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Thursday, 19 December, 2024
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लोकसभा में बहस के दौरान अधीर ने शर्मसार किया कांग्रेस को, सोनिया ने तरेरी आंखें

जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन बिल पर ऐसा बयान दिया कि कांग्रेस पार्टी मुसबीत फंस गई और अब देनी पड़ रही है बयान पर सफाई.

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नई दिल्ली: कांग्रेस के नेता अधीर रंजन लोकसभा में बहस के दौरान जम्मू-कश्मीर पर बहस के दौरान भाजपा को घेरने की कोशिश में कहा- आापकी सरकार कश्मीर को अंदरूनी मामला बता रही है, लेकिन वहां संयुक्त राष्ट्र निगरानी करता है. इस पर गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें घेर लिया.

सोमवार को जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को समाप्त किए जाने के बाद से सदन में जोरदार बहस चल रही है. कल राज्यसभा में बिल पास होने के बाद आज लोकसभा की कार्रवाई शुरू होते ही गृहमंत्री अमित शाह ने संकल्प पेश करते हुए कहा कि भारत के राष्ट्रपति यह घोषणा करते है कि उनके आदेश के बाद से ही अनुच्छेद 370 के प्रावधान जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होंगे. साथ ही वर्तमान जम्मू कश्मीर राज्य का पुनर्गठन विधेयक को विचार के लिए रखा जाए. इस बिल को राज्यसभा से मंजूरी मिल चुकी है. इसके अलावा जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल भी विचार के लिए निचले सदन में रखा गया.

बिल सदन में रखे जाने के साथ ही एक बार फिर से सदन में विपक्षी दलों के नेताओं ने हंगामा शुरू कर दिया जबकि कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘आपने जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में तोड़कर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया. आापकी सरकार कश्मीर को अंदरूनी मामला बता रही है, लेकिन वहां संयुक्त राष्ट्र निगरानी करता है.’

अधीर रंजन चौधरी ने संकल्प पेश किये जाने का विरोध करते हुए पूछा, ‘1948 से संयुक्त राष्ट्र राज्य संबंधी निगरानी कर रहा है, यह बुनियादी प्रश्न है और सरकार को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए. उन्होंने शिमला समझौते, लाहौर समझौते को लेकर भी सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की.’

अधीर ने एएनआई से बातचीत में कहा कि कश्मीर का मामला हमेशा से ही अंतरराष्ट्रीय फोरम में है, अगर यह मसला इतना ही आसान था तो फिर सरकार ने सोमवार शाम विभिन्न देशों के राजदूतों को क्यों बुलाया. मैं सिर्फ सरकार से सफाई चाहता हूं.

अभी अधीर यह बोल ही रहे थे कि गृहमंत्री तमतमाए हुए अपने आसन से उठे और उन्होंने पूछा, ‘ कि क्या यह कांग्रेस का अधिकारिक मत है कि संयुक्त राष्ट्र जम्मू-कश्मीर की निगरानी कर सकता है, इस पर कांग्रेस अपना स्पष्टीकरण दे?’

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी से बहस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘क्या कांग्रेस पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं मानती है. हम इसके लिए जान देने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का मतलब पाक अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन से भी है क्योंकि इसमें दोनों ही समाहित है. आज के प्रस्ताव और बिल भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखे जाएंगे.’

शाह ने कहा कि राष्ट्रपति जी ने सोमवार को एक संवैधानिक आदेश जारी किया है. जिसके तहत भारत के संविधान के सारे अनुबंध जम्मू कश्मीर में लागू होंगे. शाह ने कहा, ‘विपक्ष जो भी पूछेगा उसका सवाल का जवाब देंगे, लेकिन पहले मुझे पहले अपनी बात रखने दीजिए.’ शाह ने कहा कि धारा 373 (3) का उपयोग कर राष्ट्रपति इसे सीज कर सकते है, लेकिन राष्ट्रपति तभी यह नोटिफिकेशन भी निकाल सकते है.

कांग्रेस के सदस्यों के टोकाटोकी का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि इस प्रावधान काा उपयोग कांग्रेस 1952 और 1955 में कर चुकी है. महाराज के लिए पहले सदर ए रियासत और फिर 1965 में इसे गवर्नर किया गया. उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस इतना हल्ला क्यों कर रही है, लेकिन राष्ट्रपति इसका उपयोग कर चुके है, जिस पर सरकार की अनुशंसा मिली थी? उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर की विधानसभा नहीं चल रही है. ऐसे में संसद में जम्मू कश्मीर के सारे अधिकार निहित है.

शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी और चुना हुआ मुख्यमंत्री वहां काम करेगा. जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. इस पर कानून बनाने का अधिकार संसद को है. शाह ने कहा, ‘हम सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं. आप इस पर चर्चा शुरु करें. हम शांत महौल में चर्चा चाहते हैं. जम्मू कश्मीर समेत पूरा देश और दुनिया हमें देख रही है.’

अधीर रंजन के सदन में दिए गए बयान पर चौतरफा किरकिरी हो रही है. उनके बयान पर कांग्रेस के कुछ सदस्य बचाव में उतर आए हैं और उनका कहना है कि चौधरी का यह आशय नहीं था. इस पर अमित शाह ने दोबारा अधीर रंजन चौधरी से बात रखने की गुजारिश की. चौधरी ने कहा कि वह इस विषय पर सरकार से सिर्फ स्पष्टीकरण चाहते हैं.

जब अधीर रंजन बोल रहे थे तो उनके बगल में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी बैठी थीं और उस दौरान उनका रिएक्शन ऐसा रहा कि जैसे वह भी इस बयान से चौंक गई हों. सूत्रों की मानें तो अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में जो पक्ष रखा है उससे सोनिया गांधी सदन में तो नाराज दिख ही रहीं थीं.

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