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Saturday, 29 March, 2025
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कांग्रेस में बदलाव की आहट, जिला इकाइयों में बड़े फेरबदल की योजना

मुकुल वासनिक की अगुवाई वाली आंतरिक समिति द्वारा बनाया गया प्रस्ताव 9 अप्रैल को अहमदाबाद में होने वाले ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी सत्र में समीक्षा के लिए पेश किया जाएगा.

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नई दिल्ली: कांग्रेस अपने ज़मीनी नेताओं को मजबूत करने के प्रयास के तहत एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जिसमें पार्टी बैठकों के दौरान राज्यों में चुनावी उम्मीदवारों के चयन में जिला अध्यक्षों को भी शामिल करने की योजना है. सूत्रों के अनुसार, यह कदम जिला स्तर के नेताओं को अधिक अधिकार देने के लिए उठाया जा रहा है.

पार्टी महासचिव (गुजरात प्रभारी) मुकुल वासनिक की अध्यक्षता वाली एक आंतरिक समिति द्वारा बनाए गए इस प्रस्ताव पर 9 अप्रैल को अहमदाबाद में होने वाले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के आगामी सत्र में विचार-विमर्श किया जाएगा. समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि जिला कांग्रेस समितियों (DCC) को आर्थिक रूप से मजबूत किया जाए, ताकि वे राज्य और केंद्रीय नेतृत्व द्वारा तय किए गए कार्यक्रमों को जमीनी स्तर पर लागू कर सकें. वासनिक के अलावा, कन्हैया कुमार, सचिन राव, कृष्णा अल्लावरु और मीनाक्षी नटराजन समिति के सदस्य हैं.

पार्टी वर्तमान में मौजूदा जिला इकाइयों के साथ प्रस्तावों पर परामर्श कर रही है. शुक्रवार को इसने कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, लक्षद्वीप, पुडुचेरी, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा की 338 जिला इकाइयों के साथ बैठक की. 3 और 4 अप्रैल को शेष जिला इकाइयों के साथ दो और दौर की बैठकें होंगी.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और पार्टी महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने भी गुरुवार को जिला नेताओं को संबोधित किया. सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि अगर एआईसीसी सत्र प्रस्ताव को हरी झंडी देता है, तो जिला अध्यक्ष केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठकों में भी भाग लेना शुरू कर देंगे, जो चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों के चयन के मामले में अंतिम निर्णय होता है.

हालांकि, अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है, तो डीसीसी अध्यक्षों को तीन साल के लिए चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी. वर्तमान में, एआईसीसी सीधे जिला अध्यक्षों की नियुक्ति करती है. नियुक्तियों का ताजा दौर 20 मार्च को हुआ, जब वेणुगोपाल ने उत्तर प्रदेश में नए डीसीसी प्रमुखों के नामों की घोषणा की.

अब जो प्रस्ताव रखा गया है, वह यह है कि राज्य इकाइयों को डीसीसी अध्यक्षों को शॉर्टलिस्ट करने और चुनने के लिए हर जिले के स्तर पर समितियां बनाने की अनुमति दी जाए. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “मुख्य उद्देश्य फैसले लेने की प्रक्रिया को बांटना है. कांग्रेस की जिला इकाइयां एक समय में दुर्जेय हुआ करती थीं और धीरे-धीरे सत्ता के केंद्रीकरण ने उनके अधिकार और शक्ति को खत्म कर दिया.”

जिला प्रमुखों को अपने स्तर पर पार्टी की संपत्तियों और संपदाओं का संरक्षक भी बनाए जाने की संभावना है. पार्टी की संपत्तियों और संपदाओं की देखरेख के लिए नव-निर्मित विभाग के अध्यक्ष विजय इंदर सिंगला ने भी गुरुवार की बैठक में एक प्रेजेंटेशन दिया.

गुरुवार को जिला इकाइयों के पहले बैच को संबोधित करते हुए, खड़गे ने कहा कि डीसीसी अध्यक्षों की भूमिका अहम है क्योंकि वे न केवल पार्टी के संदेशवाहक हैं, बल्कि इसके “जमीन पर आगे से नेतृत्व करने वाले सेनापति” हैं.

खड़गे ने डीसीसी प्रतिनिधियों से कहा, “इसलिए, राहुल गांधी जी और मैंने आपके साथ सीधे संवाद की आवश्यकता को पहचाना. स्थानीय नेताओं की सिफारिशों के आधार पर चयन करने के बजाय इन पदों पर सबसे योग्य, प्रतिबद्ध और मेहनती व्यक्तियों को नियुक्त करना आवश्यक है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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