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Sunday, 22 December, 2024
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अब सियासी कथा बांचने उतरेंगे देवकीनंदन ठाकुर

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आस्था के बाजार से होते हुए सियासत में उतरने वाले बाबाओं में एक और नाम शामिल होने जा रहा है.

अखंड भारत मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर जो कि कुछ समय से एससी/एसटी एक्ट का मुखर विरोध कर रहे हैं, ने अब राजनीति में उतरने का मन बना लिया है.

ठाकुर कथावाचक हैं और खुद को आध्यात्मिक नेता बताते हैं. उन्होंने अमरीका से फेसबुक लाइव कर अपने अनुयायियों, भक्तजनों की इस बारे में राय जाननी चाही कि उन्हें स्वयं चुनाव लड़ना चाहिए, संगठन से चुनाव लड़वाना चाहिए या कथावाचन तक अपनी सीमा बनाए रखनी चाहिए.

देवकीनंदन ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि “वे हर बार मन की बात करते हैं पर जनता के मन की बात का क्या.” उन्होंने कहा कि डेढ़ दो महीने से उनका संगठन आंदोलन कर रहा है पर भाजपा सरकार ने उनकी आवाज़ नहीं सुनी.

साथ ही उन्होंने कहा कि हज़ारों, लाखों लोगों की मांग है कि बिना जांच के गिरफ्तारी के प्रावधान वाले एससी/एसटी एक्ट को हटाया जाए, पर देश के 700 सांसदों में से एक ने भी इस पर आवाज़ नहीं उठाई.

उनका कहना था कि वे अपने हित या जातिगत हित के मद्देनज़र ये आंदोलन नहीं कर रहे और देश हित में ही इस एक्ट का विरोध कर रहे हैं. पर चंद लोग वोट की राजनीति में देश हित को तिलांजलि दे रहे हैं.

उनका कहना था कि उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को देख लिया है और किसी ने भी अगड़ी जातियों के हित में आवाज़ नहीं उठाई है. उनका कहना था कि कुछ लोग कहते हैं, पर करते नहीं. लेकिन वे कहते हैं और करते भी हैं. देवकीनंदन ठाकुर का कहना था, “हम देश को बंटने नहीं देंगे, देश की अखंडता बनी रहे.”

उन्होंने कहा कि पहला लक्ष्य मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव हैं. यहां वे चाहते हैं कि एससी/एसटी एक्ट का विरोध कर रहे सभी संगठन एकजुट हो कर चुनाव लड़ें. ठाकुर ने स्वयं को सवर्णों के नेता के रूप में पेश किया है और कथावाचक से अब वे राजनेता सरीखी बातें करने लगे हैं. साफ हो रहा है कि सक्रिय राजनीति करने का वे मन बना चुके हैं.

भाजपा की चिंता

उत्तर प्रदेश के स्वघोषित ‘आध्यात्मिक नेता’, देवकीनंदन ठाकुर भारतीय जनता पार्टी के ऊपरी जातियों को मनाने के प्रयासों में अड़चनें डाल रहे हैं. उन्हें हाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के पहले आगरा में 11 सितंबर को हिरासत में भी लिया गया था. पुलिस का दावा था कि आगरा में धारा 144 लगी थी, जो किसी एक स्थान पर चार से अधिक लोगों की असेंबली को प्रतिबंधित करता है. इसका उल्लंघन करने पर उन्हें हिरासत में लिया गया और बाद में रिहा कर दिया गया.

बीजेपी सूत्रों ने कहा कि ‘अखंड भारत मिशन’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर– जो कि एससी/एसटी संशोधन का विरोध करने के लिए पूरी तरह समर्पित हैं, “पार्टी के लिए तेज़ी से सिरदर्द बन रहे हैं.” यह ऐसे समय में हो रहा है जब भाजपा पिछड़ी जातियों तक अपनी पहुंच को संतुलित करते हुए अगड़ी जातियों के गुस्से को शांत करने में लगी है.

मध्य प्रदेश चुनावों पर असर

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार के लिए जातियों के बीच ये टकराव बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है.

मध्य प्रदेश में सामान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक कल्याण समाज (SAPAKS) अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम में केंद्र द्वारा किये संशोधन के खिलाफ सवर्णों एवं ओबीसी के विरोध को एकजुट करने में सफल रहा है. अब इसे पार्टी के रूप में लॉन्च भी कर दिया गया है और उसका कहना है कि वो मध्य प्रदेश के सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारेगा.

इस पर देवकीनंदन ठाकुर और उनके संगठन अखंड भारत मिशन का चुनावों में उतरना चुनावों को रोचक बना सकता है. मध्य प्रदेश में कुल आबादी का 37 प्रतिशत एससी/एसटी और 64 प्रतिशत अगड़ी जातियां हैं.

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