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Sunday, 22 December, 2024
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पार्क, जिम और फंड के साथ BJP हरियाणा में पंडित जसराज के प्रशंसकों को लुभाने में जुटी

जसराज का परिवार पिली मंडोरी गांव से आता है, जो सिरसा संसदीय सीट के तहत आता है. 2019 में बीजेपी यहां से जीती था, लेकिन हालिया घटनाक्रम के मुताबिक इनेलो फिर से मजबूत हो रही है.

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चंडीगढ़: भारतीय शास्त्रीय संगीत के धुर समर्थकों में से एक पंडित जसराज ने 27 साल बाद 31 दिसंबर 2003 को हरियाणा के फतेहाबाद जिले में अपने गांव पिली मंडोरी का दौरा किया था.

जैसे ही उनकी कार गांव के बॉर्डर पर पहुंची, वह इतने इमोशनल हो गए कि गाड़ी से उतरे और एक मुट्ठी मिट्टी लेकर उन्होंने उसे अपने माथे पर लगा लिया.

बाद में, उन्होंने गांव में एक सभा को संबोधित किया, जिनमें से कई लोग पड़ोसी गांवों से उन्हें सुनने आए थे.

तौलिये से आंसू पोछते हुए शुद्ध बगारी बोली में जसराज ने कहा, “मैं थाने की कहूं, मैंने तो किह शबद हिए कोनी पन लगिरिहा (मैं आपसे क्या कह सकता हूं? मेरे पास शब्द ही नहीं हैं)” “मेरा मन तो करे से इस रज्ज में लौट जूं. मेरे लिए यह भूमि बृंदावन से कम नहीं.” (मेरा मन करता हूं कि इस मिट्टी में लौट जाऊं.)

जसराज को बचपन में प्यार से “जसिया” कहा जाता था, अगस्त 2020 में अपनी मृत्यु तक हर साल वे पिली मंडोरी जाते थे, यहां तक कि 2014 तक गांव में अपना जन्मदिन भी मनाते थे.

जसराज की बेटी दुर्गा द्वारा स्थापित एक गैर-सरकारी संगठन पंडित जसराज कल्चरल फाउंडेशन ने शनिवार को उस्ताद की 93वीं जयंती के मौके पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया.

चंडीगढ़ के होटल ताज में आयोजित इस इवेंट में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और बॉलीवुड गायक सोनू निगम शामिल हुए.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्य के मुख्यमंत्री खट्टर ने गांव के लिए कई विकास परियोजनाओं और पंडित जसराज कल्चरल फाउंडेशन के लिए 21 लाख रुपये के फंड की घोषणा की.

गायिका और टीवी प्रेसेंटर दुर्गा जसराज इस फाउंडेशन की प्रमुख हैं.

हालांकि, यह सांस्कृतिक कार्यक्रम किसी राजनीतिक महत्व से कम नहीं था, क्योंकि यह 2024 के आम और हरियाणा विधानसभा चुनावों से दो साल पहले हुआ है.

पिली मंडोरी गांव सिरसा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है और फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है. 2007 के परिसीमन से पहले भट्टू कलां खंड के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र को लंबे समय से इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) का गढ़ माना जाता था- अधिक शक्तिशाली, लेकिन अब यह चौटाला के हाथ जा रहा है.

चौटाला का गढ़ होने के बावजूद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2019 में संसदीय और विधानसभा दोनों सीटों पर जीत हासिल की थी. यह इनेलो में विभाजन के कारण संभव हो पाया था.

हालांकि, हाल के दिनों में हवा का रुख इनेलो के पक्ष में जाता दिख रहा है. पार्टी ने इनेलो के संरक्षक ओमप्रकाश चौटाला के गृह जिले सिरसा में 13 जिला परिषद सीटों में से 10 पर जीत हासिल की है. यह एक ऐसी पार्टी के लिए बड़ी जीत है जिसका 2019 के विधानसभा चुनावों में सफाया हो गया था.


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पार्क, जिम, लाइब्रेरी- खट्टर सरकार के पिली मंडोरी गांव से वादे

न्यू जर्सी में स्थित उनके घर पर निधन के दो साल बाद पंडित जसराज के लिए शनिवार को यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था.

खट्टर ने इस गांव से जो वादे किए थे, उनमें इसके दोनों गेट पर स्वागत द्वार, लड़कों और लड़कियों के लिए दो वॉलीबॉल नर्सरी, एक पार्क, एक जिम और नया लाइब्रेरी हॉल शामिल थे.

सभा को संबोधित करते हुए, खट्टर ने कहा कि राज्य सरकार ने पंडित जसराज के गांव के विकास के लिए एक “ढांचा” तैयार किया है.

सीएम ने कहा, “यह गर्व की बात है कि पंडित जसराज जी का जन्म हरियाणा में हुआ था. उन्हें सबसे महान भारतीय शास्त्रीय गायकों में से एक माना जाता है. उनका योगदान संगीत जगत का खजाना है. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मैं पंडित जसराज जी की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए फाउंडेशन को हर संभव सहयोग दूंगा.”

खट्टर ने कहा कि किसी भी सरकार का काम बुनियादी ढांचे के विकास तक ही सीमित नहीं है, बल्कि समाज के कल्याण के लिए काम करना है. “इसमें एक सामाजिक जिम्मेदारी निभाना किसी भी सरकार के परम कर्तव्यों में से एक है”.

अपने भाषण के दौरान, दुर्गा जसराज ने घोषणा की कि फाउंडेशन “सांस्कृतिक जागरूकता विकसित करने और बनाए रखने” के लिए राज्य में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करेगी.


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‘अद्वितीय प्रतिभा के धनी’

28 जनवरी 1930 को जन्मे पंडित जसराज का संबंध संगीतकारों के परिवार से रहा है. उनके पिता मोतीराम और चाचा ज्योतिराम जम्मू-कश्मीर के शाही दरबार में गायक थे.

जसराज ने अपना गांव छोड़ दिया और अपने बड़े भाई पंडित मनीराम के संरक्षण में अपनी संगीत यात्रा जारी रखी. उन्होंने अभिनेता-निर्देशक वी. शांताराम की बेटी मधुरा से विवाह किया था. दुर्गा के अलावा, दंपति का एक बेटा सारंग देव भी है, जो म्यूजिक डायरेक्टर है, जिसे सलीम लंगड़े पे मत रो (1989), नसीम (1995) और ओम नमः शिवाय (1997) जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है.

उनके परिवार के अन्य सदस्य भी सिनेमा जगत का हिस्सा हैं – उनकी दो भतीजी सुलक्षणा पंडित और विजेता पंडित फिल्म अभिनेत्री रहीं, जबकि उनके भतीजे जतिन और ललित बॉलीवुड के जाने-माने संगीत निर्देशक हैं.

अपनी आवाज़ पर अपने असाधारण नियंत्रण, अपने संगीत के माध्यम से गहरी भावनाओं को व्यक्त करने की क्षमता और शास्त्रीय संगीत के लिए अपने अभिनव दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध पंडित जसराज ने जल्दी ही खुद को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की मेवाती शैली के प्रमुख समर्थकों में से एक के रूप में स्थापित कर लिया, जिसे मेवाती घराना कहा जाता है.

उन्होंने ही घराने को लोकप्रिय बनाने में मदद की, इस प्रकार हरियाणा और पूरे भारत में इस समृद्ध परंपरा को संरक्षित और बढ़ावा देने में मदद की.

भारतीय शास्त्रीय संगीत में पंडित जसराज के योगदान को उनके पूरे करियर में कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया, जिनमें भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण और प्रदर्शन कला के लिए देश का सर्वोच्च पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार शामिल हैं.

दिप्रिंट से बातचीत में, उनकी बेटी दुर्गा ने कहा कि फाउंडेशन के माध्यम से, उन्हें उम्मीद है कि उनके पिता संगीत के लिए जो कर रहे थे, वो लोग उसे जारी रख पाएंगे.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “हमारा संगीतकारों का परिवार रहा है. हालांकि, मेरे पिता पंडित जसराज ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में जो मुकाम हासिल किया है, वह अद्भुत है.”

दुर्गा ने अपने पार्टनर नीरज जेटली के साथ पिछले साल इस फाउंडेशन की नींव रखी थी. फाउंडेशन संगीत की सभी शैलियों में युवा संगीतकारों को बढ़ावा देता है और संगीत इंस्ट्रूमेंट्स के निर्माताओं की मदद करता है.

उन्होंने कहा, “यह विडंबना है कि हमारे देश में, एक संगीतकार तब तक खुद को नहीं पहचान पाता जब तक कि उसका गाना बॉलीवुड फिल्म में नहीं आता. पश्चिम में ऐसा नहीं है. वहां की म्यूजिक इंडस्ट्री हॉलीवुड के भरोसे नहीं है. संगीत अकेले संगीत के लिए भी हो सकता है. संगीत के अपने दर्शक हो सकते हैं.”

(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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