scorecardresearch
Wednesday, 17 December, 2025
होमराजनीतिहेराल्ड मामला: ED को अदालत की फटकार, कांग्रेस ने बताया ‘मुंह पर तमाचा’, BJP बोली—यह ‘प्रक्रिया’ है

हेराल्ड मामला: ED को अदालत की फटकार, कांग्रेस ने बताया ‘मुंह पर तमाचा’, BJP बोली—यह ‘प्रक्रिया’ है

नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की अभियोजन शिकायत पर दिल्ली अदालत द्वारा संज्ञान लेने से इनकार करने के एक दिन बाद कांग्रेस ने कहा, ‘अदालतें राजनीतिक स्क्रिप्ट के लिए थिएटर नहीं होतीं’.

Text Size:

नई दिल्ली: बुधवार को कांग्रेस नेतृत्व ने केंद्र सरकार पर अपना हमला और तेज़ कर दिया, जब दिल्ली की एक ट्रायल कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अभियोजन शिकायत पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के “चेहरे पर तमाचा” बताया.

खरगे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह मामला राजनीतिक बदले की भावना का नतीजा था. इसे गांधी परिवार को परेशान करने के लिए खड़ा किया गया था. इस फैसले के बाद मोदी और शाह को इस्तीफा दे देना चाहिए. यह उनके चेहरे पर तमाचा है. सच की जीत हुई है. हम इस फैसले का स्वागत करते हैं.”

मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत ने नेशनल हेराल्ड कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की अभियोजन शिकायत जो चार्जशीट के बराबर होती है पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया. इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नाम शामिल हैं. अदालत ने कहा कि ईडी के बार-बार याद दिलाने के बावजूद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज करने की कोई कार्रवाई नहीं की.

अदालत ने ईडी के तरीके की भी आलोचना की और इसे एकतरफा अतिरेक और गलत सलाह पर आधारित बताया. ईडी ने 3 अक्टूबर 2025 को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के जरिए एफआईआर दर्ज कराई थी और संकेत दिया है कि वह ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील कर सकता है.

इस बीच बीजेपी ने इस झटके को केवल प्रक्रियात्मक बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि अदालत ने आरोपों के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है. हालांकि, मामले की पैरवी करने वाले कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ईडी का अपील करने का अधिकार इस झटके को कम नहीं करता.

सिंघवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “जब आप हारते हैं तो आपको अपील करने का अधिकार होता है, लेकिन इससे आपकी हार कम नहीं हो जाती. फैसला फैसला होता है. आप चाहें तो इसे अपने फायदे के लिए तकनीकी कह सकते हैं. लेकिन उनसे पूछिए कि क्या पीएमएलए का उल्लंघन तकनीकी है? उन्होंने 2014 से 2021 तक एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की और इस मामले में उनके उन सभी मतों का क्या मतलब था, जिनमें कहा गया था कि कोई प्रेडिकेट अपराध बनता ही नहीं है?”

खरगे और कांग्रेस महासचिव (संगठन) के. सी. वेणुगोपाल के साथ मौजूद सिंघवी ने बताया कि ईडी और सीबीआई, दोनों ने पहले लिखित दलीलों में अदालत को कहा था कि बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर 2014 की शिकायत पर मजिस्ट्रेट के आदेश के आधार पर इस मामले में कोई प्रेडिकेट अपराध नहीं बनता. फिर भी 2021 में “आसमान से आदेश आता है” और ईसीआईआर दर्ज कर ली जाती है.

उन्होंने कहा, “इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन इसके बजाय आप अपीलों की बात कर रहे हैं. और अक्टूबर में नई एफआईआर सिर्फ मामले को जिंदा रखने के लिए दर्ज की गई. यह मामला हमेशा शब्दों में बड़ा और दम में कमजोर रहा है. अब जांच एजेंसियों की अतिरेक प्रवृत्ति को न्यायिक निगरानी का सामना करना पड़ा है. अदालतें राजनीतिक स्क्रिप्ट के लिए थिएटर नहीं होतीं. वे उचित प्रक्रिया के मंदिर हैं. यह कहानी राजनीतिक बदले और उत्पीड़न की कहानी है.”

ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत कांग्रेस के अन्य नेताओं और एक निजी कंपनी यंग इंडियन पर साजिश और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया है. ईडी का आरोप है कि नेशनल हेराल्ड अखबार प्रकाशित करने वाली एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की करीब 2,000 करोड़ रुपये की संपत्तियां अवैध तरीके से हासिल की गईं.

सिंघवी ने कहा, “यह एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है, जिसमें एक पैसा भी कहीं नहीं गया और न ही एक संपत्ति एक कदम भी इधर-उधर हुई. एजेएल अब भी मालिक है. एजेएल ने कर्ज को इक्विटी में बदला. सभी कंपनियां शेयर जारी कर ऐसा करती हैं. एजेएल के शेयर यंग इंडियन ने खरीदे, जो एक नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी है.”

कांग्रेस सांसदों ने इस मुद्दे को संसद में भी उठाया और इसे सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा ईडी के “दुरुपयोग” का उदाहरण बताया.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: मनीमाजरा स्ट्रीट वेंडर मामला: HC की टिप्पणी के बावजूद SC का 48 घंटे में अतिक्रमण हटाने का आदेश


 

share & View comments