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Friday, 22 November, 2024
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पीएम मोदी की चेतावनी के बाद भी आकाश पर कार्रवाई से क्यों हिचक रही है भाजपा

मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने गुरुवार को पार्टी के नेताओं के साथ मंथन किया. इसके बाद भी आकाश के मामले में कोई फैसला नही लिया गया.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंगलवार को भाजपा संसदीय दल की बैठक में दी गई चेतावनी को तीन दिन गुजर गए हैं. भाजपा अभी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे आकाश पर कार्रवाई करने से बचती दिखाई दे रही है. मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष गुरुवार को सदस्यता अभियान संबंधी बैठक में शामिल हुए. इसके बाद भी प्रदेश भाजपा की ओर से इस मामले में कोई फैसला नहीं हुआ है.

आखिर क्या वजह है पार्टी कार्रवाई करने से बच रही है

पार्टी इस पसोपेश में है कि आकाश पर कार्रवाई करने से क्या पश्चिम बंगाल में ममता के खिलाफ ​बीजपी के आक्रमक कैंपेन पर कोई असर तो नहीं पड़ेगा. कैलाश विजयवर्गीय पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रभारी हैं. आकाश पर किसी भी तरह की कार्रवाई का एक संदेश यह भी जाएगा कि हाई प्रोफाइल महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का कद छोटा किया गया है.


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पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ​अमित शाह के बेहद करीबी लोगों में से एक हैं. विजयवर्गीय ने बंगाल में पार्टी को मेहनत कर लोकसभा चुनाव में एक सीट से 18 सीट तक पहुंचाया है. 2021 में बंगाल में विधानसभा के चुनाव होने हैं. जहां बीजेपी इस बार ममता के शासन को उखाड़ फेंकने के लिए मैदान में उतरी है. ऐसे में महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे पर की गई कार्रवाई से उसे नुकसान भी हो सकता है.

मध्य प्रदेश की राजनीति में भी इसका असर देखने को मिलेगा. मप्र भाजपा नेताओं के मुताबिक आकाश के खिलाफ कार्रवाई से भाजपा कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर दिख सकता है. पार्टी इसी नफा-नुकसान का आकलन करने के बाद ही आकाश पर कार्रवाई करना चाहती है.


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इसके अलावा पार्टी इस विकल्प की भी तलाश कर रही है कि आकाश के स्वागत समारोह में जिन कार्यकर्ताओं ने भाग लिया था उन पर कार्रवाई कर इस मामले को रफा-दफा कर दिया जाए.

पीएम हमारे अभिभावक जो फैसला होगा वो मंजूर: विजयवर्गीय

विधायक आकाश विजयवर्गीय पर कारवाई को लेकर गुरुवार को पूरे दिन आंख मिचौलील का खेल चलता रहा .भोपाल पहुंचे राज्य बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह दिनभर बीजेपी की अलग अलग मोर्चे की बैठक में शिरकत करते रहे पर नोटिस के मुद्दे पर चुप्पी साधे रखा. इस मुद्दे पर बात करने पर सदस्यता अभियान की बात करने लगे. गुरुवार देर रात राकेश सिंह भोपाल से दिल्ली लौटे.

शुक्रवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को पूरे मामले की रिपोर्ट सौंपी. अनुशासनात्मक कारवाई करने को लेकर बीजेपी पसोपेश में है कि कार्रवाई किस तरह की जाय कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. यानि प्रधानमंत्री की चेतावनी के बाद कारवाई का संदेश भी चला जाय और कारवाई हो भी न.

मध्य प्रदेश इकाई के संगठन मंत्री सुहास भगत ने दि प्रिंट से बताया कि वैसे तो मैं अधिकृत नहीं हूं पर मेरी जानकारी में अब तक इस मामले में नोटिस जारी नहीं हुआ है. राज्य बीजेपी के अन्य नेता भी एएनआई की जारी ख़बर को तथ्यहीन बताया है.

तो क्या कार्रवाई से पहले कार्रवाई का माहौल बनाया गया?

इसकी शुरुआत एक मीडिया कंपनी की ख़बर से हुई पर उसमें न तो नोटिस की कॉपी दी गई न ही जिस अनुशासन समिति का हवाला दिया गया उसका कोई ज़िक्र था. मध्य प्रदेश अनुशासन समिति के सदस्य को ऐसे किसी नोटिस के जारी होने की सूचना नहीं है और केंद्रीय अनुशासन समिति के मुताबिक उनके समक्ष यह मसला आया नहीं है. वैसे भी आकाश के विधायक होने के कारण राज्य ईकाई ही इस पर फ़ैसला ले सकती है.

उधर, बेटे पर कार्रवाई के लिए तैयार बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने दि प्रिंट से कहा की प्रधानमंत्री हमारे अभिभावक हैं और पार्टी जो भी फैसला लेगी वह आकाश को मंज़ूर होगा.

इंदौर आने से कन्नी काट रहे प्रदेश अध्यक्ष, अभी तक कोई नोटिस नहीं 

इंदौर में सदस्यता अभियान को लेकर बैठक में प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को शामिल होना था. इसकी सूचना पहले ही सभी स्थानीय नेता और पदाधिकारियों को दी गई थी, लेकिन एनवक्त पर सिंह ने अपना कार्यक्रम निरस्त कर दिया. बैट कांड के बाद उन्हें धरना प्रदर्शन के लिए इंदौर आना था, लेकिन वे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे.

विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष बुधवार देर रात भोपाल पहुंचे. गुरुवार को उन्होंने किसान मोर्चा और अल्पसंख्यक मोर्चा की बैठक की. इसके बाद प्रदेश कार्यालय में कार्यकर्ताओं से चर्चा भी की. जब स्थानीय मीडिया ने आ​काश के मामले में प्रशन पूछा तो उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया.

यह कहता है पार्टी का संविधान

भाजपा संविधान की धारा—25 में अनुशासनहीनता करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानकारी दी गई है. इसकी उपधारा 6,7,8,9,10 में सुनवाई और सजाओं का उल्लेख किया गया है. किसी भी मामले में संज्ञान लेकर संबंधित व्यक्ति को शो कॉज नोटिस जारी कर सकते हैं. इसकी एक कॉपी अनुशासन समिति को दी जाती है. नियमों के मुताबिक 15 दिन के भीतर शिकायत की उस समिति के समक्ष मौजूद होकर जवाब देना होता है. इसके बाद सुनवाई की प्रक्रिया के दौरान केस से जुड़े सभी लोगों के बयान लिए जाते हैं. इससे जुड़े सबूत भी एकत्र किए जाते हैं. कोशिश होती है कि दो महीने में सुनवाई पूरी हो जाए. इसके बाद कमेटी रिपोर्ट व अनुशंसा अध्यक्ष को सौंपती है.


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अनुशासन समिति अपनी रिपोर्ट में सजा का जिक्र करती है. प्रदेश अध्यक्ष सजा को कम और ज्यादा भी कर सकते हैं. अगर वह राज्य की अनुशासन समिति की ​रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हो तो केस को केंद्रीय अनुशासन समिति को भेज सकते हैं. अनुशासनहीनता के स्तर को देखते हुए कम से कम चेतावनी देकर छोड़ा जा सकता है. इसके अलावा अधिकतम छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया जा सकता है. पद से हटाने के अलावा पार्टी की सक्रिय सदस्यता भी वापस ली जा सकती है.

आकाश के समर्थन में धरने पर बैठने वाले रघुवंशी ही करेंगे मामले की जांच 

प्रदेश की अनुशासन समिति में संयोजक बाबूसिंह रघुवंशी, ग्वालियर के सांसद विवेक शेजवलकर और सतना के प्रभाकर सिंह शामिल है. इंदौर में बैट कांड के बाद जब भाजपा नेताओं ने प्रशासन के खिलाफ धरना दिया तब अनुशासन समिति के प्रमुख रघुवंशी भी शामिल थे.

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