चंडीगढ़: पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस आलाकमान राज्य में मुख्यमंत्री बदलने की तैयारी में नज़र आ रहा है.
पार्टी ने आज शाम चंडीगढ़ में कांग्रेस के सभी विधायकों की एक आपात बैठक बुलाई है और विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह किसी और ‘स्वीकार्य’ चेहरे को लाना एकमात्र एजेंडा है.
हालांकि, अपुष्ट रिपोर्टों से पता चलता है कि कैप्टन अमरिंदर को इस बैठक से पहले अपना इस्तीफा सौंपने को कहा गया है, मुख्यमंत्री की तरफ से इस पर इनकार करने या न करने जैसी कोई प्रतिक्रिया जारी नहीं की गई है. हालांकि, वह इस फैसले की अवहेलना करने के मूड में नज़र आ रहे हैं.
अमरिंदर के एक करीबी सहयोगी ने दिप्रिंट को बताया कि शाम की बैठक के लिए रणनीति स्पष्ट करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने अपने आधिकारिक आवास पर दोपहर 2 बजे अपना समर्थन करने वाले मंत्रियों और विधायकों की एक बैठक बुलाई है.
इस बीच, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने ट्वीट किया है, ‘गॉर्डियन नॉट के इस पंजाबी संस्करण पर अलेक्जेंड्रिया समाधान का रास्ता अपनाने पर राहुल गांधी को बधाई. आश्चर्यजनक ढंग से, पंजाब कांग्रेस का विवाद सुलझाने के उठाए गए इस साहसिक निर्णय ने न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया है, बल्कि अकालियों को कड़ा जवाब दिया है.’
Kudos to Sh @RahulGandhi for adopting Alexandrian solution to this punjabi version of Gordian knot. Surprisingly, this bold leadership decision to resolve Punjab Congress imbroglio has not only enthralled congress workers but has sent shudders down the spines of Akalis.
— Sunil Jakhar (@sunilkjakhar) September 18, 2021
पार्टी के पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत ने कल करीब आधी रात को ट्वीट किया था कि ‘एआईसीसी को बड़ी संख्या में कांग्रेस विधायकों की तरफ से पार्टी विधायी दल की तुरंत बैठक बुलाने का अनुरोध मिला है.’
उन्होंने ट्वीट में आगे लिखा, ‘इसे देखते हुए 18 सितंबर की शाम 5 बजे पीपीसीसी कार्यालय में सीएलपी की बैठक बुलाई गई है…कांग्रेस के सभी विधायकों से अनुरोध है कि कृपया इस बैठक में शामिल हों.’
The AICC has received a representation from a large number of MLAs from the congress party, requesting to immediately convene a meeting of the Congress Legislative Party of Punjab. Accordingly, a meeting of the CLP has been convened at 5:00 PM on 18th September at …..1/2 pic.twitter.com/BT5mKEnDs5
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) September 17, 2021
इस कदम ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को हवा दी है, हालांकि रावत पूर्व में घोषणा कर चुके हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव अमरिंदर के नेतृत्व में लड़े जाएंगे. रावत ने पिछले महीने कम से कम तीन दर्जन विधायकों के समर्थन का दावा करने वाले चार कैबिनेट मंत्रियों के देहरादून में उनसे मुलाकात करने और पंजाब में सीएम बदलने की मांग किए जाने के बाद इस मसले पर पार्टी का रुख साफ किया था.
रावत के बयान के बाद पार्टी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व वाले अमरिंदर विरोधियों के खेमे की तरफ से कोई नया हमला नहीं किया गया था.
बहरहाल, देर रात जारी ट्वीट ने अमरिंदर खेमे में बेचैनी बढ़ा दी. मुख्यमंत्री के एक करीबी सहयोगी ने आज सुबह दिप्रिंट को बताया, ‘जिस तरह से बैठक बुलाई गई है वह अच्छा संकेत नहीं है. सीएलपी की बैठक पार्टी विधायक दल के अध्यक्ष की पूर्व जानकारी के बिना बुलाई गई है.’
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एक रहस्यमय पत्र
रावत के ट्वीट के मुताबिक, शाम को होने वाली बैठक विधायकों की तरफ से सीएलपी बैठक बुलाने के आग्रह के साथ लिखे गए एक ताजा पत्र का नतीजा नज़र आती है.
हालांकि, ऐसा कोई पत्र लिखा जाना फिलहाल रहस्यमय बना हुआ है. मीडिया के एक वर्ग ने इस हफ्ते के शुरुआत में बताया था कि चार कैबिनेट मंत्रियों सहित कम से कम 40 विधायकों ने पार्टी आलाकमान को पत्र लिखकर विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग की थी.
लेकिन अमरिंदर विरोधी खेमे के विधायकों का भी कहना है कि उनकी तरफ से कोई नया पत्र नहीं लिखा गया है और पार्टी आलाकमान को भेजा गया एकमात्र पत्र इस महीने की शुरुआत में उस समय भेजा गया था जब कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के घर पर विरोधी खेमे की एक बैठक हुई थी.
सिद्धू खेमे के चार कैबिनेट मंत्रियों में से एक सुखबिंदर सिंह सरकारिया ने कहा, ‘ऐसा कोई नया पत्र नहीं है जिस पर मैंने हस्ताक्षर किए हो. ये एक दिवसीय विधानसभा सत्र से पहले लिखे गए पत्र का नतीजा है.’
तृप्त बाजवा ने आज सुबह दिप्रिंट को बताया कि पत्र का अस्तित्व अब कोई महत्वपूर्ण बात नहीं है. उन्होंने कहा, ‘स्थिति किसी भी पत्र से बहुत आगे बढ़ गई है.’
लगभग एक माह पुराने पत्र को अचानक इस तरह बैठक के लिए इस्तेमाल किए जाने की संभावना ने विधायकों के बीच इस धारणा को मजबूती दी है कि पंजाब के मुख्यमंत्री को बदला जाएगा. कुछ को पूरा यकीन है कि नेतृत्व में बदलाव होने वाला है.
अमरिंदर के विरोधी खेमे के एक विधायक ने कहा, ‘अब सवाल यह है कि अगला सीएम कौन होगा.’
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कौन से नाम चल रहे आगे
अमरिंदर विरोधियों के एक वर्ग का कहना है कि गुरदासपुर के सांसद प्रताप सिंह बाजवा, पीपीसीसी प्रमुख नवजोत सिद्धू और कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं. तीनों जाट सिख हैं.
विधायकों का एक और वर्ग है जो कहता है कि सीएम की जगह लेने वाला नेता विरोधियों के खेमे से होना जरूरी नहीं है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘अगर अमरिंदर खेमे के किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना दिया जाए तो उनके खेमे में किसी भी तरह की बगावत से निपटना आसान होगा. इसके अलावा यह कोई सिख चेहरा होना भी जरूरी नहीं है.’
गैर-सिख में पीपीसीसी के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ का नाम सबसे आगे चल रहा है. आनंदपुर साहिब के सांसद मनीष तिवारी, कैबिनेट मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा और स्पीकर राणा कंवर पाल के नाम भी चर्चा में हैं.
हालांकि, अन्य का मानना है कि मुख्यमंत्री के तौर पर एक हिंदू, पीपीसीसी अध्यक्ष के रूप में एक जाट सिख (जो पद नवजोत सिंह सिद्धू पहले से ही संभाल रहे हैं) और एक दलित डिप्टी सीएम के समीकरण के साथ आगामी चुनाव लड़ना पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए आदर्श स्थिति हो सकती है. दलित कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का नाम उपमुख्यमंत्री पद के लिए संभावित उम्मीदवार के तौर पर आगे चल रहा है.
हालांकि, कुछ को लगता है कि किसी हिंदू को मुख्यमंत्री बनाना नुकसानदेह साबित होगा.
एक कैबिनेट मंत्री ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘अगर किसी हिंदू को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो नतीजा नुकसानदेह होगा. पंजाब भारत का एकमात्र राज्य है जहां कोई सिख ही मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद कर सकता है.’
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