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Thursday, 21 November, 2024
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कांग्रेस ने डॉ. कफील खान की रिहाई के लिए हस्ताक्षर अभियान और भूख हड़ताल की योजना बनाई

अभियान के तहत कांग्रेस ने शुक्रवार से लोगों से हस्ताक्षर कराने शुरू कर दिए हैं. पार्टी का कहना है कि यह यूपी के मुसलमानों को बताने का प्रयास भी है कि कांग्रेस उनके साथ खड़ी है.

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नई दिल्ली: कांग्रेस ने जेल में बंद गोरखपुर के डॉक्टर कफील खान की रिहाई की मांग को लेकर एक अभियान शुरू किया है, जिसमें लोगों से हस्ताक्षर लेना, भूख हड़ताल, सोशल मीडिया कैंपेन और दरगाहों तक जाना शामिल है.

खान को बीते 29 जनवरी को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में पिछले साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में गिरफ्तार किया गया था और वह तभी से जेल में हैं.

कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय समन्वयक मिन्नत रहमानी ने दिप्रिंट से कहा, ‘राज्य में पुलिस ने सीएए-एनआरसी के नाम पर मुसलमानों को गिरफ्तार किया है. हमने डॉक्टर कफील खान की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए इसके खिलाफ लड़ने का फैसला किया है.’

पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने खान की रिहाई की मांग को लेकर शुक्रवार से ही यूपी के विभिन्न जिलों से हस्ताक्षर अभियान शुरू कर दिया है.

पार्टी नेताओं ने कहा कि मेरठ, मुजफ्फरनगर और संभल सहित घनी मुसलिम आबादी वाले जिलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.

कांग्रेस के यूपी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रमुख शाहनवाज आलम ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने शिविर (यूपी के सभी जिलों में) लगाए हैं और हर जिले से लगभग 10,000 हस्ताक्षर जुटाना चाहते हैं और अगले कुछ हफ्तों में उन्हें राज्यपाल को सौंपा जाएगा.’

खुद आलम को 30 जून को यूपी पुलिस ने राज्य में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के बाद दिसंबर में हुई हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किया था. उन्हें 14 जुलाई को जमानत पर रिहा किया गया.

बहरहाल, आलम ने बताया कि अभियान उनकी या कांग्रेस के अन्य नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में नहीं, बल्कि पूरी तरह से खान की रिहाई के लिए है. आलम ने सवाल उठाया, ‘हम विपक्षी नेता हैं और अगर जाना पड़ा तो हम जेल जाएंगे. लेकिन एक डॉक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता कफील खान जेल में क्यों हैं?’

खान को इससे पहले अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में इंसेफेलाइटिस से मौतों के मामले में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. अप्रैल 2018 में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया और आदित्यनाथ सरकार की तरफ से शुरू की गई एक विभागीय जांच में सितंबर 2019 में उन्हें आरोपों से मुक्त कर दिया गया.


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प्रियंका गांधी की तरफ से दरगाहों में चादर  चढ़ेगी

खान की गिरफ्तारी के खिलाफ अभियान चलाने के पीछे राज्य में मुसलमानों को ‘एकजुटता’ का संदेश देने का विचार भी था.

रहमानी ने कहा, ‘मुसलिमों को पता होना चाहिए कि प्रियंका जी और राहुल जी उनके साथ खड़े हैं.’

प्रियंका गांधी वाड्रा, जो यूपी (पूर्व) की प्रभारी महासचिव हैं, ने सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुई हत्याओं के बाद पिछले साल दिसंबर में राज्य भर में कई यात्राएं कीं और इसके बाद जनवरी में फिर वहां जाकर जेल में बंद प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाई थी.

अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की यूपी इकाई के सदस्यों ने राज्य के कवियों, कलाकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से संपर्क की योजना भी बनाई है ताकि वह साथ आएं और खान की गिरफ्तारी के खिलाफ आवाज उठाएं. इसके बाद अगले महीने गिरफ्तारी के विरोध में पार्टी कार्यकर्ताओं के भूख हड़ताल बैठने की योजना है.

पार्टी के अभियान और इसे मुसलिम समुदाय बीच तक पहुंचाने की कोशिश के तौर पर कांग्रेस के सदस्य दरगाहों तक जाएंगे.

आलम ने बताया, ‘प्रियंका जी के तरफ से मजारों पे चादरें चढ़ाई जाएंगी और कफील जी के लिए दुआ की जाएगी.

पार्टी ने खान की गिरफ्तारी को लेकर पर्चे बांटने की योजना भी बनाई है.


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कई अल्पसंख्यक कांग्रेस नेता जेल गए

खान की रिहाई के लिए अभियान चलाने का फैसला कांग्रेस की यूपी इकाई की पार्टी के वरिष्ठ अल्पसंख्यक नेताओं के साथ एक बैठक के कुछ हफ्ते बाद आया है जिसमें राज्य में पार्टी के मुसलिम नेताओं की गिरफ्तारी पर चर्चा हुई थी.

6 जुलाई को हुई इस बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने की थी.

बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, कवि से राजनेता बने इमरान प्रतापगढ़ी, कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष नदीम जावेद के अलावा पूर्व चेयरमैन इमरान किदवई मौजूद थे.

खुर्शीद ने दिप्रिंट को बताया, ‘विचार यह था कि भविष्य के लिए रणनीति और अभिव्यक्ति के मुद्दों को तय करने के लिए हम सब एक साथ बैठकर विचार करें.’

कांग्रेस का यह प्रयास ऐसे समय सामने आया है जब पिछले कुछ महीनों में उसके कई नेताओं को पुलिस के हाथों गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा है. यूपी में आलम के अलावा कांग्रेस के कई अन्य नेताओं की भी गिरफ्तारी हुई थी.

यूपी कांग्रेस नेता सदफ जाफर को दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था और वह कई हफ्तों तक पुलिस हिरासत में रहीं. जनवरी में रिहाई के बाद उन्होंने आरोप लगाया था कि वह जेल परिसर में पुलिस बर्बरता की शिकार बनी थीं.

उन्हें इसी महीने यूपी सरकार की तरफ से एक नोटिस भी दिया गया है जिसमें सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान ‘सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान’ पहुंचाने के एवज में 64 लाख रुपये का हर्जाना भरने को कहा गया है.

जफर के अलावा, यूपी में पार्टी की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष अनस रहमान को 12 जुलाई को दिसंबर में सीएए विरोधी हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया गया था. 14 जुलाई को आलम के साथ रहमान को भी जमानत मिली थी.

नाम न बताने की शर्त पर यूपी कांग्रेस समिति के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘राज्य में मुसलिमों को निशाना बनाया जा रहा है. और जो मुसलमान कांग्रेस से जुड़े हैं, उन्हें तो और भी ज्यादा प्रताड़ित किया जा रहा है.’


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(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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