नई दिल्ली: सशस्त्र बलों के लिए अग्निपथ भर्ती योजना को लेकर कांग्रेस में मौजूद विभाजन बुधवार को फिर से सामने आया, जब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के संचार मामलों के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश और पार्टी सांसद मनीष तिवारी ने ट्विटर पर एक दूसरे से भिड़ गये.
अग्निपथ योजना का बचाव करते हुए बुधवार को ‘दि इंडियन एक्सप्रेस’ में तिवारी द्वारा लिखे गये एक ऑप-एड (प्रतिसंपादकीय) पर प्रतिक्रिया देते हुए, रमेश ने पार्टी को यह कहते हुए इससे दूर कर लिया कि ये विचार तिवारी के निजी विचार हैं और पार्टी के रुख को नहीं दर्शाते. रमेश ने अपने एक ट्वीट में कहा कि उनकी पार्टी इस भर्ती योजना को ‘राष्ट्र विरोधी और युवा विरोधी’ के रूप में देखती है.
Manish Tewari, INC MP, has written an article on Agnipath. While @INCIndia is the only democratic party, it must be said his views are entirely his own & not of the party, which firmly believes Agnipath is anti-national security & anti-youth, bulldozed through without discussion.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 29, 2022
तिवारी ने अपने आलेख में कहा था कि अग्निपथ योजना को रक्षा सुधारों के व्यापक संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जिसमें एक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति और सुरक्षा बलों के बीच और अधिक तालमेल को बढ़ावा देने के लिए जॉइंट थिएटर कमांड का निर्माण भी शामिल है.
पंजाब के आनंदपुर साहिब से लोकसभा सांसद तिवारी ने रमेश के ट्वीट के जवाब में कहा कि इस लेख की टैग लाइन ने यह स्पष्ट कर दिया था कि व्यक्त किए गए विचार ‘व्यक्तिगत’ ही थे, और वह चाहते थे कि रमेश इसे अंत तक पढ़े.
The tag line of the article does say – The views are personal. I wish @Jairam_Ramesh ji would have read it right till the very end .
He may see it here now ?? https://t.co/eiogYdeKVp pic.twitter.com/qAFqI41AUx— Manish Tewari (@ManishTewari) June 29, 2022
अग्निपथ योजना में चार साल की अवधि के लिए 17.5 और 21 के बीच सैनिकों की भर्ती करने की परिकल्पना की गई है, जिसके अंत में प्रत्येक बैच के केवल 25 प्रतिशत को ही सेना की नियमित सेवा में रखा जाएगा.
इस महीने की शुरुआत में घोषित की गई इस नीति को पूरे भारत में व्यापक विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा – जिनमें से कई प्रदर्शन हिंसक हो भी गए थे. इनका नेतृत्व सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए इच्छुक उन उम्मीदवारों ने किया था जो अब एक दीर्घकालिक करिअर के विकल्प से वंचित हो गए हैं.
सेना के कई पूर्व सैनिकों ने भी इस योजना की वजह सी विभिन्न इकाइयों में सैन्य कर्मियों के ज़्यादा उलटफेर और इस योजना के आगे बढ़ने के साथ अनुभवी सैनिकों की उत्तरोत्तर घटती संख्या जैसे कारणों से इसकी आलोचना की थी.
यह भी पढ़ें: खालिस्तान के मुखर समर्थक सिमरन जीत सिंह मान की वापसी के पंजाब की राजनीति में क्या मायने हैं
कांग्रेस के रुख़ के विरुद्ध रहे हैं तिवारी के विचार
मनीष तिवारी द्वारा बुधवार को लिखे गये आलेख में कहा गया था कि अग्निपथ नीति सशस्त्र बलों को ‘सही आकार’ देने में मदद करेगी, ठीक वैसे ही जैसे अमेरिका और चीन जैसी उन्नत सेनाएं कम बोझ वाली मानव शक्ति के साथ अत्याधुनिक तकनीक को मिलाकर पांचवीं पीढ़ी के युद्ध के तैयारी हेतु सुधार कर रही हैं.
यह कांग्रेस द्वारा अब तक इस नीति के बारे में अपनाए गये दृष्टिकोण के विपरीत है. पार्टी ने सार्वजनिक रूप से इस योजना की निंदा की है और इसके खिलाफ विरोध की घोषणा भी की है.
यह पहली बार नहीं है जब तिवारी खुद को पार्टी की राय से विरुद्ध खड़ा पा रहे हैं. वह उन ‘जी -23 नेताओं’ में से एक थे, जिन्होंने साल 2020 में कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिख पार्टी में व्यापक बदलाव की मांग की गई थी.
फिर नवंबर 2021 में, उन्होंने ‘हिंदूवाद बनाम हिंदुत्व’ बहस में कथित तौर पर एक ‘मौलिक बिंदु’ – धार्मिक पहचान राजनीति का आधार नहीं है – को भूल जाने के लिए कांग्रेस की सार्वजनिक रूप से आलोचना की थी.
उसके अगले महीने, तिवारी ने अपनी एक किताब में लिखा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद पाकिस्तान के खिलाफ ज्यादा कठोर कार्रवाई करनी चाहिए थी.
इस साल फरवरी में, पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार के कांग्रेस से बाहर जाने पर तिवारी के एक ट्वीट में कहा गया था: ‘अगर मैं बोलता हूं तो इसे बग़ावत माना जाता है, अगर मैं चुप रहता हूं, तो बेचारा हो जाता हूं’.
इसके एक दिन बाद, जब कांग्रेस के साथ उनके मतभेदों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि वह वहां कोई ‘किरायेदार’ नहीं हैं, बल्कि पार्टी में एक भागीदार हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने आप से पार्टी नहीं छोड़ेंगे, ‘लेकिन अगर कोई मुझे बाहर करना चाहता है, तो फिर यह अलग बात है.’
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: आदित्य ठाकरे ने कहा- ‘बागियों को जवाब देना होगा कि क्या विश्वासघात ठीक है’, ‘नैतिकता का टेस्ट’ पास करें