं और विकास ने दिल्ली से इस क्षेत्र की दूरी कम कर दी है.”
शर्मा का कहना है कि मेरठ परंपरागत रूप से भाजपा की सीट रही है और पिछले कुछ वर्षों में पार्टी ने अन्य दलों के समर्थन आधार में सेंध लगाई है. उन्होंने कहा, “अब, अगर इस क्षेत्र में मुस्लिम वोट एकजुट हो जाते हैं, तो सभी हिंदू वोट भाजपा के पक्ष में एकजुट हो जाएंगे.”
सपा ने दो बार अपना उम्मीदवार बदलने के बाद गोविल के खिलाफ दलित सुनीता वर्मा को मैदान में उतारा है. बसपा ने त्यागी समाज के वोटों पर नजर रखते हुए देवव्रत त्यागी को टिकट दिया है. मेरठ की आबादी में त्यागी लगभग 6 प्रतिशत और दलित लगभग 15 प्रतिशत हैं.
सपा मुस्लिम-दलित कॉम्बिनेशन पर दांव खेल रही है क्योंकि दोनों समुदाय मिलकर निर्वाचन क्षेत्र की लगभग आधी आबादी हो जाते हैं, जबकि बसपा ओबीसी को लुभाने की कोशिश कर रही है. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार भाजपा को नुकसान पहुंचाने वाले कम्युनिटी के वोटों में किसी बड़े विभाजन की संभावना नहीं है, जो भाजपा की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है.
‘जनसेवा करना चाहता था’
गांव की अधिकांश सड़कें, जहां से होकर गोविल गुजरते हैं, टूटी हुई थीं और नाली का पानी उन पर बिखरा हुआ था. हालांकि गोविल प्रचार के दौरान मुद्दों पर कम बोल रहे हैं, लेकिन गांवों में साफ-सफाई की कमी पर उन्होंने कहा, ”स्वच्छता बहुत जरूरी है. हमारे गांव स्वच्छ होने चाहिए. जीतने के बाद मैं इस दिशा में काम करने पर ध्यान केंद्रित करूंगा.
मेरठ में अपने अभियान के दौरान, गोविल ने बार-बार कहा कि मेरठ में रहकर जनता की ‘सेवा’ करने की जरूरत है.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “मैंने रामायण के माध्यम से वर्षों तक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से समाज की सेवा की. लेकिन मैंने सोचा, जब मैं अपनी मृत्यु शय्या पर होऊं, तो मैं अपनी सार्वजनिक सेवा के लिए जाना जाना चाहूंगा.”
उन्होंने मेरठ में व्याप्त स्वच्छता के मुद्दे पर भी बात की और कहा, “स्वच्छता बहुत महत्वपूर्ण है. हमारे गांव स्वच्छ होने चाहिए. जीतने के बाद मैं इस दिशा में काम करने पर ध्यान केंद्रित करूंगा.
रामायण में गोविल के साथ काम करने वाले अन्य कलाकार जैसे दारा सिंह, अरविंद त्रिवेदी और दीपिका चिखलिया सभी सांसद रह चुके हैं, लेकिन उन्होंने 2021 में तब तक राजनीति से दूरी बनाए रखी, जब वह अयोध्या विवाद के फैसले के दो साल बाद भाजपा में शामिल हो गए.
मेरठ के नंगली किठौर गांव निवासी 70 वर्षीय रमेश चंद्र भारद्वाज ने गुरुवार को गोविल को माला पहनाई और कहा, ‘अगर आप हमारे गांव नहीं आते तो भी हम आपके साथ होते. और अब जब आप यहां आ गए हैं तो आपके न जीतने का कोई सवाल ही नहीं है.”
हालांकि, ज़मीनी स्तर पर भाजपा कार्यकर्ताओं में संशय है. दिप्रिंट से बात करते हुए, भाजपा कार्यकर्ता रवींद्र सिंह ने कहा, “कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन जीतता है, वे चुनाव के बाद निर्वाचन क्षेत्र का दौरा नहीं करेंगे. बिल्कुल अग्रवाल की तरह. लेकिन ज़मीनी स्तर पर कुछ मुद्दे हैं जो लोगों को परेशान कर रहे हैं. हमारे क्षेत्र में आवारा पशुओं की बड़ी समस्या है. इस पर किसी नेता का ध्यान नहीं है. हम राम के नाम पर वोट देंगे और उन्हें जिताएंगे, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि हमारी समस्याएं हल हो जाएंगी.”
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