नई दिल्ली: दिवंगत सोनेलाल पटेल की अपना दल पार्टी में विभाजन के एक दशक बाद भी उनके राजनीतिक विरासत को लेकर परिवार में विवाद जारी है. एक तरफ केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल हैं, जो अपना दल (एस) का नेतृत्व करती हैं. दूसरी तरफ उनकी बड़ी बहन पल्लवी पटेल और उनकी मां कृष्णा पटेल हैं, जो अपना दल (के) गुट चलाती हैं.
पल्लवी ने आरोप लगाया कि सरकार और सरकारी सहायता प्राप्त पॉलिटेक्निक संस्थानों में विभागाध्यक्ष के पद पर अयोग्य उम्मीदवारों को प्रमोशन दिया जा रहा है, जो नई दिशानिर्देशों का उल्लंघन है, जिनमें पदोन्नति का कोई प्रावधान नहीं है.
उन्होंने सोमवार और मंगलवार को उत्तर प्रदेश विधान सभा परिसर में प्रदर्शन किया, यह कहते हुए कि उन्हें विधानसभा की कार्यवाही में इस मुद्दे को उठाने का मौका न देने का स्पीकर का निर्णय गलत है.
पल्लवी पटेल ने दिप्रिंट से कहा, “हमारा संघर्ष तथ्यों के आधार पर है. हमारे पास तकनीकी शिक्षा मंत्री के खिलाफ दस्तावेज़ हैं, इसलिए हम यह मुद्दा उठा रहे हैं. पहले जो भी आरोप मेरी मां ने लगाए थे, वे भी तथ्यों के आधार पर थे. हमारा उनके खिलाफ व्यक्तिगत कुछ भी नहीं है, लेकिन राजनीतिक रूप से हम अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं.”
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, आशीष पटेल ने दिप्रिंट से कहा कि उनकी छवि खराब करने के लिए एक राजनीतिक साजिश रची जा रही है और उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच की मांग की. उन्होंने कहा, “जो लोग आरोप लगा रहे हैं, उनके फोन विवरण की जांच होनी चाहिए, क्योंकि उन्हें कोई मार्गदर्शन दे रहा है. यह मेरी राजनीतिक करियर को खत्म करने की साजिश है.”
मंत्री ने उस “किसी” की पहचान बताने से इनकार कर दिया, लेकिन उनके करीबी सहयोगियों ने दिप्रिंट को बताया कि वह राज्य में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक शीर्ष पदाधिकारी की ओर इशारा कर रहे.
बदलते राजनीतिक समीकरण
दोनों गुटों के बीच हालिया विवाद बदलते राजनीतिक समीकरणों के दौरान हो रहा है. अपना दल (के) इंडिया गठबंधन का हिस्सा है, जबकि अपना दल (एस) एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में है. कृष्णा पटेल अपना दल (के) की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, और उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल अपना दल (एस) का नेतृत्व कर रही हैं.
हाल में अपना दल (के) की पल्लवी पटेल ने समाजवादी पार्टी से दूरी बना ली है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीब जाती दिख रही हैं.
फरवरी में, लोकसभा चुनाव से पहले, पल्लवी ने समाजवादी पार्टी पर बगावत का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा कि राज्यसभा उम्मीदवारों के चयन में पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों (पीडीए) को अनदेखा किया गया. इसके बाद अखिलेश यादव ने उन्हें गठबंधन से बाहर कर दिया और लोकसभा चुनाव में उन्हें कोई सीट नहीं दी.
पल्लवी पटेल ने लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दो बार मुलाकात की है और अपने कुछ इंटरव्यू में उन्हें एक ईमानदार मुख्यमंत्री बताया है.
अपना दल (के) के सूत्रों के मुताबिक, पल्लवी इंडिया गठबंधन से परे “दूसरे विकल्पों” पर विचार कर रही हैं, लेकिन एनडीए में उनकी एंट्री आसान नहीं है, क्योंकि अनुप्रिया का अपना दल (एस) पहले से ही एनडीए का हिस्सा है और उनका गृह मंत्री अमित शाह के साथ अच्छा तालमेल है. हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ पल्लवी के प्रति सकारात्मक रुख रखते हैं.
इस बीच, अनुप्रिया पटेल ने हाल के दिनों में आदित्यनाथ सरकार को निशाने पर लिया है. लोकसभा चुनाव के नतीजों के तुरंत बाद उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि सरकारी भर्ती प्रक्रिया में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित सीटों को “अनारक्षित” कर दिया गया है। हालांकि, उनके पति पर आरोप लगने के बाद से वह इस मुद्दे पर चुप हैं.
वर्तमान में अपना दल (एस) के पास विधानसभा में 12 सीटें हैं, जबकि अपना दल (के) की नेता पल्लवी समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक हैं.
सत्ता और विरासत के लिए संघर्ष
अपना दल के संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े कुर्मी नेताओं में से एक थे. कुर्मी समुदाय उत्तर प्रदेश में यादवों के बाद दूसरा सबसे प्रभावशाली अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समूह माना जाता है.
डॉ. सोनेलाल पटेल बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के संस्थापक सदस्यों में से एक और कांशीराम के करीबी सहयोगी थे. बीएसपी से अलग होने के बाद उन्होंने 1995 में अपना दल (के) की स्थापना की. 2009 के फूलपुर लोकसभा चुनाव में वे असफल रहे.
उनके निधन के बाद, 2012 में अनुप्रिया ने वाराणसी की रोहनिया विधानसभा सीट से चुनाव जीता. 2014 में उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन में मिर्जापुर से लोकसभा चुनाव जीता. उसी साल, रोहनिया सीट से कृष्णा पटेल उपचुनाव में हार गईं, जो अनुप्रिया द्वारा खाली की गई थी. अपना दल (एस) के एक सूत्र के अनुसार, यहीं से मां-बेटी के बीच खटास शुरू हुई.
बाद में, अनुप्रिया ने अपना अलग दल बनाया, जिसे अपना दल (एस) नाम दिया गया, जहां एस का मतलब सोनेलाल है. 2022 में, कृष्णा पटेल के गुट, अपना दल (के), ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया. इस गठबंधन के तहत पल्लवी पटेल ने डिप्टी सीएम केशव मौर्य को हराकर विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण जीत दर्ज की.
अपना दल (के) के एक पदाधिकारी ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में पल्लवी की जीत ने पटेल परिवार की सत्ता संघर्ष में नया मोड़ ला दिया. पहले अनुप्रिया का गुट प्रभावशाली था क्योंकि वे केंद्रीय मंत्री थीं और उनके पति राज्य में कैबिनेट मंत्री थे.
पल्लवी और कृष्णा पटेल गुट को केशव मौर्य को हराने के बाद बड़ा फायदा हुआ है, जिससे अब वे अनुप्रिया के दल को चुनौती दे सकते हैं.
इससे पहले, कई बार कृष्णा पटेल ने अपने दामाद आशीष पटेल पर आरोप लगाया कि वह परिवार में झगड़े पैदा कर रहे हैं और अपना दल (के) के कार्यक्रमों में रुकावट डाल रहे हैं.
जुलाई 2022 में, कृष्णा पटेल ने कहा कि आशीष ने अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल करके सोनेलाल पटेल की जयंती के कार्यक्रम की अनुमति रद्द करवा दी थी.
इसके बाद, कृष्णा पटेल ने सोनेलाल पटेल की मौत के मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी. सोनेलाल पटेल 2009 में एक सड़क हादसे में मारे गए थे.
पटेल परिवार के एक करीबी सूत्र ने बताया कि यह झगड़ा सिर्फ वंशानुक्रम का नहीं, बल्कि संपत्ति का भी है. कृष्णा पटेल पल्लवी के साथ हैं और अनुप्रिया और आशीष को नजरअंदाज करती हैं. इसलिए, सोनेलाल पटेल के नाम पर कानपुर में ट्रस्ट और स्कूलों की संपत्ति अभी भी कृष्णा पटेल गुट के पास है.
आशीष पटेल ने संपत्ति में कोई दिलचस्पी होने से इंकार किया है. उन्होंने दिप्रिंट से कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें कहें, तो वह तुरंत अपना इस्तीफा दे देंगे.
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