श्रीनगर: पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) ने पिछले दिसंबर में भले ही जिला विकास परिषद (डीडीसी) के पहले चुनावों के दौरान कश्मीर संभाग में शानदार जीत दर्ज की थी, लेकिन गठबंधन को शनिवार को उस समय बड़ा झटका लगा जब उसने दो जिलों में अध्यक्ष पद अपनी पार्टी के हाथों गंवा दिए.
अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग कर रहे इस एलायंस के लिए अपनी पार्टी मुख्य विपक्ष दल के तौर पर उभरी है.
अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता उस्मान मजीद ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी ने न केवल कश्मीर के अशांत क्षेत्र शोपियां में अपना दबदबा बनाया है, बल्कि नेशनल कांफ्रेंस का गढ़ कहे जाने वाले श्रीनगर को भी ‘छीन’ लिया है.
आठ विधानसभा सीटों वाले श्रीनगर जिले में अब महापौर और डीडीसी के अध्यक्ष का पद अपनी पार्टी के पास है.
चुनाव
जम्मू-कश्मीर के 20 जिलों में से प्रत्येक को 14 निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिनमें से हर एक का प्रतिनिधित्व करने के लिए डीडीसी सदस्य हैं.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने तीन जिलों श्रीनगर, शोपियां और कुलगाम में डीडीसी अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए शनिवार को चुनाव कराए. 2020 के डीडीसी चुनावों में जीते उम्मीदवारों यानी डीडीसी सदस्यों को एक जिला अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करना था.
कुलगाम में डीडीसी अध्यक्ष के रूप में माकपा सदस्य को और उपाध्यक्ष के तौर पर नेशनल कांफ्रेंस सदस्य को चुना गया. माकपा का गढ़ माना जाने वाला कुलगाम उन जिलों में से एक था, जहां गुपकर एलायंस विजेता के तौर पर उभरा था.
वहीं, शोपियां और श्रीनगर में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की चारों सीटों के लिए अपनी पार्टी के सदस्य चुने गए.
डीडीसी चुनाव में अपनी पार्टी ने 166 उम्मीदवार उतारे थे, उसने कश्मीर में नौ सीटें और जम्मू में तीन यानी कुल मिलाकर 12 सीटों पर सफलता हासिल की थी. अपनी पार्टी के पास सीटें भले ही 12 सीटें थीं, लेकिन उसके प्रमुख अल्ताफ बुखारी ने दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार में दावा किया था कि उनका समूह कश्मीर के चार से पांच जिलों और जम्मू के दो जिलों में शीर्ष पद पाने में सक्षम होगा.
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खरीद-फरोख्त के लगे आरोप
नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के अलावा निर्दलीय जीत हासिल करने वाले कई डीडीसी सदस्यों के चुनाव नतीजों के बाद अपनी पार्टी का दामन थामने को लेकर बुखारी की पार्टी पर खरीद-फरोख्त के आरोप भी लगे थे.
श्रीनगर में सात निर्दलीय जीते थे, जबकि तीन सीटें अपनी पार्टी के खाते में गई थीं. नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, भाजपा और पीपुल्स मूवमेंट ने एक-एक सीट जीती थी. अपनी पार्टी ने अब यहां अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर जीत हासिल कर ली है.
शोपियां में पीडीपी ने चार सीटें जीती थीं, नेशनल कांफ्रेंस को तीन और अपनी पार्टी को दो सीटों पर सफलता हासिल हुई थी. कांग्रेस ने एक और निर्दलीयों ने चार सीटें जीती थीं. यहां भी अपनी पार्टी ने दोनों शीर्ष पदों पर जीत दर्ज की है.
कुलगाम में नेशनल कांफ्रेंस और माकपा दोनों ने पांच-पांच सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस और पीडीपी ने दो-दो सीटों पर सफलता हासिल की. यहां डीडीसी सदस्यों ने सर्वसम्मति से अपना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुना.
अपनी पार्टी को बड़ा मौका मिला
अपनी पार्टी ने श्रीनगर और शोपियां में भले ही 28 सीटों में से केवल चार पर जीत हासिल की हो, लेकिन इसकी जीत ने कश्मीर में पार्टी के लिए दरवाजे खोल दिए हैं.
अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता उस्मान माजिद ने कहा, ‘लोगों ने सत्य की राजनीति के लिए मतदान किया है. गुपकर एलायंस 72 सालों से लोगों से झूठ बोल रहा है और भावनाओं की राजनीति कर रहा है. शनिवार के नतीजों ने साबित कर दिया है कि लोगों ने भावनाओं की राजनीति को खारिज कर दिया है.’
भाजपा नेता और श्रीनगर से डीडीसी सदस्य ऐजाज हुसैन, जिन्होंने अपनी पार्टी के उम्मीदवार को वोट दिया था, ने कहा, ‘भाजपा और अपनी पार्टी दोनों का कहना है कि अनुच्छेद 370 फिर से बहाल नहीं होगा जिसकी एलायंस की तरफ से कश्मीर के लोगों को झूठी उम्मीदें दी जा रही हैं. भाजपा और अपनी पार्टी दोनों ही विकास के नारे पर काम कर रही हैं और यही कारण है कि हमारी पार्टी ने उनके उम्मीदवार का समर्थन किया. हम ऐसे किसी भी व्यक्ति का समर्थन करते रखेंगे जो लोगों से झूठ ना बोलता हो.’
हालांकि, माजिद ने कहा कि भाजपा ने अपनी पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन सिर्फ इस वजह से दिया क्योंकि श्रीनगर में पार्टी बहुमत में थी.
नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने कहा-‘लोकतंत्र की धज्जियां उड़ीं’
कश्मीर के दोनों प्रमुख क्षेत्रीय दलों नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने इस जीत को लेकर विरोध जताया है.
नेशनल कांफ्रेंस के सांसद जस्टिस हसनैन मसूदी (सेवानिवृत्त) ने कहा, ‘श्रीनगर में जीत इन दोनों दलों के बीच सहमति के कारण ही संभव थी. यह एक गठबंधन था और आज यह साफ हो गया है.’
उन्होंने कहा, ‘शोपियां में एक अलग ही मामला है. एलायंस ने जिले में जीत हासिल की थी लेकिन नतीजे आने के बाद जनादेश का मखौल उड़ाते हुए कई उम्मीदवारों ने इस गठबंधन को छोड़ दिया. शोपियां में जो हुआ वह लोकतंत्र और संविधान की भावना के अनुरूप नहीं था. मैंने राज्य निर्वाचन आयुक्त के.के. शर्मा से मुलाकात की और उनका ध्यान इस ओर आकृष्ट किया कि कैसे यहां पर लोकतांत्रिक मूल्यों को नष्ट किया जा रहा है.’
पीडीपी के वरिष्ठ नेता निजामुद्दीन भट ने कहा कि जीते सदस्यों का अपनी पार्टी में चले जाना ‘व्यक्तिगत चरित्र और दृढ़ता की कमी’ को दर्शाता है.
उन्होंने कहा, ‘इसके लिए किसी भी पार्टी के बजाये केवल उन लोगों को दोषी ठहराया जाना चाहिए, जिन्होंने हमारे चुनाव चिह्नों पर वोट हासिल किए और उसके बाद दूसरे राजनीतिक दल में शामिल हो गए.’
गुपकर एलायंस में आगे की रणनीति को लेकर भी चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं, खासकर ऐसी स्थितियों में जबकि उसके एक घटक पीपुल्स कांफ्रेंस ने भी ग्रुप को छोड़ दिया है.
पीडीपी के एक सूत्र ने कहा कि पार्टी नेशनल कांफ्रेंस के साथ संपर्क साधने और मौजूदा स्थितियों का जायजा लेने के लिए बैठक करने की कोशिश करती रही थी.
उन्होंने कहा, ‘हम डीडीसी अध्यक्ष चुनावों पर चर्चा के लिए एक बैठक करने वाले थे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. अब केवल चार सीटों पर जीत हासिल करने वाली पार्टी ने दो जिलों पर नियंत्रण हासिल कर लिया है.’
इस पर टिप्पणी के लिए संपर्क किए जाने पर नेशनल कांफ्रेंस नेता मसूदी ने कहा, ‘नहीं, यह सच नहीं है. हम गठबंधन के सभी घटकों के साथ उचित स्तर पर लगातार बातचीत कर रहे थे. हमने डीडीसी अध्यक्ष के चुनाव का फैसला अपने जिला नेतृत्व को करने देने का फैसला भी किया था. लेकिन दुर्भाग्यवश, जैसी हमें उम्मीद थी कि परिणाम वैसे नहीं आए. लेकिन एलायंस या नेशनल कांफ्रेंस को दोष नहीं दिया जा सकता है.’
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