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Sunday, 22 December, 2024
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क्रिकेट पिच खोदने से लेकर BJP पर कटाक्ष करने तक — तब से लेकर अब तक ठाकरे परिवार की पाक विरोधी बयानबाजी

1991 के विपरीत, जब अविभाजित शिव सेना ने भारत-पाक मैच के विरोध में मुंबई में एक पिच खोद डाली थी, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि अब जो विरोध हो रहा है वह विरोध करने से ज्यादा बीजेपी को घेरने की कोशिश है.

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मुंबई: अक्टूबर 1991 में अविभाजित शिवसेना ने भारत को पाकिस्तान के साथ मैच खेलने से रोकने के लिए मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम की पिच खोद दी थी.

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रविवार को एक बार फिर पाकिस्तान के साथ किसी भी सांस्कृतिक या खेल संबंधों को लेकर विरोध जताया और सवाल उठाया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार भारत और पाकिस्तान के बीच मैच खेलने की अनुमति क्यों दे रही है. इस साल के अंत में भारत और पाकिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट विश्वकप का मैच अहमदाबाद में होने वाला है.

जबकि शिवसेना में विभाजन और नए राजनीतिक गठबंधनों के चलते पार्टी की मूल विचारधारा में काफी बदलाव के बाद अब इस मुद्दे पर पार्टी का रुख तीन दशकों से अधिक समय बाद भी नहीं बदला नहीं है. हालांकि, एक छोटा से अंतर देखने को जरूर मिल रहा है.

अब न तो शिवसेना (यूबीटी) और न ही एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना द्वारा किसी भी पिच को खोदे जाने की संभावना है. भारत-पाकिस्तान मैचों का विरोध करने वाला कोई भी बयान केवल राजनीतिक बयानबाजी का ही हिस्सा है. विश्लेषकों का कहना है कि यह मुद्दा अब मैच का विरोध करने से ज्यादा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर हमला करने के हथियार के तौर पर अधिक है.

मुंबई विश्वविद्यालय के राजनीति और नागरिक विभाग के शोधकर्ता डॉ. संजय पाटिल ने दिप्रिंट को बताया, “ये सब लोगों को उत्तेजित करने वाली बातें मात्र है. पार्टी वास्तव में इसको लेकर कुछ भी नहीं करने जा रही है. रणनीति यह है कि, जहां भी संभव हो, वे बीजेपी को उकसाने की कोशिश करें और उसे हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दों पर बैकफुट पर रखें.”

उन्होंने आगे कहा, “भारत और पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक और खेल संबंधों का विरोध हमेशा से शिवसेना के मुख्य भावनात्मक एजेंडे में से एक रहा है. लेकिन पहले इसे किस तरह से प्रस्तुत किया जाता था और अब यह (ऐसा कर रहा है) कैसे  हो रहा है, इसमें काफी अंतर है. पार्टी खुद यह कहते हुए कोई स्टैंड नहीं ले रही है कि मैच रद्द कर दिया जाना चाहिए, वह केवल बीजेपी से स्टैंड लेने का आग्रह करके उसे बैकफुट पर लाने की कोशिश कर रही है.”

शिवसेना (यूबीटी) नेता विनोद घोसालकर ने दिप्रिंट को बताया कि बीजेपी कहती रहती है कि उनकी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करके हिंदुत्व को छोड़ दिया है. उन्होंने कहा, “यह उस आलोचना का जवाब है. शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे हमेशा कहा करते थे कि पाकिस्तान के लोग हमारी धरती पर आतंकवादी गतिविधियों को प्रायोजित करते हैं, हम उनसे क्यों जुड़ें. उद्धवजी ने जो कहा वह बीजेपी के व्यवहार और बीजेपी की उस आलोचना का जवाब है कि हमने हिंदुत्व छोड़ दिया है.”

भारत को 15 अक्टूबर को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में पाकिस्तान के साथ मैच खेलना है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों देश सात साल के अंतराल के बाद भारतीय धरती पर एक-दूसरे के खिलाफ खेलेंगे.

‘बीजेपी को जवाब’

इन सालों में, अविभाजित शिवसेना ने पाकिस्तान के साथ किसी भी खेल संबंध का आक्रामक विरोध करते हुए, कई बार भारतीय क्रिकेट को बाधित किया है. पार्टी ने अक्सर पड़ोसी देश के कलाकारों के साथ किसी भी सांस्कृतिक समझौते की भी आलोचना की है.

हालांकि, पार्टी के शुरुआती आक्रामक तरीकों में पिछले कुछ सालों में नरमी आई, क्योंकि पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे के पोते आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में उदय के साथ पार्टी के चरित्र में काफी बदलाव आया है.

आखिरी बार पार्टी ने जुझारूपन का कोई संकेत 2015 में दिखाया था जब छह शिवसेना कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सुधींद्र कुलकर्णी पर हमला किया था और पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद कसूरी की किताब के लॉन्च के आयोजन के लिए उनके चेहरे को काला कर दिया था. जबकि उद्धव ने हमलावरों से मुलाकात की और उनका अभिनंदन किया. हालांकि, पार्टी नेता और उद्धव के करीबी लोगों ने यह कहा कि पार्टी के छह कार्यकर्ताओं ने अपनी इच्छा से इस घटना का अंजाम दिया था और घटना के बाद ठाकरे ने केवल उन्हें शांत रहने के लिए कहा था.

2022 में शिवसेना दो भागों में विभाजित हो गई जब विद्रोही एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला एक गुट बाहर चला गया और महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के रूप में सरकार बनाने के लिए बीजेपी से हाथ मिला लिया.


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रविवार को हिंगोली में बोलते हुए, ठाकरे ने एक बार फिर इस मुद्दे को उठाया, लेकिन इस बार उनका उद्देश्य सिर्फ बीजेपी पर तंज कसना था.

पार्टी ने बीजेपी पर हमला किया, “यदि आप हमें (विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन को लेकर) इंडियन मुजाहिदीन कहना चाहते हैं, तो कौन सा देश इंडियन मुजाहिदीन का समर्थन करता है? पाकिस्तान, ठीक है? फिर वर्ल्ड कप में अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारत-पाकिस्तान का मैच होने वाला है. क्या यही है आपका हिंदुत्व और आपका राष्ट्रवाद? आप अपने स्टेडियम में जाकर हिंदुस्तान-पाकिस्तान मैच खेलेंगे?”

उन्होंने बताया कि कैसे दिवंगत बीजेपी नेता सुषमा स्वराज ने “इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया था” और कहा था कि भारत पाकिस्तान के साथ तब तक कोई संबंध नहीं रखेगा जब तक “पाकिस्तान भारतीय धरती पर आतंकवाद को प्रायोजित करना बंद नहीं कर देता.”

ठाकरे ने अपने भाषण में कहा, “वह देशभक्ति थी, लेकिन अब आप जाएंगे और उनसे (पाकिस्तान के सदस्यों से) गले मिलेंगे और दूसरी तरफ आप हम पर उंगली उठाएंगे.”

शिंदे के नेतृत्व वाली सेना ने विभाजन के बाद से पार्टी के पारंपरिक पाकिस्तान एजेंडे को नहीं उठाया है, और न ही रविवार तक शिवसेना (यूबीटी) ने भी ऐसा किया था.

सेना का पाकिस्तान विरोधी एजेंडा

1999 में, शिवसेना के सदस्यों ने भारत-पाकिस्तान मैच के विरोध में दिल्ली के फ़िरोज़शाह कोटला मैदान की पिच को नुकसान पहुंचाया था.

मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि शिवसेना कार्यकर्ताओं ने 2006 में मोहाली में न्यूजीलैंड-पाकिस्तान मैच को बाधित करने की भी धमकी दी थी.

तीन साल बाद, एक सार्वजनिक बैठक में ठाकरे ने कथित तौर पर मांग की कि पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ियों को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में शामिल नहीं किया जाए. हालांकि, उन्होंने यह नहीं कहा कि अगर क्रिकेट बोर्ड ने ध्यान नहीं दिया तो शिवसेना आईपीएल मैचों में बाधा डालेगी.

अगले साल, पार्टी ने शाहरुख खान अभिनीत फिल्म माई नेम इज खान के बहिष्कार का आह्वान किया, क्योंकि अभिनेता ने आईपीएल में पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ियों को शामिल करने का समर्थन किया था.

2015 में, पार्टी ने मुंबई में पाकिस्तानी ग़ज़ल गायक गुलाम अली के एक संगीत कार्यक्रम को रद्द करने के लिए मजबूर किया और उसी साल, छह पार्टी कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर कसूरी पुस्तक लॉन्च से पहले कुलकर्णी के चेहरे पर कालिख पोत दी. हालांकि, गुलाम अली संगीत कार्यक्रम के विपरीत, पुस्तक का विमोचन योजना के अनुसार हुआ था.

शिवसेना (यूबीटी) नेता रवींद्र मिरलेकर ने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत नहीं करने के उनके रुख में पिछले कुछ सालों में कोई बदलाव नहीं आया है, यहां तक ​​कि उनकी आक्रामकता में भी कोई बदलाव नहीं आया है. उन्होंने कहा, “हमारे रुख के कारण, कोई भी मुंबई में भारत-पाकिस्तान मैच आयोजित करने की हिम्मत नहीं करता है. अन्य लोग अन्य राज्यों में क्या करने का निर्णय लेते हैं, इसके बारे में आलोचना के अलावा हम और क्या कर सकते हैं? लोग समझते हैं कि बीजेपी सुविधा की राजनीति कर रही है. जितना संभव हो सके, उद्धव साहब इस बारे में बोलते हैं.”

इस बीच, 1991 में वानखेड़े की पिच खोदने में अहम भूमिका निभाने वाले शिवसेना नेता और पूर्व विधायक शिशिर शिंदे इस साल जुलाई में शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए.

दिप्रिंट से बात करते हुए उन्होंने कहा, “वानखेड़े की घटना को काफी समय हो गया है. उसके बाद, पाकिस्तान भारत आया, मैच खेला. बालासाहेब एक प्रेरक नेता थे जिनके कहने पर कार्यकर्ता किसी भी दूरी तक जाने को तैयार हो जाते थे. यह अब पहले जैसा नहीं है.”

उन्होंने कहा, “अता संदरभा बदलले, परिस्थिति बदलल्ली.” (अब, संदर्भ बदल गए हैं और स्थिति भी बदल गई है.)

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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