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Wednesday, 20 November, 2024
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‘वंशवादी पार्टियां बीमारी हैं, विकृति हैं’ — 2023 में लाल किले पर मोदी 2014 से कैसे बहुत अलग हैं

2014 में मोदी उन राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के प्रति सकारात्मक और गर्मजोशी से भरे थे, जिन्हें उन्होंने बमुश्किल तीन महीने पहले हराया था. इस साल उन्होंने लोगों से अपने विरोधियों से ‘छुटकारा पाने’ का आह्वान किया.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 10वें स्वतंत्रता दिवस के भाषण में मंगलवार को नौ साल पहले शीर्ष पद पर आने के बाद से उनकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का सुझाव दिया गया है.

2014 में अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में मोदी उन राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के प्रति सकारात्मक और गर्मजोशी भरे थे, जिन्हें उन्होंने बमुश्किल तीन महीने पहले हराया था. उन्होंने कहा था कि अगर आज़ादी के बाद देश “इतनी ऊंचाइयों” तक पहुंचा है, तो यह “सभी प्रधानमंत्रियों, सभी सरकारों और यहां तक कि सभी राज्यों की सरकारों के योगदान के कारण” था.

एक दिन पहले खत्म हुए संसद सत्र के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार “बहुमत के आधार पर आगे बढ़ने के पक्ष में नहीं है…” बल्कि हम मजबूत आम सहमति के आधार पर आगे बढ़ना चाहते हैं.”

लाल किले की प्राचीर से मोदी ने कहा, “मैं बहुत गर्व के साथ सभी राजनीतिक दलों को सलाम करता हूं…”

वो 2014 की बात है, लेकिन मंगलवार को प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से लोगों को भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और तुष्टीकरण से पहचाने जाने वाले अपने राजनीतिक विरोधियों से “छुटकारा पाने” के लिए प्रेरित कर रहे थे. उन्होंने कहा, वंशवादी पार्टियां भारतीय लोकतंत्र में “एक बीमारी”, एक “विकृति” हैं, उन्होंने कहा, “उनका जीवन मंत्र है कि उनकी राजनीतिक पार्टी परिवार की, परिवार द्वारा और परिवार के लिए है.” यह पहली बार था कि मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन को विपक्षी दलों पर सीधे हमला करने के लिए चुना, जो पिछली सरकारों पर उनकी कथित चूक और कमीशन के लिए हमेशा की तरह कटाक्ष से अलग था.

हालांकि, ‘भाई-भतीजावाद’ शब्द 2017 से उनके स्वतंत्रता दिवस के भाषणों में आना शुरू हुआ, लेकिन उन्होंने इसे अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से जोड़े बिना सामान्य अर्थ में कहा. 2022 में उन्होंने यह स्पष्ट करने का मुद्दा उठाया: “जब भी मैं भाई-भतीजावाद या वंशवाद के बारे में बात करता हूं, तो लोग सोचते हैं कि मैं केवल राजनीति के संदर्भ में बात कर रहा हूं. बिल्कुल नहीं. दुर्भाग्य से, इस राजनीतिक बुराई ने हिंदुस्तान में सभी संस्थानों को पोषित किया है.” मंगलवार को, उन्होंने स्पष्ट किया कि जब वह भाई-भतीजावाद के बारे में बात कर रहे थे तो वह “राजनीतिक दलों पर विशेष जोर” दे रहे थे.

2023 में पीएम मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण में जो नया था वह उनका ‘तुष्टिकरण’ का संदर्भ था. हालांकि, उन्होंने ‘अल्पसंख्यक तुष्टिकरण’ नहीं कहा, लेकिन सोचने के लिए कुछ भी नहीं बचा था.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता लंबे समय से कांग्रेस और अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों पर मुसलमानों का “तुष्टिकरण” करने का आरोप लगाते रहे हैं. मोदी ने मंगलवार को कहा, “इस तुष्टीकरण ने हमारे राष्ट्रीय चरित्र, हमारे देश के मौलिक दर्शन पर धब्बा लगा दिया है.”

यह पहली बार है कि उन्होंने — या किसी प्रधानमंत्री ने इस मामले में — स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में ‘तुष्टिकरण’ शब्द का इस्तेमाल किया है. 2014 में उन्होंने अन्य बातों के अलावा, सांप्रदायिकता पर 10 साल के “स्थगन” का आह्वान किया था. 2018 में उन्होंने “मुस्लिम माताओं, बहनों और बेटियों” को आश्वासन दिया था कि वो तब तक नहीं रुकेंगे जब तक कि उन्हें तीन तलाक की बुरी व्यवस्था से मुक्त नहीं कर देते. उन्होंने अगले ही वर्ष इसे पूरा कर लिया. उनके 10वें स्वतंत्रता दिवस के भाषण ने “तुष्टिकरण” की शुरुआत के साथ दृष्टिकोण में बदलाव का संकेत दिया.


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वर्षों से फोकस बदल रहा है

पीएम मोदी द्वारा अपना पहला स्वतंत्रता दिवस भाषण देने के बाद से कई चीज़ें बदल गई हैं. ऐसे कई विषय थे जो पिछले भाषणों में शामिल थे और बाद में लुप्त हो गए. उदाहरण के लिए 2014 में पीएम ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की घोषणा की थी, जिससे प्रत्येक सांसद को 2016 तक एक मॉडल गांव और 2024 तक 5 ऐसे गांवों को विकसित करने का दायित्व दिया गया था. मोदी ने कहा था, “अगर हमें एक राष्ट्र का निर्माण करना है, तो हमें गांव से शुरुआत करनी चाहिए.” यहां तक कि बीजेपी सांसदों को भी अब पीएम की महत्वाकांक्षी योजना याद नहीं रह गई है.

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 2018 में लाल किले की प्राचीर से बोलते हुए, पीएम मोदी ने आजादी के 75वें वर्ष यानी 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के अपने दृष्टिकोण की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था, “कुछ लोगों को संदेह है, जो बिल्कुल स्वाभाविक है. लेकिन हम दृढ़ हैं. हम मक्खन पर लकीर नहीं, पत्थर पर लकीर खींचने वाले हैं.”

अपने 2018 के संबोधन में पीएम ने लोगों से कहा था कि एक समय था जब उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की खबरों में ऐसी सामग्री हावी होती थी जो कोई चाहता था कि वो वहां न होती. उन्होंने तब कहा था, “आज नॉर्थ-ईस्ट प्रेरक कहानियां लेकर आ रहा है…एक समय था जब नॉर्थ-ईस्ट को लगता था कि दिल्ली बहुत दूर है…हम दिल्ली को नॉर्थ-ईस्ट के दरवाज़ें पर ले आए हैं.” मंगलवार को उन्होंने मणिपुर में हिंसा के दौर, लोगों की जान जाने और मां-बेटियों की गरिमा के हनन के बारे में बात करते हुए कहा कि “देश मणिपुर के लोगों के साथ खड़ा है”.

राजनीति और शासन की प्राथमिकताओं के आधार पर 2014 के बाद से पीएम मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण का पाठ स्वाभाविक रूप से बदल रहा है. हालांकि, 2023 का भाषण प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में “तुष्टिकरण” और “वंशवादी दलों” के प्रवेश के साथ एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है.

इसने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के अभियान की दिशा तय कर दी.

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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