अमेठी: सियासत में अमेठी की पहचान गांधी परिवार के गढ़ के तौर पर रही है, लेकिन बीते लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की नेत्री स्मृति ईरानी ने इस गढ़ में सेंध लगा दी. राहुल गांधी लगभग 55 हजार वोट से उनसे चुनाव हार गए. इस हार ने कांग्रेसियों को झकझोर दिया. बुधवार को हार के बाद पहली बार राहुल गांधी कार्यकर्ताओं से मिलने अमेठी पहुंचे. मकसद न सिर्फ कार्यकर्ताओं को अभी तक के सहयोग के लिए धन्यवाद देना था, बल्कि हार के कारण भी जानना था.
अमेठी आकर बहुत खुश हूँ। अमेठी आना घर आने जैसा लगता है। pic.twitter.com/B6YW2f7aLg
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 10, 2019
राहुल ने कहा- सब लें हार की जिम्मेदारी
इस दौरान गौरीगंज में राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग ली. इसमें अमेठी जिला संगठन के पदाधिकारी व चुनाव प्रचार में अहम भूमिका निभाने वाले कार्यकर्ता पहुंचे. जिला पंचायत से लेकर ग्राम सभा स्तर के सदस्यों को बुलाया गया. मीडिया को मीटिंग से दूर रखने की कोशिश की गई. अंदर मौजूद सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने किसी पर भी सवाल उठाए बिना सभी कार्यकर्ताओं का धन्यवाद दिया और कहा कि गांधी परिवार का अमेठी से गहरा रिश्ता है, जो कभी नहीं टूटने वाला.
राहुल ने कार्यकर्ताओं से बातचीत के दौरान कहा, ‘अमेठी से ही राजनीति का ककहरा सीखा है. वह अमेठी की आवाज उठाते रहेंगे.’ हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि सभी को हार की जिम्मेदारी लेनी होगी. इस दौरान कई कार्यकर्ता भावुक भी हुए और घर के ‘विभीषणों’ की पहचान करने की सलाह भी दी.
जल्द खत्म करनी पड़ी मीटिंग
इस दौरान कार्यकर्ताओं ने राहुल से इस्तीफा वापस लेने की अपील की. हार की सामूहिक जिम्मेदारी की बात की गई. कुछ कार्यकर्ताओं ने राहुल से कहा कि हार की वजह आप नहीं, बल्कि अमेठी कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति रही है. इस दौरान राहुल गांधी के सांसद प्रतिनिधि रहे चंद्रकांत दुबे और जिला अध्यक्ष योगेंद्र मिश्रा पर भी सवाल उठे. बैठक हाॅल के बाहर दोनों के खिलाफ नारेबाजी भी हुई. यही कारण रहा राहुल को मीटिंग जल्दी खत्म करनी पड़ी. वह दोपहर 12 बजे गौरीगंज के निर्मला इंस्टीट्यूट ऑफ विमेन एजुकेशन पहुंचे. इस दौरान कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय लल्लू, एमएलसी दीपक सिंह, राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी मौजूद रहे. हालांकि, पूर्वी यूपी प्रभारी इस दौरान मौजूद नहीं रहीं.
राहुल ने लगभग डेढ़ घंटे तक कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की. हालांकि, कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि बैठक लंबी चलेगी और सबको अपनी बात कहने का मौका मिलेगा. लेकिन डेढ़ घंटे बाद राहुल दिवंगत ब्लॉक प्रमुख द्विंदा प्रसाद द्विवेदी के परिवार वालों से बाभनपुर गांव में मुलाकात करने चले गए.
बूथ स्तर तक नहीं पहुंची कांग्रेस
मीटिंग के बाद बातचीत में कार्यकर्ताओं ने हार के कई कारण बताए. जामो के ग्राम सभा अध्यक्ष माता सरन सिंह ने बताया कि राहुल गांधी से किसी भी कार्यकर्ता को कोई शिकायत नहीं. कार्यकर्ताओं की नाराजगी चुनाव मैनेजमेंट संभालने वाली टीम से है. जो मैसेज बूथ स्तर तक जाना चाहिए था, वो नहीं पहुंचा.
सरोधी ग्राम सभा के अध्यक्ष सतीश कुमार सोनी ने बताया कि जिला संगठन में ऊपर के स्तर के पदाधिकारियों के खिलाफ कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. इस दौरान ये बात भी कही गई कि बीजेपी ने चुनाव में साम, दाम, दंड, भेद सबका इस्तेमाल किया. जबकि, कांग्रेस चुपचाप सब देखती रही. जिला संगठन के नेता इस गफलत में थे कि चुनाव राहुल आसानी से जीत लेंगे. जिस दिन वोटिंग हुई उस दिन भी यही फीडबैक राहुल को दिया गया था कि वह चुनाव जीत रहे हैं.
‘राहुल के करीबियों ने नहीं दिया अमेठी पर ध्यान’
राहुल गांधी की अमेठी में हार के कारण पूछने पर अमेठी की जनता बंटी नजर आई. कुछ का कहना है कि राहुल अपनी टीम के कारण हारे तो कुछ ये भी कहते हैं कि स्मृति ने पिछले पांच साल में यहां काफी मेहनत की. जगदीशपुर निवासी अवधेश कुमार की मानें तो अगर राहुल गांधी 2014 में कम अंतर से जीतने के बाद हर महीने अमेठी आते, तो चुनाव नहीं हारते. वह वोटिंग वाले दिन भी नहीं आए. यहां के कांग्रेसी फिर भी मानकर चल रहे थे कि वह आसानी से जीत जाएंगे.
गौरीगंज के प्रीतम द्विवेदी ने बताया कि कांग्रेस अमेठी संगठन के बड़े नेता आम जनता को राहुल गांधी से मिलने ही नहीं देते थे. जिस इलाके में समस्याएं होती थीं. वहां, राहुल गांधी का दौरा रखा ही नहीं जाता था. उन्होंने खुद कई बार राहुल गांधी से मिलने की कोशिश की. एक बार हाथ मिलाने का मौका, तो मिला लेकिन समय इतना कम था कि वह अपनी बात ही नहीं कह पाए. प्रीतम के मुताबिक अब हाथ हिलाकर चुनाव जीतने का दौर चला गया है.
दोबारा से संगठन मजबूत करेगी कांग्रेस
कांग्रेस विधायक अजय लल्लू ने दिप्रिंट को बताया कि 2022 विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस अमेठी संगठन को दोबारा से मजबूत करेगी. लल्लू के मुताबिक इस हार से सबक लेते हुए बूथ स्तर तक समीक्षा की जाएगी. 11 व 12 जुलाई को वह अमेठी के कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे. अजय लल्लू के मुताबिक अमेठी से गांधी परिवार का अटूट नाता है. एक हार ने झटका तो दिया है. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही हालात बदलेंगे.