नई दिल्ली : जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को सोमवार को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में ले लिया गया. इतना ही नहीं, जिस स्थान पर अब्दुल्ला को रखा जाएगा उसे एक आदेश के जरिए अस्थायी जेल घोषित कर दिया गया है. पीएसए के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना किसी मुकदमे के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है. श्रीनगर से लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला 5 अगस्त से कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद से घर में नजरबंद हैं.
हाल ही में, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसदों को फारूक और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला से मिलने की अनुमति दी गई थी, लेकिन इस प्रतिबंध के साथ कि वे मुलाकात के बाद मीडिया के साथ बातचीत नहीं कर सकते. न्यायाधीश संजीव कुमार ने सांसदों जस्टिस (रिटायर्ड) हसनैन मसूदी (अनंतनाग) और अकबर लोन (बारामूला) द्वारा दायर की गई याचिका के बाद अनुमति दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और जम्मू एवं कश्मीर प्रशासन को नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख की नजरबंदी पर नोटिस भी जारी किया.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एमडीएमके प्रमुख वाइको ने जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की रिहाई की मांग की थी. तीन जजों की बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. वाइको ने याचिका में कहा था कि चेन्नई में होने वाले एक आयोजन में फारूक अब्दुल्ला को शामिल होना था.
MDMK Chief and leader Vaiko in his petition is Supreme Court has claimed that National Conference leader Farooq Abdullah was supposed to attend 111th birth anniversary celebration of former Tamil Nadu CM & founder of DMK, CN Annadurai in Chennai on September 15. (file pic) pic.twitter.com/FPhkvEREbP
— ANI (@ANI) September 16, 2019
राज्यसभा सासंद वाइको ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा कि जब से राज्य में अनुच्छेद-370 को हटाया गया है तभी से फारूक अब्दुल्ला को नज़रबंद कर के रखा गया है.
अब्दुल्ला को तमिलनाडु के पहले मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरई के 111वीं जयंती पर होने वाले कार्यक्रम में शामिल होना था. फारूक को इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए चेन्नई जाना था लेकिन इससे पहले ही उन्हें नज़रबंद कर लिया गया है.
कश्मीर के कई बड़े नेताओं को पहले से ही नज़रबंद किया जा चुका है. राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पिछले 1 महीने से भी ज्यादा समय से नज़रबंद हैं.
(समाचार एजेंसी आईएएनएस इनपुट के साथ)