मुंबई: महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार को आरक्षण आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल और उनकी टीम को नोटिस जारी कर मुंबई के आज़ाद मैदान को खाली करने का आदेश दिया, जहां वे मराठाओं के लिए आरक्षण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार तय की गई शर्तों के उल्लंघन का हवाला देते हुए मुंबई पुलिस ने जरांगे को नोटिस दिया और कहा कि उन्हें आज़ाद मैदान में धरने की अनुमति नहीं है.
हाईकोर्ट में एक दिन पहले हुई सुनवाई के बाद जरांगे ने पुलिस से आज़ाद मैदान में आंदोलन की इजाजत मांगी थी, लेकिन यह अनुरोध ठुकरा दिया गया.
अनशन के पांचवें दिन जरांगे पाटिल ने कहा कि उनका आंदोलन लोकतंत्र के बताए रास्ते पर है और वे अपने विरोध के अधिकार पर डटे रहेंगे.
उन्होंने समर्थकों से शांति और अनुशासन बनाए रखने की अपील करते हुए कहा, “मर भी जाऊं तो भी आज़ाद मैदान नहीं छोड़ूंगा…अगर देखना है कि 350 साल बाद मराठे क्या होते हैं, तो हमें यहां से हटाकर देख लो.”
जरांगे ने कहा, “हम कानून की सीमाओं में रहकर आंदोलन कर रहे हैं. बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश के बाद हमने सड़क से अपने वाहन हटाए और ट्रैफिक साफ कर दिया, लेकिन आरक्षण मिले बिना मैं मुंबई नहीं छोड़ूंगा. अगर सरकार बल का इस्तेमाल करके हमें आज़ाद मैदान से बाहर फेंकती है, तो इसका नुकसान उन्हें ही होगा. मुझे उम्मीद है कि आज कोर्ट हमारे पक्ष में फैसला देगा.”
एक दिन पहले हाईकोर्ट ने कहा था कि दक्षिण मुंबई की स्थिति “काबू से बाहर हो गई है” और महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया था कि मंगलवार तक सड़कों से प्रदर्शनकारियों को हटाकर केवल तय जगह (आज़ाद मैदान) पर ही प्रदर्शन की अनुमति दी जाए. कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए मंगलवार शाम 4 बजे की डेडलाइन दी है और दोपहर 3 बजे मामले की सुनवाई तय की है.
जरांगे ने आरोप लगाया, “(महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री) देवेंद्र फडणवीस झूठ बोल रहे हैं और खेल खेल रहे हैं. हम तो सरकार से बात करने को तैयार हैं. उन्हें मराठों का अपमान नहीं करना चाहिए.”
पुलिस के नोटिस में कहा गया कि करीब 40,000 प्रदर्शनकारी 11,000 छोटे-बड़े वाहनों के साथ मुंबई पहुंचे. इनमें से 5,000 वाहन दक्षिण मुंबई में “गैरकानूनी” तरीके से खड़े किए गए. दिप्रिंट ने इस नोटिस की कॉपी देखी है.
नोटिस में लिखा है, “ये वाहन अवैध रूप से पार्क किए गए हैं और शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिससे ट्रैफिक जाम हुआ. इससे अस्पताल, सरकारी और निजी दफ्तरों जाने वाले आम लोगों को दिक्कत हुई है.”
पुलिस ने आगे कहा कि अनुमति केवल शुक्रवार तक की थी, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने शनिवार और रविवार को भी आंदोलन किया. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया गया कि नोटिस में प्रदर्शनकारियों की अनुशासनहीनता का भी ज़िक्र किया गया है.
इसी बीच जब आरक्षण आंदोलन और इसके असर पर हाईकोर्ट में बहस हो रही थी, उससे कुछ सौ मीटर दूर आज़ाद मैदान में 43-वर्षीय आंदोलनकारी जरांगे अपने अनशन पर अडिग बैठे रहे और चेतावनी दी कि अगर मुख्यमंत्री फडणवीस ने मराठों की आरक्षण मांगें नहीं मानीं, तो 5 करोड़ से ज्यादा मराठे मुंबई पर उतर आएंगे.
जरांगे 29 अगस्त से आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हैं और मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में 10% आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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