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Friday, 15 November, 2024
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IT नियमों के ड्राफ्ट का कांग्रेस ने किया विरोध, मोदी सरकार पर विरोधी आवाज को दबाने का लगाया आरोप

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार विरोधी आवाज़ों को दबा रही है. साथ ही कहा कि आईटी नियमों का ड्राफ्ट किसी भी खबर को फेक कहने का पीआईबी को अधिकार देता है.

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नई दिल्ली: संसद में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस (आईएनसी) ने केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मसौदे की निंदा की है, जो इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और वेबसाइटों पर पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) द्वारा ‘फेक’ समझी जाने वाली सामग्री को हटाने के लिए अनिवार्य बना देगा. मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए, कांग्रेस ने टिप्पणी की कि जहां तक सरकार का संबंध है, ‘आईटी’ अब ‘इमेज टेलरिंग’ हो गया है.

समाचार के प्रसार के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत एक नोडल निकाय, पीआईबी की एक फैक्ट-चैकिंग यूनिट भी है.

कांग्रेस की मीडिया और पब्लिसिटी विंग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने गुरुवार को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘मोदी सरकार ने खुद को ऑनलाइन कंटेंट रेगुलेशन का जज, ज्यूरी और एक्जीक्यूटिव मान लिया है.’

बाद में दिप्रिंट से बात करते हुए खेड़ा ने कहा कि ‘आईटी की परिभाषा अब बदल गई है.’

उन्होंने कहा, ‘आईटी (ड्राफ्ट आईटी नियम) इमेज टेलरिंग नियम हैं. जो कोई भी इस सरकार से सवाल करता है या इसे आईना दिखाता है, चाहे वह मुख्यधारा का मीडिया हो या सोशल मीडिया, सरकार आवाजों को दबाना चाहती है.’ खेड़ा ने यह भी कहा कि कांग्रेस आगामी बजट सत्र के दौरान संसद में इस मुद्दे को उठाएगी.

इस सप्ताह की शुरुआत में, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 में संशोधन का प्रस्ताव दिया था, जिसमें सुझाव दिया गया था कि पीआईबी की फैक्ट-चैकिंग यूनिट द्वारा ‘फेक’ माने जाने वाले समाचारों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाना होगा.

ऑनलाइन गेमिंग के लिए नियमन पर सार्वजनिक परामर्श के लिए समय बढ़ाने के अपने निर्णय के बाद मंत्रालय ने इस मसौदा संशोधन को पेश किया.

खेड़ा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ’25 जनवरी तक मसौदा संशोधनों के लिए परामर्श अवधि का विस्तार करते हुए, मोदी सरकार ने चालाकी से एक प्रावधान जोड़ा जिसमें कहा गया है कि कोई भी समाचार रिपोर्ट जिसे पीआईबी की फैक्ट-चेकिंग यूनिट द्वारा ‘गलत’ माना जा सकता है या ‘फेक’ या ‘गलत’ के रूप में जांच की जा सकती है, को सोशल मीडिया/ऑनलाइन वेबसाइट/ओटीटी प्लेटफॉर्म से हटाया जा सकता है.’

उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा ट्वीट किए गए एक वीडियो का उदाहरण देते हुए कहा कि ‘गोदी मीडिया’ के बाद, केंद्र सरकार अब ‘गोदी सोशल मीडिया’ चाहती है.

खेड़ा ने कहा, वीडियो में भरणी भानु प्रसाद जो कि ‘दक्षिण मध्य रेलवे कर्मचारी संघ के सदस्य’ हैं- गांधी को यह कहते हुए दिखाया गया है कि ‘रेलवे स्टेशनों, कार्यशालाओं, चिकित्सा केंद्रों और प्रतिष्ठानों का निजीकरण किया जाएगा.’ प्रसाद की टिप्पणी गांधी के इस सवाल के जवाब में थी कि ‘भारतीय रेलवे के किस हिस्से का निजीकरण किया जा रहा है.’

खेड़ा ने आरोप लगाया कि पीआईबी ने ‘आम लोगों और रेलवे कर्मचारियों से संबंधित एक महत्वपूर्ण मुद्दे के बारे में एक चर्चा को फर्जी समाचार बता दिया.’

उन्होंने कहा, ‘कल, अगर इन आईटी नियमों को लागू किया जाता है, तो प्रमुख विपक्षी दल के एक नेता के इस ट्वीट को हटा दिया जाएगा, जो कि लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं होगा.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन: कृष्ण मुरारी)


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