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Monday, 23 December, 2024
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संकट में कर्नाटक सरकार: नहीं माने कांग्रेस-जेडीएस विधायक तो खिल सकता है कमल

अब तक 13 विधायकों के इस्तीफे के बाद 118 विधायकों के साथ चल रही सरकार के 105 ही विधायक रह जाएंगे लिहाजा 105 विधायकों वाली भाजपा के पास सरकार बनाने का मौका.

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बेंगलुरूः कर्नाटक में हर बार खड़े हुए कांग्रेस-जेडीएस सरकार के संकट को विधायकों को मनाकर टाला लिया गया. लेकिन इस बार यह संकट ज्यादा गहरा नजर आ रहा है. रविवार को इस्तीफा सौंपने वाले विधायक मुंबई पहुंचे हैं और इस बार किसी समझौते के मूड में नहीं दिख रहे हैं. अगर विधायक नहीं मानते हैं तो अब तक 13 विधायकों के इस्तीफे के बाद 118 विधायकों के साथ चल रही सरकार के 105 ही विधायक रह जाएंगे लिहाजा 105 विधायकों वाली भाजपा के पास सरकार बनाने का मौका बन सकता है.

इस बीच, कर्नाटक में पैदा हुई राजनीतिक अस्थिरता पर नई दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माथापच्ची कर रहे हैं. आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद, मोतीलाल वोरा, अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जीतेंद्र सिंह, पार्टी के कम्युनिकेशंस प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला और दीपेंद्र हुड्डा शाम को राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी मुख्यालय पहुंचे.

कार्यालय के अंदर जाने से पहले सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘बैठक के बाद हम कर्नाटक संकट पर बात करेंगे.’

वहीं इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि देश में ​हॉर्स ट्रेडिंग की राजनीति का एक नया प्रतीक उभरा है. उन्होंने मोदी की मतलब बताते हुए कहा था कि भारत में शरारत से, गुप्त रूप से, दल बदल करना.

बता दें कि कर्नाटक में सत्तारूढ़ 13 महीने पुरानी कांग्रेस-जनता दल (सेकुलर) गठबंधन सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए कांग्रेस के आठ और जद (एस) के तीन विधायकों ने शनिवार को विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय में अपने इस्तीफे सौंपे थे जिससे कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार संकट में आ गई है.

विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार ने यहां अपने आवास पर संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे मेरे निजी सचिव से पता चला है कि 11 विधायकों ने मेरे कार्यालय में त्याग-पत्र दे दिए हैं. उन्हें उसकी पावती दे दी गई. मैं उन्हें मंगलवार (9 जुलाई) को देखूंगा क्योंकि सोमवार को मैं छुट्टी पर हूं.’

कांग्रेस सूत्रों ने नई दिल्ली में कहा कि राज्य के प्रभारी के.सी. वेणुगोपाल इस समय केरल में हैं और वह बेंगलुरू पहुंच रहे हैं तथा कांग्रेस विधायकों से मिलेंगे.

इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के पांच विधायकों में प्रतापगौड़ा पाटील (मस्की), बी.सी. पाटील (हिरेकेरुर), रमेश जरकीहोली (गोकक), शिवराम हेब्बर (येल्लापुर), महेश कुमताहल्ली (अथानी), रामालिंगा रेड्डी (बीटीएम लायौट), एस.टी. सोमशेकर (यशवंतपुर) और एस.एन. सुब्बा रेड्डी (कोलार में केजीएफ) शामिल हैं.

जद (एस) के तीन विधायकों में ए.एच. विश्वनाथ हुनसुर, एन. नारायणा गौड़ा के.आर. पेटे और गोपालैया (बेंगलुरू उत्तरपश्चिम में महालक्ष्मीम) शामिल हैं.

यद्यपि जरकीहोली ने पहली जुलाई को ही इस्तीफा दे दिया था, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था, क्योंकि यह उनके कार्यालय को फैक्स के जरिए भेजा गया था, जो प्रक्रिया के खिलाफ है.

कांग्रेस विधायक आनंद सिंह ने भी पहली जुलाई को इस्तीफा दे दिया था. चूंकि उन्होंने अपना इस्तीफा खुद जाकर विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा था, लिहाजा इसे उन्होंने स्वीकार किया था.

चूंकि विधायकों की मुलाकात विधानसभा अध्यक्ष से उनके कार्यालय में नहीं हो पाई, इसलिए वे अपने इस्तीफे के निर्णय से राज्यपाल वजुभाई वाला को अवगत कराने के लिए राजभवन गए.

ए.एच. विश्वनाथ ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा कि तीन और विधायक जल्द ही इस्तीफा देंगे. वह इस्तीफा दे चुके अन्य विधायकों के साथ मीडिया के समक्ष उपस्थित हुए.

राज्यपाल के कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि विधायकों ने इस्तीफे की एक प्रति वाला को दी है, क्योंकि वे विधानसभा अध्यक्ष को व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफे की प्रतियां नहीं दे पाए थे.

बेंगलुरू दक्षिण में बीटीएम लायौट विधासभा सीट से सात बार के विधायक रेड्डी पूर्व की कांग्रेस सरकार में मंत्री थे.

कांग्रेस के तीन और विधायक कथित तौर पर इस्तीफे पर विचार कर रहे हैं. इनमें रेड्डी की बेटी सौम्या (जयानगर), बयारती बासवराज (के.आर. पुरम), और मुनिरत्ना (आर.आर. नगर) शामिल हैं.

विश्वनाथ ने लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए जद (एस) की राज्य इकाई के अध्यक्ष पद से पिछले महीने इस्तीफा दे दिया था. लोकसभा चुनाव में पार्टी मात्र हासन सीट बचा पाई थी.

भाजपा प्रवक्ता जी. मधुसूदन ने यहां आईएएनएस से कहा, ‘यदि विधानसभा अध्यक्ष सभी 14 इस्तीफों को स्वीकार कर लेते हैं तो सत्ताधारी गठबंधन 104 सदस्यों के साथ अल्पमत में आ जाएगा और विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौरान हार जाएगा.’

राज्य विधानसभा का 10 दिवसीय मॉनसून सत्र 12 जुलाई से होना है, जिस दौरान मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 के लिए राज्य के बजट को मंजूरी दी जानी है और लंबित विधेयकों व विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होनी है, जिसमें किसानों की कर्जमाफी, सूखा राहत कार्य और जल संकट शामिल हैं.

विश्वनाथ ने कहा कि गठबंधन सरकार जन आकांक्षाओं को पूरा करने में विफल रही है. उन्होंने कहा, ‘शासन में सहयोगियों के बीच समन्वय का अभाव स्पष्ट है, जो सत्ता साझेदारी और दैनिक प्रशासन में दिख रहा है.’

विश्वनाथ ने इसमें भाजपा की किसी तरह की भूमिका से इंकार किया, और कहा कि कांग्रेस और जद (एस) के विधायकों ने खुद से इस्तीफे दिए हैं.

उन्होंने कहा, ‘भाजपा से हमारा कुछ लेना-देना नहीं है. विधायकों का खरीद-फरोख्त नहीं हुआ है. हम सभी राजनीति में वरिष्ठ हैं. हमें खरीदा नहीं जा सकता.’

कर्नाटक की 225 सदस्यीय विधानसभा में गठबंधन सरकार के पक्ष में 118 विधायक थे. यह संख्या बहुमत के लिए जरूरी 113 से पांच अधिक थी. इसमें कांग्रेस के 79 विधायक (विधानसभा अध्यक्ष सहित), जद (एस) के 37 और और तीन अन्य विधायक शामिल रहे हैं. तीन अन्य विधायकों में एक बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से, एक कर्नाटक प्रग्न्यवंथा जनता पार्टी (केपीजेपी) से और एक निर्दलीय विधायक है.

विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास 105 विधायक हैं.

(न्यूज एजेंसी आईएएनएस के इनपुट्स के साथ)

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