पटना: बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर ‘विपक्ष की अनिच्छा’ पर हफ्तों ताने मारता रहा सत्तारुढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) अब अपने रुख से पीछे हटता नज़र आ रहा है.
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) जैसे विपक्षी दल लगातार कोविड-19 महामारी के कारण बिहार चुनाव टालने की मांग करने के साथ प्रचार के दौरान केवल ई-रैली और कोविड मरीजों तथा 65 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों के लिए पोस्टल बैलेट के इस्तेमाल संबंधी चुनाव आयोग के फैसले का विरोध करते रहे हैं.
यद्यपि सत्तारूढ़ जदयू-भाजपा गठबंधन निर्धारित समय पर ही चुनाव कराने पर जोर दे रहा था, अब कम से कम भाजपा इस पर पुनर्विचार का मन बनाती दिख रही है.
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दिप्रिंट से कहा, ‘बिहार में चुनाव संभव है या नहीं, यह तय करना चुनाव आयोग का काम है. एनडीए चुनाव आयोग के किसी भी फैसले का स्वागत करेगा. इस समय किसी भी राजनीतिक दल को चुनाव आयोग पर बयान देने की जरूरत नहीं है.’
यह मोदी और अन्य भाजपा नेताओं के पहले के बयानों की तुलना में एकदम भिन्न है, जिसमें सभी दावा करते थे कि राजद अपनी हार के आसार देख चुनाव का सामना करने से डर रहा है.
दिप्रिंट से बातचीत में मोदी ने कहा कि वह ये बात राज्य में कोविड के कारण मौजूदा स्थिति को देखते हुए कह रहे हैं. उन्होंने कहा, ’10 दिन पहले स्थिति इतनी खराब नहीं थी. लेकिन हमें देखना होगा कि चुनाव की तारीखों की घोषणा के समय क्या हालात रहते हैं. कोई भी फैसला होने में अभी तीन महीने का समय बाकी है.’
उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि दिल्ली और मुंबई में हालात कुछ सुधरते दिख रहे हैं तो दक्षिणी राज्य, जो पहले कोविड पर नियंत्रण का उदाहरण माने जा रहे हैं, चरम पर पहुंचने लगे हैं. उन्होंने कहा, ‘इस पर कुछ भी अनुमान लगाना मुश्किल है.’
भाजपा सूत्रों ने संकेत दिए कि अगर निर्धारित समय पर चुनाव होने हैं तो चुनाव आयोग को सितंबर के आखिरी हफ्ते तक नोटिफिकेशन जारी करना होगा. और मतदान पहले की तरफ छह-सात चरणों की बजाए केवल दो चरणों में ही कराना होगा.
भाजपा एमएलसी सम्राट चौधरी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर रहे हैं. लेकिन कोई नहीं जानता कि उस समय स्थिति क्या होगी.’
यह भी पढ़ें: ऐश्वर्या राय और उनकी बेटी आराध्या भी कोरोनावायरस से संक्रमित
कोविड से बिगड़ते हालात
भाजपा नेता चिंतित हैं क्योंकि उनके आसपास ही महामारी का शिकंजा कसने लगा है. पिछले एक हफ्ते के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भतीजी, उनकी बहन और उनके 1 अणे मार्ग स्थित आवास पर तैनात लगभग 40 सुरक्षाकर्मी कोविड जांच में पॉजिटिव निकले हैं.
यहां तक कि उपमुख्यमंत्री कार्यालय में भी, मोदी के निजी सहायक सहित तीन लोग पॉजीटिव पाए गए हैं.
पार्टी ने चुनाव प्रचार के सुरक्षित तरीके के रूप में ई-रैलियों की पुरजोर वकालत की थी.
वर्चुअल रैली का आयोजन कैसे किया जाएगा इसे विस्तार से समझाते हुए बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने पूर्व में दिप्रिंट को बताया था, ‘पंचायत स्तर पर, जहां कनेक्टिविटी एक बड़ा मुद्दा है, हमने 40-50 लोगों की क्षमता वाले एक बड़े हॉल में टेलीविजन स्क्रीन लगाने का फैसला किया है. इसके साथ ही हमारे 72,000 बूथों में से, 60,000 बूथ पर रैली की लाइव-स्ट्रीमिंग होगी, जहां कनेक्टिविटी की सुविधा है.’
इसके अनुसार ही, राज्य में ई-रैलियां शुरू हो गई थीं. हालांकि, चार दिन पहले मोतिहारी में इसी तरह की एक रैली में भाग लेने वाले 100 लोगों में से नौ को बाद में पॉजीटिव पाया गया था.
यह भी राज्य में कोविड की बिगड़ती स्थिति का संकेत है.
बिहार में पिछले कुछ दिनों से हर रोज करीब 700 नए मामले सामने आ रहे हैं. शनिवार शाम तक आए आंकड़ों के मुताबिक राज्य में कुल केस की संख्या 14919 हो गई है, इसमें 740 मामले अकेले शनिवार को सामने आए.
राज्य सरकार ने पटना समेत सात जिलों में सात दिन का लॉकडाउन लागू किया है.
नाम न बताने की शर्त पर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘ऐसे हालात में अगर मान लो सितंबर तक हर रोज आने वाले मामलों की संख्या बढ़कर 3000 के करीब पहुंच जाए. तो विधानसभा चुनाव कराना प्रक्रिया का मजाक बनाने जैसा होगा. चिराग पासवान (लोजपा नेता) ठीक कह रहे हैं- अगर मौजूदा हालात में चुनाव कराए गए तो मतदान काफी कम होगा और लोग हमें चुनाव थोपने के लिए जिम्मेदार ठहराएंगे.’
भाजपा नेता ने आगे कहा कि मरीजों के ठीक होने की 73.08 फीसदी की उच्च दर के कारण सब कुछ ठीक होने का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आश्वासन अतार्किक महसूस होता है.
उन्होंने कहा, ‘न केवल टेस्टिंग की दर अपर्याप्त है, बल्कि हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं का यह आरोप भी है कि बेहतर तस्वीर पेश करने के लिए आंकड़े छिपाए जा रहे हैं.’
यह भी पढ़ें: बेरोजगारी, शराबबंदी, किसान बोनस देने के वादों से पलटी बघेल सरकार, अब RTO चौकियों को खोलने का दिया आदेश
भाजपा मजबूत स्थिति में
भाजपा नेताओं ने इंगित किया कि यदि 20 नवंबर तक नई विधानसभा का गठन नहीं हुआ तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना अपरिहार्य हो जाएगा.
ऊपर उद्धृत वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ‘आप छह माह के लिए कार्यवाहक मुख्यमंत्री नहीं बने रह सकते.’ उन्होंने कहा, ‘संसद विधानसभा का कार्यकाल बढ़ाने के लिए अधिकृत है. लेकिन ऐसा केवल आपातकाल के दौरान हुआ था जब स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने सदन का कार्यकाल दो साल के लिए बढ़ा दिया था. इसकी संभावना बहुत ही कम है कि पीएम मोदी और अमित शाह सदन का कार्यकाल बढ़ाकर नीतीश कुमार को कोई मौका देंगे.’
ऐसी स्थिति भाजपा नेता तो सत्ता में न होने के बावजूद राज्यपाल कार्यालय के जरिये सत्ता का आनंद ले पाएंगे लेकिन नीतीश कुमार भाजपा के साथ सौदेबाजी की स्थिति में नहीं रहेंगे.
विपक्ष को भी अब यह उम्मीद नज़र आ रही है कि बढ़ती कोविड महामारी के कारण चुनाव टल जाएंगे. राजद सांसद मनोज झा ने दिप्रिंट से कहा, ‘मौजूदा समय में सवाल वैधानिकता का नहीं बल्कि मानवीयता का है. कुछ और दिन इंतजार कर लें, हालात बहुत चिंताजनक होने वाले हैं.’
कांग्रेस को भी इसी तरह की उम्मीद है. बिहार में कांग्रेस के प्रभारी शक्तिसिंह गोहिल ने कहा, ‘चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है. हमें उम्मीद है कि राजनीतिक दलों में एकराय बनेगी और सुरक्षित ढंग से बिहार चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग अपना काम करेगा.’
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)