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Friday, 26 April, 2024
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आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण का फैसला

कैबिनेट की बैठक में लिया गया फैसला, अभी इस बारे में सरकार की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है.

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नई दिल्लीः कैबिनेट की बैठक में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10% आरक्षण दिये जाने का फैसला लिये जाने की खबरें हैं. हालांकि, इस बारे में सरकार की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है.

सरकार को आरक्षण 50 प्रतिशत से ज़्यादा बढ़ाने के लिए संविधान में संशोधन लाना पड़ेगा. लोक सभा में तो चाहे ये संभव हो जाए पर राज्य सभा में बहुमत न होने की वजह से ये संशोधन पारित नहीं होगा.

इसके तहत सवर्णों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा, जिनकी सालाना आय आठ लाख से कम है.

कांग्रेस पार्टी इसे चुनावी जुमला बता रही है. क्योंकि चुनाव के ऐन पहले सरकार ये प्रस्ताव ले कर आई है. और ये पहली बार होगा कि सरकार आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस ने कहा कि ये जुमला बन के रह जाएगा और कभी भी यथार्थ नहीं बन पायेगा.

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उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, ‘बहुत देर कर दी मेहरबान आते-आते’ चुनाव जब नजदीक है तो इसका कोई मतलब नहीं कि वह क्या कर रहे हैं. चाहे वह जो भी जुमला दें, कुछ भी इस सरकार को जाने से नहीं बचा सकता.

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि आरक्षण के पहले सरकार जातीय जनगणना को सामने लाए. फिर जाति के हिसाब से आरक्षण तय किया जाए. उनका कहना था कि देश में दलित आदिवासियों का आरक्षण ठीक से नहीं हो पा रहा और सवर्णों के आरक्षण की बात कर रहे हैं.

वहीं, शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि बिल पेश होने पर ही इस पर पार्टी का पक्ष सामने आएगा.

इस नए फैसले के बाद जाट, गुज्जरों, मराठों और अन्य सवर्ण जातियों को भी आरक्षण का रास्ता साफ हो जाएगा, बशर्ते वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में आते हों.

सवाल है कि एससी एसटी एक्ट को लेकर पांच राज्यों के चुनाव में अगड़ों की नाराजगी का जो असर हुआ क्या यह उसकी भरपाई करेगा. अब यह आने वाले चुनाव के बाद पता चलेगा.

गरीब सवर्णों को आरक्षण चुनावी हथकंडा : कांग्रेस

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण पर 50 फीसदी सीमा का हवाला देते हुए कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने सोमवार को मोदी सरकार के गरीब सवर्णो को नौकरियों व शैक्षिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण के कदम को एक ‘चुनावी हथकंडा’ बताया. सिंघवी ने सवाल किया कि क्या मोदी सरकार के पास संविधान संशोधन के लिए संसद में बहुमत है.

सिंघवी, मंत्रिमंडल द्वारा गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण की मंजूरी की सूचना ट्विटर पर सबसे पहले देने वालों में थे.

सिंघवी ने ट्विटर पर कहा, ‘क्या आपको (सरकार) इसके बारे में चार साल और आठ महीने में ख्याल नहीं आया? इसलिए, स्पष्ट तौर पर आप ने चुनावी आचार संहिता से तीन महीने पहले इसे चुनावी हथकंडे के तौर पर सोचा है. आप जानते हैं कि आप 50 फीसदी की सीमा को पार नहीं कर सकते, इसलिए ऐसा सिर्फ दिखावे के लिए किया गया है. आप ने असंवैधानिक चीज करने की कोशिश की है.’

उन्होंने कहा, ‘अगड़ों को आरक्षण लोगों को बेवकूफ बनाने का हथकंडा है. 50 फीसदी सीमा का कानून बना रहेगा.’ उन्होंने एमआर बालाजी मामले का हवाला दिया, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा लगाई है.

सिंघवी ने कहा, ‘सरकार सिर्फ राष्ट्र को गुमराह कर रही है. आंध्र प्रदेश व राजस्थान 50 फीसदी आरक्षण को पार करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अदालत द्वारा इसे अमान्य किया गया है.’

सिंघवी ने कहा कि यह कदम मोदी के 2019 चुनाव में हार व डर का संकेत है.

गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण चुनावी हथकंडा : हार्दिक पटेल

गुजरात के पाटीदार समाज के लिए आरक्षण की आवाज उठाने वाले हार्दिक पटेल ने सोमवार को सवर्ण वर्ग के आर्थिक आधार पर कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के केंद्र के फैसले को आगामी लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी हथकंडा बताया है. इस घोषणा के तुरंत बाद पटेल ने संवाददाताओं से कहा, ‘मूल बात यह है कि जब संसद के शीतकालीन सत्र के खत्म होने में मात्र दो दिन बचे हैं, तब सरकार एक विधेयक लाती है. यह खुद बताता है कि यह एक राजनीतिक हथकंडा है.’

पाटीदार नेता ने कहा, ‘यह एक और लॉलीपॉप है..हर खाते में 15 लाख रुपये के वादे और दो करोड़ रोजगार के बाद एक और जुमला है.’

उन्होंने कहा कि इसे सवर्ण और हालिया विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की ओर गए मतदाताओं को वापस अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए लाया गया है.

पाटीदारों को आरक्षण के लिए राज्यस्तरीय आंदोलन करने वाले हार्दिक पटेल ने जोर देते हुए कहा, ‘इसी सरकार ने इस बात का हवाला देते हुए विभिन्न जातियों को आरक्षण देने से मना कर दिया था कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता. अब वे इसे कैसे करेंगे.’

 

 

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