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Monday, 18 November, 2024
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कांग्रेस MP ने असम के 6 स्वदेशी समुदायों को ST का दर्जा देने में देरी को लेकर BJP पर साधा निशाना

नौगांव के सांसद प्रद्युत बोरदोलोई ने कहा कि बीजेपी 2014 के लोकसभा चुनावों और 2016 के राज्य चुनावों में किए गए चुनावी वादे को पूरा करने में विफल रही. उन्होंने कहा कि यह पार्टी की 'असंवेदनशीलता और उदासीनता' को दिखाती है.

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नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद प्रद्युत बोरदोलोई ने 2016 में बीजेपी द्वारा किए गए चुनावी वादे के बावजूद असम के छह स्वदेशी समुदायों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने में देरी को लेकर सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर जमकर हमला किया.

उन्होंने दिसंबर 2021 और जुलाई 2023 में लोकसभा में इस मामले को लेकर उनके सवालों पर केंद्र के जवाब का जिक्र करते हुए एक ट्वीट किया और आरोप लगाया कि “तत्कालीन गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि यह प्रक्रिया (समावेशन प्रक्रिया) तीन महीने में पूरी हो जाएगी. लेकिन आज 8 साल बाद भी असम के लोग इसका इंतजार कर रहे हैं.”

सोमवार को दिप्रिंट से बात करते हुए, नौगांव से सांसद बोरदोलोई ने कहा कि देरी “केंद्र और राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकारों की ‘निष्ठा’ और असम के प्रति उनकी ‘उदासीनता’ को उजागर करती है”.

एसटी सूची में इन समुदायों को शामिल करने पर बोरदोलोई के सवाल के लिखित जवाब में, आदिवासी मामलों के राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने सोमवार को कहा, “मटक, मोरन, ताई अहोम, चुटिया, कोच राजबोंगशी और चाय-जनजातियों को शामिल करने की सिफारिश असम राज्य सरकार से हमें प्राप्त हुई है.”

लेकिन बोरदोलोई के इस सवाल पर कि क्या इस मामले पर जनवरी 2019 में असम सरकार द्वारा गठित समिति से कोई प्रस्ताव मिला है, टुडू ने कहा: “जानकारी इकट्ठा की जा रही है.”

13 दिसंबर, 2021 को आदिवासी मामलों के मंत्री ने इसी मुद्दे पर बोरदोलोई के सवालों के लिखित जवाब में कहा था: “14.1.2019 को असम की तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा मंत्रियों की एक समिति का गठन किया गया था. समिति की अनुशंसा पर आधारित कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है.”

बोरदोलोई ने दिप्रिंट को बताया, “दोनों जवाब राज्य और केंद्र की बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकारों की ‘निष्ठा’ और ‘उदासीनता’ को उजागर करती हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव और 2016 के असम विधानसभा चुनाव से पहले, उन्होंने छह समुदायों से बड़े वादे किए, जो असमिया समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. बीजेपी ने इन सीधे-सादे लोगों को धोखा दिया है.”

उन्होंने कहा, “वे लोगों से वोट लेने के लिए वादे तो करते हैं लेकिन चुनाव खत्म होने के तुरंत बाद ही भूल जाते हैं.”

पिछले साल, छह समुदायों ने एसटी सूची में शामिल करने की मांग पर दबाव डालने के लिए ‘सोया जनगोष्ठी जौथा मंच’ नामक एक संयुक्त मंच का गठन किया था.

असम के आदिवासी कल्याण मंत्री रनोज पेगू ने सोमवार को दिप्रिंट को बताया कि राज्य सरकार द्वारा गठित समिति ने अभी तक अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है.

पेगु ने दिप्रिंट से कहा, “समिति की कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं. मौजूदा आदिवासी समुदायों और एसटी सूची में शामिल करने की मांग कर रहे लोगों के नेताओं के बीच द्विपक्षीय चर्चा भी हुई. बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि मौजूदा जनजातियों के अधिकारों और हितों को प्रभावित किए बिना छह समुदायों को एसटी का दर्जा दिया जा सकता है.”

यह पूछे जाने पर कि क्या समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कोई समय सीमा दी गई है, पेगु ने कहा: ” इसके लिए कोई समय सीमा नहीं दी गई है.”

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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