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Sunday, 22 December, 2024
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‘रोमांटिक’ यादों से लेकर TDP की कमान संभालने तक, OTT शो में खुलकर सामने आ रहे हैं चंद्रबाबू नायडू

टीडीपी प्रमुख पिछले पांच महीनों में अलग-अलग ओटीटी प्लेटफार्मों पर दो तेलुगु टॉक शो में व्यक्तिगत और राजनीतिक मसलों पर अपनी दिल की बात करते हुए दिखाई दिए हैं.

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हैदराबाद: आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू फिलहाल अपने समर्थकों को अपने व्यक्तित्व की एक अलग झलक दिखा रहे हैं. लेकिन इसके लिए उन्होंने समाचार चैनलों या जनसभाओं को नहीं चुना है, जहां वह पारंपरिक राजनीतिक साक्षात्कारों के जरिए लोगों से रूबरू हुआ करते थे. इस बार उनका रास्ता थोड़ा अलग है.

एक छात्र के रूप में वह कितने ‘रोमांटिक’ थे, जब कॉलेज में कोई छात्रा उनके पास से होकर गुजरती थी तो कैसे वह अपनी बाइक की तेज आवाज के साथ टशन दिखाया करते थे, वॉलीबॉल में उनकी रुचि, और कैसे उन्होंने 1995 में अपने ससुर एनटी रामा राव की पीठ में छुरा घोंपने के आरोपों के बीच टीडीपी की कमान संभाली थी- नायडू ने पिछले पांच महीनों में अलग-अलग ओटीटी प्लेटफार्मों पर स्ट्रीम किए गए दो तेलुगु टॉक शो पर इन सभी विषयों पर बात की है.

वह मतदाताओं से जुड़ने के लिए ओटीटी मीडिया का इस्तेमाल करने वाले देश के पहले राजनेता बन गए हैं. गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश में 2024 में चुनाव होने वाले हैं और यह सारी कवायद इसी बात को ध्यान में रखकर की जा रही है.

नायडू का पहला शो अनस्टॉपेबल था, जिसे पिछले साल अक्टूबर में रिलीज़ किया गया था. इस शो की मेजबानी पूर्व सीएम के साले (ब्रदर इन लॉ) और लोकप्रिय तेलुगु अभिनेता नंदमुरी बालकृष्ण ने की थी. जबकि ‘निजाम विद स्मिता’ नाम का दूसरा शो इसी महीने स्ट्रीम किया गया था. इस शो की होस्ट पॉप सिंगर स्मिता थीं.

शो में नायडू ने मेजबानों के साथ व्यक्तिगत पल साझा किए, चुटकुले सुनाए, हंसी-मजाक किया, अपने ‘हीरोपंथी’ वाले दिनों के बारे में बात की, जब वह कॉलेज में होने वाली मार-पिटाई में शामिल हुआ करते थे, अपनी शरारतों का जिक्र किया और बताया कि कैसे उन्होंने सिविल सेवा अधिकारी बनने की बजाय राजनीति को चुना था.

जब बालकृष्ण ने शो में नायडू से पूछा कि उनका अब तक का ‘बड़ा गठबंधन’ क्या रहा है, तो उन्होंने जवाब दिया कि यह उनकी शादी थी.

नायडू की शादी बालकृष्ण की बहन से हुई है, जो टीडीपी के दिवंगत संस्थापक और दिग्गज तेलुगु स्टार एनटी रामाराव (एनटीआर) की बेटी हैं. यहां तक कि नायडू ने अपनी पत्नी को फोन करके उनका साथ देने के लिए धन्यवाद दिया और उन्हें बताया कि वह उन्हें कितना ‘पसंद’ करते हैं.

टॉक शो में और भी बहुत कुछ था. इसमें राजनीतिक विषयों पर भी बातचीत की गई- कैसे नायडू ने 1970 के दशक के अंत में अपनी पहली विधायक सीट से चुनाव लड़ा जैसे सवालों से लेकर उनके एनटीआर के साथ संबंधों तक..

नायडू के राजनीतिक रणनीतिकारों में से एक ने दिप्रिंट को बताया, ‘जब कोई नायडू के बारे में सोचता है, तो वे उन्हें एक मुख्यमंत्री, एक अच्छे प्रशासक और नेता के रूप में याद करते हैं. लेकिन हम चाहते थे कि लोग उन्हें एक व्यक्ति के रूप में जानें, उनके निजी जीवन के बारे में जानें. हम चाहते थे कि वह थोड़ा खुलें और सालों से अपने ऊपर लगे आरोपों पर अपनी राय दें. एक गंभीर नेता के अलावा वह मजाकिया और व्यंग्यात्मक है और हमने सोचा कि यह अच्छा होगा अगर लोग उनका वह पक्ष देखें.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यह विचार 18-40 साल की उम्र के लोगों या कहें कि युवाओं से जुड़ने का था. हम शुरू में उन पर एक सीरीज बनाना चाहते थे और इसे एक जाने-माने स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर रिलीज करना चाहते थे. लेकिन फिर हमने इसे दूसरी तरफ मोड़ दिया. बालकृष्ण ने सुझाव दिया था कि क्यों न उनका शो शुरू किया जाए, तो हमने किया.’

बालकृष्ण टीडीपी नेता और आंध्र प्रदेश के हिंदूपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक भी हैं.

आगे बताते हुए रणनीतिकार ने कहा, ‘हम इस अप्रोच के साथ दर्शकों से जुड़ना चाहते थे. हमने पहले सोचा था कि हमारे लक्षित दर्शक 18 से 40 साल के होंगे, लेकिन हमें नायडू की उम्र, उनकी दशकों पुरानी राजनीतिक करियर और उनका नेतृत्व को देखते हुए एहसास हुआ कि अगर यह (शो) किसी के घर पर चल रहा है, तो 55 साल का व्यक्ति भी इससे जुड़ जाएगा. हम दिखाना चाहते हैं कि 2024 (आंध्र) के चुनाव नायडू का सर्वश्रेष्ठ रूप देखने जा रहे हैं.

सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि नायडू को ओटीटी के विचार से जोड़ने में ‘महीनों’ लग गए.

टीडीपी के एक नेता ने कहा, ‘अगर आप देखें, तो ये शो उनके सिर्फ निजी जीवन पर चर्चा करने के लिए नहीं बनाए गए हैं. ये बड़ी सावधानी के साथ पूरी प्लानिंग के साथ तैयार किए गए शो हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि राजनीतिक और व्यक्तिगत चर्चाओं में संतुलन बना रहे. हम राजनीतिक रूप से इसका इस्तेमाल करने के लिए दर्शकों से जुड़ना चाहते हैं.


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बड़े फैसलों पर नायडू

नायडू पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने एनटीआर की ‘पीठ में छुरा घोंपा’ और 1995 में टीडीपी का नियंत्रण लेने के लिए उनकी सरकार को गिरा दिया. विवाद के बावजूद, नायडू एनटीआर के उत्तराधिकारी के रूप में उभरे और अविभाजित आंध्र प्रदेश में पार्टी का चेहरा बन गए.

दोनों शो में नायडू ने समझाया कि एनटीआर राजनीति में रहने और लोगों की सेवा करने के लिए उनकी ‘प्रेरणा’ थे. तेदेपा को संभालने के विवादास्पद विषय को बारीकी से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने उस समय विद्रोही तेदेपा विधायकों को शांत करने के लिए एनटीआर को समझाने की कोशिश की थी, लेकिन यह काम नहीं आया.

उन्होंने जोर देकर कहा कि उस समय ‘एनटीआर पर बाहरी लोगों का प्रभाव बढ़ रहा था’, यह इशारा करता है कि पार्टी को बचाने का कोई अन्य तरीका नहीं था.

बालकृष्ण भी इस बात से सहमत थे कि उनके पिता उस समय भावनात्मक रूप से बह गए थे और राजनीतिक परिणामों का अधिक विश्लेषण नहीं किया करते थे. एनटीआर ने 1993 में अपने से बहुत छोटी उम्र की लक्ष्मी पार्वती से दूसरी शादी की थी. उनके इस कदम को उनके अपने परिवार और बच्चों ने स्वीकार नहीं किया था. इसके चलते उन्होंने न सिर्फ अपने परिवार पर पार्वती को प्राथमिकता दी बल्कि उनके फैसलों पर भी पार्वती का दबदबा बना रहा.

बालकृष्ण द्वारा उनके जीवन के ‘बड़े फैसले’ के बारे में पूछने पर जो जवाब मिला उससे साफ पता चलता है कि नायडू के लिए अगर ‘बड़ा गठबंधन’ उनकी शादी थी, तो उनके जीवन में ‘बड़ा फैसला’ 1995 में टीडीपी की कमान संभालना था.

नायडू के बेटे और केटीडीपी नेता लोकेश ने भी अपने जवाबों से ‘अनस्टॉपेबल’ में चार चांद लगा दिए. नायडू हमेशा अपनी ट्रेडमार्क हल्की-पीली खादी शर्ट में देखे जाते हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या उनके पिता कोई अन्य पोशाक पहनते हैं, लोकेश ने जवाब दिया कि वह एक ही तरह की ड्रेस पहनते हैं, भले ही वह छुट्टियों के लिए मालदीव या बैंकॉक क्यों न गए हों.

दोनों शो में नायडू ने यह भी बताया कि कैसे उनके ‘राजनीतिक’ प्रतिद्वंद्वी, दिवंगत कांग्रेसी और आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी (वाईएसआर), एक समय उनके करीबी दोस्त हुआ करते थे. ये उस समय की बात है जब दोनों ने विधायक के रूप में अपनी राजनीति की शुरुआत की थी. उन्होंने खुलासा किया कि दोनों अक्सर एक साथ ‘हैंग आउट’ किया करते थे, यहां तक कि दिल्ली में भी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनके बीच कभी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी.

आज वाईएसआर के बेटे वाईएस जगन मोहन रेड्डी आंध्र के मुख्यमंत्री और नायडू के सबसे बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं.

ऑफबीट कंटेंट

‘निजाम विद स्मिता’ में चर्चा सिर्फ नायडू के निजी जीवन के बारे में नहीं थी, बल्कि ‘विकास बनाम लोकलुभावनवाद’ पर भी थी. एक ऐसा विषय जिसके साथ मेजबान स्मिता ने शुरुआत की.

नायडू का नेतृत्व, वे परियोजनाएं जिन्हें वह अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल (1995 से 2004 तक संयुक्त आंध्र प्रदेश में और उसके बाद 2014 से 2019 तक) में लेकर आए , 2000 के दशक की शुरुआत में हैदराबाद में आईटी क्षेत्र को विकसित करने में उनका योगदान और उनकी ‘प्रेरणा’ के रूप में एनटीआर – इन सभी विषयों के बारे में शो में बात की गई थी.

आंध्र के रायलसीमा क्षेत्र का ‘पिछड़ा’ होना और इसमें नेताओं की भूमिका और कैसे एनटीआर ने वहां सिंचाई परियोजनाएं शुरू की- इस पर भी चर्चा की गई थी.

‘अनस्टॉपेबल’ पर नायडू ने बताया कि कैसे वह 1997 में माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स के साथ एक मीटिंग कर पाने में कामयाब हुए थे. नायडू ने कहा कि इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट ने हैदराबाद में अपना एक ऑफिस बनाया था.

‘निजाम विद स्मिता’ शो पर उन्होंने बताया कि कैसे वह सिखाए गए सबक याद नहीं कर पाए थे और कैसे अपनी 10वीं की बोर्ड परीक्षा को पास नहीं कर पाए थे.

नायडू की टीडीपी को 2019 के आंध्र चुनावों में वाईएसआर कांग्रेस से भारी हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस ने 175 सदस्यीय विधानसभा में प्रचंड बहुमत हासिल किया था. टीडीपी तब से अपना आधार बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है. फिलहाल तो वह 2024 में फिर से होने वाले आंध्र चुनावों में जगन रेड्डी को हराने की तैयारी कर रही है.

नायडू ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि अगर वह सत्ता में नहीं आए तो 2024 उनका आखिरी चुनाव हो सकता है.

अभी और बहुत कुछ आना बाकी है

सूत्रों के मुताबिक, टीडीपी प्रमुख के और भी ओटीटी शो में आने की उम्मीद है. वह यूट्यूब पर भी इसी तरह के ऑफबीट कंटेंट करेंगे. एक YouTube कंटेंट क्रिएटर भी हाल ही में TDP में शामिल हुआ है.

‘टीडीपी एक्टिविस्ट’ नाम के एक यूट्यूब चैनल पर छोटे-छोटे वीडियो हैं, जिनमें से एक में नायडू धूप का चश्मा पहने एक प्रशंसक के साथ पोज देते नजर आ रहे हैं.

रणनीति टीम के पास नारा लोकेश के लिए भी ऐसी ही योजनाएं हैं ताकि वह लोगों से अधिक जुड़ सके. लोकेश फिलहाल तो पूरे आंध्र की 4,000 किलोमीटर की पदयात्रा (वॉकथॉन) पर हैं. वह शुक्रवार को तिरुपति में ‘हेलो लोकेश’ कार्यक्रम का हिस्सा भी थे, जहां दर्शक उनसे कोई भी सवाल कर सकते थे.

‘हेलो लोकेश’ के पीछे विचार यह है कि जब भी हम किसी नए व्यक्ति से मिलते हैं, तो हम ‘हेलो’ कहते हैं. इसी तरह दर्शक अपना परिचय दे सकते हैं और लोकेश से कुछ भी पूछ सकते हैं.’

(सपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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