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Monday, 13 May, 2024
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मुफ्त बिजली, सस्ता सिलेंडर, MP में यह ‘फ्रीबीज़’ का मौसम है, लेकिन कांग्रेस को है ‘हथकड़ी’ का इंतज़ार

मध्य प्रदेश बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत लाडली बहना योजना में झोंक दी है, जबकि कांग्रेस अपने वादों का 'संदूक' खोलने से पहले शिवराज सरकार को 'हथकड़ी' पहनाने के लिए आदर्श आचार संहिता का इंतज़ार कर रही है.

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भोपाल: सस्ता घरेलू एलपीजी सिलेंडर, मुफ्त बिजली, स्टूडेंट्स के लिए दोपहिया वाहन और महिलाओं के लिए मासिक भत्ता, मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव करीब हैं, ऐसे में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस दोनों ही मतदाताओं को लुभाने के लिए सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाएं सीजन का आनंद ले रही हैं. हालांकि, कांग्रेस फिलहाल शांत दिख रही है, उसने लगभग बीते एक महीने में मध्य प्रदेश में किसी भी नई चुनाव-संबंधी सब्सिडी या योजना की घोषणा नहीं की है.

राज्य सरकार के अनुसार, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मार्च 2020 में सत्ता संभालने के बाद से प्रतिदिन औसतन तीन नई घोषणाएं कीं. अपनी ओर से कांग्रेस ने अब मतदाताओं को 100 यूनिट मुफ्त बिजली, रियायती दरों पर एलपीजी सिलेंडर और इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में अगर सत्ता मिली तो सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) फिर से शुरू करने का वादा किया है.

लेकिन राज्य पर अनुमानित 3.26 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ होने के कारण, राजकोषीय समझदारी भी एक चुनावी मुद्दा बन गई है और कांग्रेस ने भाजपा पर सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ाने का आरोप लगाया है. बजट दस्तावेज़ (वित्त वर्ष 2023-24) के अनुसार, राज्य का राजकोषीय घाटा अनुमानित 55,708 करोड़ रुपये है यानी — सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 4 प्रतिशत.

मंगलवार को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि सरकारी धन को “भाजपा के चुनावी एजेंडे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है” और राज्य के वित्त विभाग के अधिकारियों को बढ़ते घाटे पर ध्यान देने की चेतावनी दी. उन्होंने कहा, “वित्त विभाग के शीर्ष अधिकारी भाजपा के एजेंडे को पूरा करने के लिए राज्य की पहले से ही कमज़ोर वित्तीय स्थिति को और नुकसान पहुंचा रहे हैं.”

राज्यसभा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि लगभग “137 योजनाएं” बंद कर दी गई हैं और कई अन्य के लिए फंड को रोका जा रहा है.

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उन्होंने कहा, “मैं दोषी अधिकारियों को चेतावनी देता हूं कि कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद इन गतिविधियों की गहराई से जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, चाहे उनकी वरिष्ठता कुछ भी हो.”

चौहान ने बाद में दिन में एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए सिंह की टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस “डरी हुई” थी.

उन्होंने कहा, “दिग्विजय सिंह ने वित्त विभाग के अधिकारियों को धमकी दी और उनसे पूछा कि पैसा कहां से आ रहा है. जब डेढ़ साल तक कमलनाथ मुख्यमंत्री रहे तो वो तो पैसे न होने का रोना रोते रहे.”

सीएम ने कहा, “लेकिन मैं यहां कह रहा हूं कि पर्याप्त और अधिक पैसा है. अगर कोई मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर पैसा नहीं होने का रोना रोता है, तो आप उस पर क्यों बैठे थे?”

जहां तक विशेषज्ञों का सवाल है, उनका कहना है कि जहां राज्य सरकार राजकोषीय सीमा को तोड़ने के “खतरनाक रूप से करीब” है, वहीं राज्य के ग्रामीण हिस्सों में रहने वाले स्टूडेंट्स के लिए साइकिल जैसी योजनाएं पूरे परिवार को लाभ पहुंचाने की दिशा में “लंबा रास्ता तय करती हैं”.

अहमदाबाद की एलजे यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर एमेरिटस अमिताभ कुंडू कहते हैं, “फ्रीबीज़ संस्कृति को देखते समय, किसी को यह देखना होगा कि क्या ये मुफ्त उपहार ग्रामीण क्षेत्र में एक छात्र को दी जाने वाली साइकिल के रूप में है. कोई फ्रीबीज़ का समर्थन नहीं करता है, लेकिन ऐसी स्थिति में – मुफ्त उपहार – स्टूडेंट या उसके परिवार को लाभ पहुंचाने में काफी मदद करेगा.”

हालांकि, वो यह भी कहते हैं कि जब इसे राज्य के वित्तीय स्वास्थ्य के संदर्भ में देखा जाता है, तो “सभी योजनाएं पूरी तरह से जारी नहीं रहती हैं और अक्सर योजनाओं के संदर्भ में देखें तो समाज के कई वर्ग इनका लाभ उठाने के लिए पात्र ही नहीं होते हैं.”

कुंडू कहते हैं, “इसलिए, हालांकि राज्य की लागत बहुत बड़ी लग सकती है, लेकिन जब यह खतरनाक रूप से राजकोषीय सीमाओं के उल्लंघन के करीब आता है, तो अक्सर नौकरशाही चालें लागू की जाती हैं.” चुनावी वादों की प्रकृति पर नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन का हवाला देते हुए, वो कहते हैं, “कम से कम एक बार तो वोटर्स के बारे में सोचते तो हैं.”


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मध्य प्रदेश का कर्ज़

बजट अनुमान (वित्त वर्ष 2023-24 के लिए) के अनुसार, 31 मार्च 2022 तक, मध्य प्रदेश का कुल सार्वजनिक ऋण 2.95 लाख करोड़ रुपये था, जो इस वर्ष बढ़कर 3.26 लाख करोड़ रुपये हो गया. 31 मार्च, 2024 तक यह आंकड़ा बढ़कर 3.85 लाख करोड़ होने का अनुमान है.

इस साल जून में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा को सूचित किया कि राज्य सरकार ने जून 2022 और फरवरी 2023 के बीच 16,000 करोड़ रुपये का ऋण सुरक्षित किया था. फिर, फरवरी और जून के बीच सरकार के खर्चों को पूरा करने के लिए कई चरणों में 10,000 करोड़ रुपये के नए ऋण सुरक्षित किए गए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘रेवड़ी’ कल्चर की आलोचना के बावजूद राज्य की भाजपा इकाई ने पहले ही अपनी लाडली बहना योजना के तहत महिलाओं को सीधे नकद हस्तांतरण, सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर और मुफ्त बिजली समेत ऐसी अन्य योजनाओं की घोषणा की है.

राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के एक जवाब के अनुसार, सीएम चौहान ने 6 जून 2020 और 9 जून 2023 के बीच 2,715 घोषणाएं कीं — औसतन 2.5 प्रति दिन. कांग्रेस विधायक के सवाल के जवाब में सरकार ने खुलासा किया कि इसमें 2020 में 489, 2021 में 878, 2022 में 753 और इस साल जून तक 595 घोषणाएं शामिल हैं.

इस साल मार्च में घोषित लाडली बहना योजना के तहत, राज्य में अनुमानित 1.25 करोड़ महिलाएं भत्ते के रूप में 1,000 रुपये प्रति माह प्राप्त करने की पात्र थीं. कांग्रेस के सत्ता में आने पर इस भत्ते को बढ़ाकर 1,500 रुपये करने का वादा करने के बाद, चौहान ने रक्षा बंधन पर इसे बढ़ाकर 1,250 रुपये कर दिया और धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 3,000 रुपये प्रति माह करने का वादा किया.

इस योजना के लिए राज्य के बजट (वित्त वर्ष 2023-24 के लिए) में 8,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. हालांकि, योजना के 1.25 करोड़ लाभार्थियों में से प्रत्येक को 1,250 रुपये हस्तांतरित करने में सक्षम होने के लिए सरकार को हर महीने 1,800 से 2,000 करोड़ रुपये आवंटित करने की आवश्यकता होगी.

500 रुपये की सब्सिडी वाली दर पर एलपीजी सिलेंडर देने के कांग्रेस के चुनावी वादे पर प्रतिक्रिया करते हुए भाजपा ने भी इस महीने की शुरुआत में घोषणा की थी कि वो 450 रुपये में एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध कराएगी और जबकि कांग्रेस ने 100 यूनिट मुफ्त बिजली और 200 यूनिट तक आधे टैरिफ पर खपत का वादा किया था, भाजपा ने गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली राज्य की महिलाओं को मुफ्त बिजली के साथ-साथ बढ़ी हुई दरों के अनुरूप जारी किए गए बिजली बिलों को माफ करने की पेशकश की.

चौहान ने जून में लगभग एक लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय 10,000 रुपये से बढ़ाकर 13,000 रुपये करने की घोषणा की और सरकारी कर्मचारियों के लिए मानदेय 9,000 रुपये से दोगुना कर 18,000 रुपये करने का फैसला लिया. उन्होंने 1.5 लाख संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के अलावा जिला पंचायत अध्यक्षों, उपाध्यक्षों और उपसरपंचों के मानदेय में तीन गुना वृद्धि की भी घोषणा की. सरकार ने 12वीं कक्षा की परीक्षा में टॉप करने वाले सरकारी स्कूली बच्चों को ई-स्कूटर प्रदान करने के अपने वादे को पूरा करने के लिए राज्य के बजट (वित्त वर्ष 2023-24 के लिए) में 135 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया.

इन कदमों पर टिप्पणी करने के लिए पूछे जाने पर, इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख, कन्हैया आहूजा कहते हैं, “मुफ्त योजनाओं में से कुछ को वास्तव में सामाजिक कल्याण योजनाओं के रूप में देखा जाता है जो अपने लाभार्थियों को बहुत जरूरी समर्थन देती हैं. लाडली बहना योजना की परिकल्पना भी इसी प्रकार की गई थी, लेकिन मप्र सरकार खतरनाक रूप से अपनी राजकोषीय सीमा को तोड़ने के करीब है और उसे अपने खर्चों के प्रति सचेत रहना होगा.”


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कांग्रेस को ‘एमसीसी का इंतज़ार’

दूसरी ओर, कांग्रेस अब इस अर्थ में अधिक सतर्क रुख अपना रही है कि उसने पिछले महीने में कोई नया चुनावी वादा नहीं किया है. दो सितंबर को भोपाल में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, पार्टी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि उन्होंने राज्य कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ से कहा था, “आप सही समय का इंतजार कीजिए”.

राज्य के प्रभारी सुरजेवाला ने कहा, “जब इनके (भाजपा) हाथों में आचार संहिता की हथकड़िया लग जाएंगी, फिर उसके बाद कमलनाथ जी का पिटारा खुलेगा, कांग्रेस का पिटारा खुलेगा और फिर मध्य प्रदेश का भविष्य बदलेंगे.”

कांग्रेस के तरुण भनोट ने 27 अगस्त को भोपाल में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए 40 सरकारी विभागों में 130 राज्य योजनाओं की एक सूची प्रसारित की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बजटीय बाधाओं के कारण इन योजनाओं के लिए कथित तौर पर फंड जारी नहीं किया जा रहा था.

राज्य के पूर्व वित्त मंत्री भनोट ने यह भी आरोप लगाया कि चौहान सरकार ने 21 अगस्त 2023 के एक आदेश के माध्यम से राज्य में 6,696 प्राथमिक और 493 मध्य विद्यालयों के नवीनीकरण के लिए निर्धारित 144.20 करोड़ रुपये के वितरण को रोक दिया था.

उन्होंने आरोप लगाया कि पेंशन का लाभ उठाने वाली विधवाओं और विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों सहित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लगभग 20 लाख लाभार्थी पिछले दो महीनों से 600 रुपये की मासिक सहायता नहीं मिलने के कारण प्रभावित हुए हैं.

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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