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Wednesday, 13 November, 2024
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GPS ट्रैकर पहनकर J&K चुनाव में प्रचार करने वाले हाफिज सिकंदर की हुई भारी हार, रहे छठें स्थान पर

बांदीपुरा के गुंडपोरा इलाके से हाफिज मोहम्मद सिकंदर मलिक ने प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) कश्मीर के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था.

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नई दिल्ली: प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) कश्मीर के पूर्व जिला अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में अपने टखने पर जीपीएस ट्रैकर बांधकर चुनाव लड़ने वाले पहले उम्मीदवार हाफिज मोहम्मद सिकंदर मलिक, बांदीपुरा विधानसभा क्षेत्र से हार गए हैं.

दोपहर 2.15 बजे तक, वह इस सीट से सबसे आगे चल रहे उम्मीदवार कांग्रेस के निजाम उद्दीन भट से 16,000 से अधिक वोटों से पीछे थे. जम्मू-कश्मीर पुलिस अभी भी जीपीएस ट्रैकर के जरिए चौबीसों घंटे उन पर नजर रख रही है.

बांदीपुरा के गुंडपोरा इलाके से ताल्लुक रखने वाले सिकंदर ने 2024 के जम्मू-कश्मीर चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, जिसका समर्थन जमात-ए-इस्लामी कश्मीर ने किया था. उनके घोषणापत्र में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का विरोध करना शामिल था.

जेईआई को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं है क्योंकि इसे केंद्र ने प्रतिबंधित कर दिया है, लेकिन इसने 10 निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन करके लगभग चार दशकों के बाद अप्रत्यक्ष रूप से चुनावी प्रक्रिया में प्रवेश किया है. व्यापक धांधली के आरोप में 1987 में चुनावों का बहिष्कार करने तक यह पार्टी राज्य की चुनावी राजनीति में सक्रिय थी.

J&K में 10 साल में पहली बार हो रहा विधानसभा चुनाव

जम्मू-कश्मीर में 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए तीन चरणों में – 18 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच – मतदान हुआ जो कि पिछले 10 साल में पहली बार था.

चुनाव में मुख्य पार्टियां नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हैं.

सिकंदर ने तब काफी सुर्खियां बटोरी थीं जब वह जीपीएस लगा हुआ पट्टा पैरों में पहनकर नामांकन पत्र दाखिल करने गए थे. इस चुनाव में राज्य के विधानसभा चुनावों के इतिहास में दूसरे सबसे अधिक निर्दलीय उम्मीदवार भी थे. इससे पहले सर्वाधिक निर्दलीय उम्मीदावर 2008 में थे.

चुनाव के दौरान दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार में, सिकंदर ने कहा था कि ट्रैकर को लगभग तीन महीने पहले अदालत के निर्देश पर पहनने को कहा गया था, जो कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा जेईआई के खिलाफ जांच किए जा रहे एक मामले से संबंधित था. वह गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोपों का सामना कर रहे हैं, और जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के बाद 2019 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था. लेकिन उन्हें 2 दिसंबर 2023 को जमानत दे दी गई.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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