गुरुग्राम: नौकरशाही के गलियारों में उन्हें हरियाणा के के. कैलाशनाथन (केके) के नाम से जाना जाता है. केके ने 2006 में गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में प्रवेश किया और 18 साल तक इस पद पर रहे – जिसमें 2013 में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद एक्सटेंशन भी शामिल है – जब तक कि उन्होंने इस साल जून में प्रमुख प्रधान सचिव के पद से इस्तीफा नहीं दे दिया.
राजेश खुल्लर, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के कार्यालय में प्रमुख प्रधान सचिव के रूप में वापस आ गए हैं, वे अप्रैल 2015 से हरियाणा सीएमओ में हैं. हो सकता है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उतने करीबी न हों जितने केके थे, लेकिन खुल्लर को हरियाणा के सत्ता के गलियारों में उतना ही दबदबा हासिल है, जिसका श्रेय पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर को जाता है, जो अब केंद्रीय कैबिनेट मंत्री हैं.
हरियाणा काडर के 1988 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी खुल्लर की प्रमुख प्रधान सचिव के रूप में पुनर्नियुक्ति कई दिनों तक अटकलों के बाद हुई.
खुल्लर पहली बार अप्रैल 2015 में विशेष प्रधान सचिव के रूप में खट्टर के सीएमओ में शामिल हुए थे, और जल्द ही उनके प्रधान सचिव बन गए. 2019 के चुनावों के बाद विश्व बैंक में कुछ समय बिताने के बाद, वह 31 अगस्त 2023 को अपनी सेवानिवृत्ति से ठीक पहले वापस लौटे और उसी वर्ष 1 सितंबर को प्रमुख प्रधान सचिव की भूमिका संभाली.
जब खट्टर ने 12 मार्च 2024 को सैनी को कमान सौंपी, तो खुल्लर अपनी भूमिका में बने रहे. अब, विधानसभा चुनावों में सैनी की शानदार जीत के बाद, खुल्लर कुछ नाटकीयता के बाद प्रमुख प्रधान सचिव के पद पर वापस आ गए हैं.
17 अक्टूबर को, मुख्य सचिव कार्यालय ने शुरू में खुल्लर को कैबिनेट रैंक के साथ प्रमुख प्रधान सचिव के रूप में नियुक्त करने का आदेश जारी किया था, लेकिन कुछ घंटों बाद ही इसे वापस ले लिया गया. अंत में, 22 अक्टूबर को, एक नए आदेश ने 17 अक्टूबर से प्रभावी, कैबिनेट रैंक के बिना उनकी नियुक्ति की पुष्टि की, और कहा कि यह अगली सूचना तक या सीएम का कार्यकाल समाप्त होने तक जारी रहेगा.
उनके साथ काम करने वाले खुल्लर को कुशल और जटिल फाइलों को तेजी और सटीकता के साथ नेविगेट करने में सक्षम बताते हैं. वे उनके “गहरे आध्यात्मिक पक्ष” और सूफी संगीत और कबीर भजनों के प्रति उनके लगाव की भी चर्चा करते हैं.
हरियाणा के एक वरिष्ठ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता, जिन्होंने खट्टर के अधीन मंत्री के रूप में काम किया, ने कहा कि खुल्लर की वफादारी – खासकर पूर्व सीएम के प्रति – उनकी खासियत थी.
नेता ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं यह नहीं कहूंगा कि उनके बिना काम नहीं हो सकता है; कोई भी ऐसा नहीं होता जिसके बिना काम न चल सके. हमारी पार्टी में, किसी को भी, चाहे उसका कद कुछ भी हो, 2014 के बाद मिनटों में उसकी जगह दिखाई जा सकती है.”
हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि खुल्लर की वफादारी ने पिछले कुछ सालों में उनके महत्व को रेखांकित किया है. उन्होंने कहा कि जहां कुछ अधिकारी पार्टी की सत्ता में वापसी की उम्मीद में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को सलाम करते देखे गए, वहीं खुल्लर भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए समर्पित थे.
‘उनके कुछ फैसलों की वजह से भाजपा को भारी कीमत चुकानी पड़ी’
खट्टर के नेतृत्व में खुल्लर सीएमओ में सबसे ताकतवर अधिकारियों में से एक बनकर उभरे थे और उनके अधीन कई अहम विभाग थे.
और जबकि कुछ आलोचकों का कहना है कि खट्टर के साथ उनके करीबी रिश्ते की वजह उनकी साझा पंजाबी पृष्ठभूमि है, फिर भी वे एक प्रशासक के तौर पर उनकी योग्यता को पहचानते हैं.
सीएमओ में खुल्लर के कार्यकाल के दौरान, हरियाणा में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए तीन प्रमुख क्षेत्रों से संबंधित प्रक्रियाओं को कम्प्यूटरीकृत करके महत्वपूर्ण प्रयास किए गए: सरकारी भर्ती, स्थानांतरण और भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू). ये क्षेत्र लंबे समय से भ्रष्टाचार से जुड़े हुए थे, और हरियाणा अक्सर कुख्यात “स्लिप सिस्टम” के कारण राष्ट्रीय सुर्खियों में रहता था.
एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने बताया कि खुल्लर जमीनी स्तर से जुड़े व्यक्ति हैं. दिप्रिंट ने एक अन्य पूर्व आईएएस अधिकारी से बात की, जिन्होंने उनके साथ मिलकर काम किया है, उन्होंने कहा कि खुल्लर चुनौतियों से निपटने में विशेष रूप से कुशल थे.
अधिकारी ने कहा, “वह अपने संसाधनों पर बहुत अच्छी तरह से नियंत्रण रखते हैं.”
हालांकि, पहले उद्धृत भाजपा नेता ने खुल्लर द्वारा लिए गए विवादास्पद निर्णयों की ओर भी इशारा किया.
भाजपा नेता ने कहा, “उनके कुछ निर्णय, विशेष रूप से संपत्ति पहचान पत्र, परिवार पहचान पत्र और पंचायतों में विकास कार्यों के लिए ई-टेंडरिंग जैसी पहल, जिसने सरपंचों की शक्तियों को कम कर दिया, हमारी पार्टी को बहुत महंगा पड़ा. ये लोकसभा चुनावों के दौरान महत्वपूर्ण मुद्दे थे, जहां हमने 10 में से पांच सीटें खो दीं. हालांकि, विधानसभा चुनावों के दौरान, नायब सैनी मतदाताओं को यह आश्वासन देकर इन विषयों पर जनता के गुस्से को नियंत्रित करने में सक्षम थे कि जो भी योजनाएं स्वीकार्य नहीं थीं, उन्हें रद्द कर दिया जाएगा या संशोधित किया जाएगा.”
एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने कहा कि अक्सर सफल निर्णयों का श्रेय समझदार सिविल सेवकों को जाता है, जबकि विफलताओं के लिए दूसरों को दोषी ठहराया जाता है.
अधिकारी ने कहा, “हरियाणा के नौकरशाही और राजनीतिक हलकों में, हर कोई जानता है कि संपत्ति आईडी को लेकर विवाद 1991 बैच के आईएएस अधिकारी वी. उमाशंकर से जुड़ा था, जो सीएमओ में प्रधान सचिव के रूप में कार्यरत थे. इसी तरह, ई-टेंडरिंग से जुड़े मुद्दों के लिए 2003 बैच के आईएएस अधिकारी अमित अग्रवाल को जिम्मेदार माना जाता है, जो उस समय सीएमओ में अतिरिक्त प्रधान सचिव के रूप में कार्यरत थे.”
एक अन्य घटना में, 2023 में, तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने खुल्लर को बिना किसी सूचना के स्वास्थ्य विभाग की बैठक की अध्यक्षता करने पर आपत्ति जताई थी.
खुल्लर का जीवन और करियर
खुल्लर का जन्म 31 अगस्त 1963 को अंबाला छावनी में हुआ था. उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और पंजाब विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक के साथ भौतिकी में एम.एससी. की डिग्री हासिल की. आईआईटी-दिल्ली में एमटेक करने के दौरान, उन्हें 1987 में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के लिए चुना गया और उन्हें महाराष्ट्र काडर में नियुक्त किया गया. हालांकि, हैदराबाद में राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में अपने प्रशिक्षण के दौरान, उन्हें 1988 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के लिए चुना गया और उन्हें हरियाणा काडर आवंटित किया गया.
खुल्लर के पास जापाने के टोक्यो में नेशनल ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिसी स्टडीज (GRIPS) से लोक प्रशासन में मास्टर डिग्री और हार्वर्ड केनेडी स्कूल से एक्ज़ीक्यूटिव डेवलेपमेंट में में डिप्लोमा भी है.
उन्होंने 2020 से 2023 के बीच विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्य किया. वह फरवरी 2023 में वापस लौटे और उन्हें अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) के रूप में तैनात किया गया.
1 सितंबर 2023 को, अपनी सेवानिवृत्ति के ठीक एक दिन बाद, खुल्लर को सीएम खट्टर का प्रमुख प्रधान सचिव नियुक्त किया गया.
1 सितंबर 2023 को, अपनी सेवानिवृत्ति के ठीक एक दिन बाद, खुल्लर को सीएम खट्टर का प्रमुख प्रधान सचिव नियुक्त किया गया.
नायब सैनी के सीएम बनने के बाद, खुल्लर उनके सीपीएस के पद पर बने रहे.
खुल्लर 2000 से 2005 तक ओ.पी. चौटाला के कार्यकाल के दौरान भी सीएमओ का हिस्सा थे.
(इस रिपोर्ट के लिए अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
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