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सोमवार, 2 जून, 2025
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कर्नल सोफिया कुरेशी पर बयान के लिए HC ने BJP मंत्री विजय शाह पर FIR दर्ज करने का निर्देश दिया

हाईकोर्ट ने डीजीपी को एफआईआर दर्ज करने के लिए 4 घंटे की समयसीमा दी है, अन्यथा उन्हें अदालत की अवमानना ​​की कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा. एमपी के मंत्री की आलोचना करते हुए कहा गया कि यह गटर की भाषा है.

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भोपाल: कर्नल सोफिया कुरेशी को लेकर दिए गए विवादित बयान पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को स्वतः संज्ञान लेते हुए भाजपा कैबिनेट मंत्री कुनवर विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया.

जस्टिस अतुल श्रीधरन और अनुराधा शुक्ला की बेंच ने डीजीपी को आदेश दिया कि भाजपा मंत्री के खिलाफ चार घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज की जाए, अन्यथा उन्हें कोर्ट की अवमानना का सामना करना पड़ेगा.

कर्नल कुरेशी ने विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ मिलकर ऑपरेशन सिंदूर की प्रगति के बारे में मीडिया और देश को जानकारी दी थी.

जस्टिस श्रीधरन ने कहा कि मंत्री ने “नालियों” जैसी भाषा का इस्तेमाल किया.

कोर्ट ने कहा कि शाह ने कर्नल कुरेशी के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से घिनौनी टिप्पणी की, जो स्पष्ट रूप से उन्हीं की ओर इशारा करती है क्योंकि ऐसा कोई और नहीं है जो उस विवरण में फिट बैठता हो. अदालत ने कहा, “उनकी टिप्पणियां न केवल संबंधित अधिकारी के लिए बल्कि सशस्त्र बलों के लिए भी अपमानजनक और खतरनाक हैं.”

“टिप्पणियां कैंसर जैसी और खतरनाक हैं क्योंकि अब वे देश की सशस्त्र सेनाओं तक पहुंचने लगी हैं,” कोर्ट ने कहा.

हाईकोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य) के तहत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि मंत्री का बयान, जिसमें उन्होंने कर्नल कुरेशी को पहलगाम हमले के “आतंकवादियों की बहन” कहा, “अलगाववादी भावना को बढ़ावा देता है और यह दर्शाता है कि कोई भी मुस्लिम होते हुए अलगाववादी हो सकता है, जिससे भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरा पैदा होता है.”

कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि धारा 196 1 (बी) भी लागू की जाए, यह कहते हुए कि एक फौजी कर्नल को “आतंकवादियों की बहन” कहकर अपमानित करना धार्मिक सद्भाव बनाए रखने के लिए हानिकारक हो सकता है, क्योंकि इससे यह धारणा बन सकती है कि भारत के प्रति निस्वार्थ सेवा देने के बावजूद किसी व्यक्ति को सिर्फ मुस्लिम होने के कारण अपमानित किया जा सकता है.

कोर्ट ने धारा 197— जो राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक वक्तव्यों को दंडनीय अपराध मानती है — लागू करने का भी आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि प्रारंभिक तौर पर शाह का बयान समुदायों के बीच वैमनस्य, घृणा या दुर्भावना की भावना उत्पन्न करने की प्रवृत्ति रखता है.

इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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