scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमदेशबिना नाम लिए मोदी ने साधा कांग्रेस पर निशाना, 'फॉर द फैमिली, बाय द फैमिली'...आगे कहने की जरूरत नहीं

बिना नाम लिए मोदी ने साधा कांग्रेस पर निशाना, ‘फॉर द फैमिली, बाय द फैमिली’…आगे कहने की जरूरत नहीं

संसद के केंद्रीय कक्ष में संविधान दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने पारिवारिक पार्टियों को संविधान के प्रति समर्पित राजनीतिक दलों के लिए चिंता का विषय बताया.

Text Size:

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस के अवसर पर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि जो राजनीतिक दल अपना लोकतांत्रिक चरित्र खो चुके हैं, वह लोकतंत्र की रक्षा नहीं कर सकते हैं.

संसद के केंद्रीय कक्ष में संविधान दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने पारिवारिक पार्टियों को संविधान के प्रति समर्पित राजनीतिक दलों के लिए चिंता का विषय बताया.

उन्होंने कहा, ‘देश में एक संवैधानिक लोकतांत्रिक परंपरा है और इसमें राजनीतिक दलों का अपना एक महत्व है. राजनीतिक दल भी हमारे संविधान की भावनाओं को जन-जन तक पहुंचाने का एक प्रमुख माध्यम हैं, लेकिन संविधान की भावना को चोट तब पहुंचती है, जब राजनीतिक दल अपना लोकतांत्रिक चरित्र खो देते हैं.’

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जो दल स्वयं लोकतांत्रिक चरित्र खो चुके हो, वह लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं?

उन्होंने कहा, ‘कश्मीर से कन्याकुमारी तक हिंदुस्तान के हर कोने में जाइए…आज भारत एक ऐसे संकट की तरफ बढ़ रहा है जो संविधान के समर्पित लोगों के लिए चिंता का विषय है. लोकतंत्र के प्रति आस्था रखने वालों के लिए चिंता का विषय है और वह है पारिवारिक पार्टियां.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

उन्होंने कहा, ‘पार्टी फॉर द फैमिली… पार्टी बाय द फैमिली… अब आगे कहने की जरूरत नहीं लगती है.’

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है.

जब सदन में इस विषय पर मैं 2015 में बोल रहा था, बाबा साहेब अम्बेडकर की जयंती के अवसर पर इस कार्य की घोषणा करते समय तब भी विरोध आज नहीं हो रहा है उस दिन भी हुआ था, कि 26 नवंबर कहां से ले आए, क्यों कर रहे हो, क्या जरूरत थी.

पीएम ने आगे कहा, ‘महात्मा गांधी ने आजादी के आंदोलन में आधिकारों के लिए लड़ते हुए भी, कर्तव्यों के लिए तैयार करने की कोशिश की थी. अच्छा होता अगर देश के आजाद होने के बाद कर्तव्य पर बल दिया गया होता.’

महात्मा गांधी जी ने जो कर्तव्य के बीज बोए थे, आजादी के बाद वो वट वृक्ष बन जाने चाहिए थे. लेकिन दुर्भाग्य से शासन व्यवस्था ऐसी बनी कि उसने अधिकार, अधिकार की बातें करके लोगों को एक अवस्था में रखा कि ‘हम हैं तो आपके अधिकार पूरे होंगे’.

अपने संबोधन की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि दी स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया.

प्रधानमंत्री ने मुंबई आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे लिए 26/11 दुखद दिन, क्योंकि इस दिन देश के दुश्मनों ने मुंबई में आतंकवादी हमले को अंजाम दिया था. मोदी ने 26/11 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के दौरान देश की रक्षा करते हुए प्राण न्यौछावर करने वाले सुरक्षा कर्मियों को श्रद्धांजलि दी.

कार्यक्रम की शुरुआत संसदीय कार्य मंत्री जोशी के स्वागत भाषण से हुई और उसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कार्यक्रम को संबोधित किया.

उन्होंने कहा कि संविधान एक भावना है, जो हमें जोड़ने की ताकत देती है और जनता की आकांक्षाओं और उम्मीदों को पूर्ण करने का मार्ग दिखाता है.

ज्ञात हो कि संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है क्योंकि 1949 में इसी दिन संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था. संविधान दिवस की शुरुआत 2015 से की गई थी. भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था.

कांग्रेस और कई विपक्षी दलों ने ‘संविधान दिवस’ कार्यक्रम का किया बहिष्कार 

कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने संसद के केंद्रीय कक्ष में शुक्रवार को ‘संविधान दिवस’ पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम का बहिष्कार किया.

संसद के केंद्रीय कक्ष में संविधान दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे.

कांग्रेस के साथ साथ संविधान दिवस को द्रमुक, शिवसेना, आरएसपी, राकांपा, सपा, टीएमसी, भाकपा, माकपा, राजद, झामुमो और आईयूएमएल ने बहिष्कार किया.

भाकपा, माकपा, राजद, द्रमुक और तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने पुष्टि की है कि वे उस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे जो भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर सरकार के ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम का हिस्सा है.

सूत्रों ने बताया कि पार्टी नेताओं के बीच अनौपचारिक विचार-विमर्श के बाद बहिष्कार का फैसला किया गया.

एक वाम दल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि विपक्षी नेताओं ने एक-दूसरे से बात की है और सरकार के खिलाफ यह कार्रवाई करने का फैसला किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार नियमित रूप से ‘संविधान का अपमान कर रही है.’

टीएमसी के एक नेता ने कहा कि उनका कोई भी सांसद कार्यक्रम में शामिल होने के लिए इस समय दिल्ली में नहीं है.

द्रमुक के एक वरिष्ठ नेता ने भी पुष्टि की कि वे उस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे जो लोकसभा सचिवालय और अध्यक्ष द्वारा आयोजित किया जा रहा है.


यह भी पढ़ें: संविधान दिवस : 26 नवम्बर ‘अंतर्विरोधों के नये युग’ से कब बाहर निकलेंगे हम?


 

share & View comments