देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक आने से पहले पिछले साल भाजपा ने दो बार मुख्यमंत्री बदले. त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत के बाद जुलाई में राज्य की बागडोर संभालने वाले पुष्कर सिंह धामी भाजपा सरकार के तीसरे सीएम थे. बहरहाल, धामी पूरी तरह आश्वस्त हैं कि नेतृत्व परिवर्तन को लेकर भाजपा सरकार के प्रति राज्य की जनता की धारणा पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा.
धामी ने दिप्रिंट को दिए एक खास इंटरव्यू में कहा, ‘यह जनता के लिए कोई मुद्दा ही नहीं है. आप इसे इस तरह देख सकते हैं जैसे किसी कार को अपने गंतव्य तक पहुंचना है और बीच में ड्राइवर बदलते रहते हैं, लेकिन कार निश्चित तौर पर अपने मुकाम तक पहुंचेगी.’
पिछले साल मार्च में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने करीब चार साल बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि उनके ‘उदासीन नेतृत्व’ और राज्य प्रशासन पर नियंत्रण के अभाव को लेकर भाजपा नेतृत्व पर उन्हें हटाने के लिए दबाव बढ़ रहा था. पार्टी में तमाम लोगों को आशंका थी कि इससे 2022 के चुनावों में भाजपा की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं. वहीं उनकी जगह लेने वाले तीरथ सिंह रावत को मात्र चार महीने के संक्षिप्त कार्यकाल के बाद ही पद छोड़ना पड़ा. लोकसभा सांसद रहते मुख्यमंत्री बनाए गए तीरथ रावत को इस पद पर बने रखने के लिए 10 सितंबर 2021 से पहले राज्य विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी था. हालांकि, पार्टी सूत्रों के मुताबिक, रावत ने भाजपा आलाकमान के कहने पर पद से इस्तीफा दिया क्योंकि ऐसा माना जा रहा था कि रावत विधानसभा उपचुनाव में हार सकते हैं.
इसके बाद धामी को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई. यह पूछने पर कि अगर आगामी चुनाव में भाजपा जीतती है तो क्या वह ड्राइवर बने रहेंगे, मुख्यमंत्री ने हंसते हुए जवाब दिया, ‘मैंने कभी ड्राइवर बनने का अनुरोध नहीं किया…पार्टी ने मुझे काम दिया और मैं वही कर रहा हूं. मैंने कभी कोई पद देने या चेहरा बनाने को नहीं कहा. मैंने कभी ऐसा कोई दावा भी नहीं किया.’
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं पार्टी का एक साधारण कार्यकर्ता हूं. हमारे माननीय प्रधानमंत्री, पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय नेतृत्व ने मुझे पार्टी के लिए काम करने का एक मौका दिया और पिछले छह महीनों में मेरे पास जो भी ऊर्जा, क्षमता और बुद्धि है, उसे मैंने पूरी तरह उत्तराखंड के लोगों की भलाई में लगा दिया. मैंने अपने राज्य के लोगों के लिए लगातार काम किया और उसके बदले में कोई अपेक्षा नहीं रखी.’
अब जबकि उत्तराखंड की 70 सीटों वाली विधानसभा के लिए 14 फरवरी को मतदान होने जा रहा है, धामी को राज्य में फिर भाजपा की सरकार बनने का पूरा भरोसा है. धामी ने कहा, ‘मैं उत्तराखंड की हर गली-नुक्कड़ तक गया हूं और पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि भाजपा फिर से सरकार बना रही है. इस बार हमारा नारा है अबकी बार 60 पार और हम यह हासिल कर लेने के लिए पूरी तरह आश्वस्त हैं.’
धामी ने चुनावी मैदान में आम आदमी पार्टी (आप) के आने से राज्य में त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना से साफ इनकार किया.
उन्होंने कहा, ‘कोई त्रिकोणीय मुकाबला नहीं है. वास्तव में यह एक एकतरफा चुनाव है जिसमें भाजपा जीत रही है. लोगों को बस 14 फरवरी का इंतजार है और आप देखेंगे कि ये दोनों दल (कांग्रेस और आप) चुनाव में सिर्फ नजर आ रहे हैं और चुनाव बाद उनका बोरिया-बिस्तर सिमट जाएगा. उनका एजेंडा भी सिर्फ चुनाव के लिए है.
मुख्यमंत्री ने माना कि राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों से पलायन एक गंभीर मुद्दा माना है और यह बात भी सही है कि कोविड-19 महामारी के कारण राज्य में बेरोजगारी बढ़ी है. लेकिन साथ ही कांग्रेस के उन दावों का खंडन किया कि उत्तराखंड में भाजपा उन कार्यों का श्रेय ले रही है जो राज्य में कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान शुरू हुए थे.
उन्होंने कहा, ‘2012 में कांग्रेस सत्ता में थी और उत्तराखंड के लोगों ने देखा कि कैसे केदारनाथजी के स्थान पर मलबा और कचरा छोड़ दिया गया था. तीन साल से कोई काम नहीं हो रहा था. कांग्रेस चाहे तो यह भी कह सकती है कि 1947 के बाद उन्होंने जो भी काम शुरू किए थे वह सब अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूरे हो रहे हैं. उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं बचा है. अगर उन्होंने अपने कार्यकाल में काम किया होता तो आज उन्हें ये सब कहने की नौबत नहीं आती.’
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बुनियादी ढांचा मजबूत, लेकिन बेरोजगारी बढ़ी
यह पूछे जाने पर कि उत्तराखंड में उनकी पार्टी ने क्या कार्य किए हैं और वे जनता को क्या दिखा रहे हैं, मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने उत्तराखंड के लिए बहुत काम किया गया है, जिसमें नई सड़कों, ऑलवेदर रोड और एम्स का निर्माण शामिल है.
उन्होंने दावा किया, ‘मोदी सरकार ने राज्य के लिए व्यापक स्तर पर काम किया है, चाहे नई सड़कों का निर्माण कराया जाना हो या फिर एम्स (हल्द्वानी) की स्थापना. उसके पहले कोई काम नहीं हो रहा था, चाहे टनकपुर से बागेश्वर रेलवे लाइन को मंजूरी हो या टिहरी में सुरंग निर्माण, देहरादून एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाना या पंतनगर में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाना. हमारी सरकार ने मुफ्त कोविड-19 टीकाकरण भी किया है.’
हालांकि, राज्य में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरी है और विपक्ष सरकार पर रोजगार के नए अवसर पैदा करने में विफल रहने का आरोप लगा रहा है लेकिन धामी इसके लिए काफी हद तक महामारी को भी जिम्मेदार मानते हैं.
उन्होंने कहा, ‘महामारी के कारण रोजगार प्रभावित हुआ है. लेकिन हम रोजगार सृजन और इसके अवसर बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमने इसके लिए काम भी किया है. हमने सरकारी नौकरियों में 24,000 रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.’
धामी ने बताया, ‘काफी समय से अटकी पुलिस भर्ती की प्रक्रिया हमने शुरू कर दी है. अन्य विभागों को भी जहां भी संभव हो नई भर्तियां शुरू करने को कहा गया है. हमने इसके लिए एक रोडमैप बनाया है.’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘सबसे अहम बात यह है कि केवल सरकारी नौकरियां सृजित करके ही बेरोजगारी की समस्या को दूर नहीं किया जा सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘हम इसके लिए अलग से योजनाएं बना रहे हैं, हम (पर्यटकों के लिए) होमस्टे स्कीम को बढ़ावा दे रहे हैं, ताकि लाखों लोगों को खुद रोजगार मिल सके और वे दूसरों के लिए भी रोजगार पैदा कर सकें.’
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की तरफ से जारी आंकड़े बताते हैं, पिछले पांच साल में उत्तराखंड में रोजगार योग्य आबादी जहां 14 फीसदी बढ़ी है, वहीं रोजगार दर दिसंबर 2016 में 40.10 प्रतिशत की तुलना में घटकर दिसंबर 2021 में 30.43 फीसदी पर आ गई.
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पलायन और अन्य मुद्दे
पहाड़ी क्षेत्रों से लोगों का पलायन राज्य में एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बना हुआ है और धामी ने भी माना कि यह एक ऐसी समस्या है जिस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘हम पहले से ही पहाड़ी क्षेत्र में बुनियादी ढांचा और सेवाएं प्रदान करने पर काम कर रहे हैं. जिन अस्पतालों में डॉक्टर नहीं थे, वहां स्टाफ तीन गुना बढ़ा दिया गया. हमने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पहाड़ी इलाकों में) खोलने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘पलायन एक बड़ा मुद्दा है और हम इस पर काम कर रहे हैं. हमारी सरकार ने एक माइग्रेशन कमीशन बनाया है. पलायन तो तभी रुकेगा जब पहाड़ी क्षेत्रों में दूरदराज के इलाकों में रहने वालों को अपने घरों के आसपास रोजगार और नौकरियां मिलेंगी. नौकरी न भी मिले तो उन्हें खुद के व्यवसाय के अवसर मिलने चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘इसके लिए हमने विभागों से 10 साल की योजना बनाकर सुझाव देने को कहा है. हम उस दिशा में आगे बढ़ेंगे और निश्चित तौर पर पलायन रुकेगा.’
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने विपक्ष के इस आरोप को खारिज कर दिया कि गढ़वाल के लोगों में भाजपा के प्रति नाराजगी है क्योंकि उसने स्थानीय नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम पद से हटा दिया और फिर कुमाऊं क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले धामी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई.
उन्होंने कहा, ‘ऐसा कुछ नहीं है. हमारा राज्य 13 जिलों वाला एक छोटा-सा राज्य हैं, यहां इस तरह की कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं है. ‘मुझे युवाओं, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों सभी का समर्थन मिल रहा है. ये सब कहने की बाते हैं. कश्मीर से कन्याकुमारी तक हम प्रधानमंत्री के नेतृत्व में रहते हैं. यह एक छोटा राज्य है और पूरा राज्य एकजुट है.’
धामी राज्य के सिख समुदाय की तरफ से समर्थन को लेकर भी पूरी तरह आश्वस्त नजर आए, इस तथ्य के बावजूद कि 2020 में मोदी सरकार के विवादास्पद कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लेने वालों में बड़ी संख्या में राज्य के उधम सिंह नगर जिले के कई सिख किसान भी शामिल थे.
खटीमा निर्वाचन क्षेत्र राज्य के उधम सिंह नगर जिले में ही आता है जहां से धामी आगामी चुनाव लड़ रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक यहां के 11 विधानसभा क्षेत्रों में से नौ में सिख मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं. 2017 में एक को छोड़ बाकी सभी सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी.
धामी ने कहा, ‘क्षेत्र में कोई समस्या नहीं है. मैं खुद उस जिले का हूं, मैं एक किसान परिवार से आता हूं और वे इस बात से खुश हैं कि मैं एक मुख्य सेवक हूं. वे पूरी तरह हमारे समर्थन में हैं.’
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