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Sunday, 22 December, 2024
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चुनाव हारने के बाद मजदूरी करने चला गया था ये नेता, प्रियंका गांधी ने बनाया कांग्रेस का यूपी चीफ

40 वर्षीय अजय कुमार लल्लू फिलहाल कुशीनगर जिले की तुमकुहीराज विधानसभा सीट से विधायक हैं. वो ये समझते हैं कि यूपी में कांग्रेस का हाल और अंदरूनी राजनीति के कारण उनकी राह आसान नहीं होने वाली है.

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लखनऊ : कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश का नया अध्यक्ष विधायक अजय कुमार लल्लू को बनाया है. ज़मीनी नेता के तौर पर पहचान रखने वाले लल्लू को सोमवार देर शाम यूपी प्रमुख बनाए जाने की घोषणा की गई. अभी तक नामी गिरामी चेहरों को आगे रखने वाली कांग्रेस लोकसभा चुनाव में जबरदस्त शिकस्त खाने के बाद नए-नए पैंतरे अपना रही है. अब वह राज बब्बर के स्थान पर पार्टी की जिम्मेदारी संभालेंगे. राज बब्बर ने लोकसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. अजय कुमार लल्लू को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के साथ ही चार उपाध्यक्ष, 12 महासचिव और 24 सचिव भी बनाए गए हैं.

कांग्रेस में नई जान डालेंगे लल्लू

कांग्रेस ने सभी जिला कमेटियों को भंग कर दिया गया है. कुशीनगर जिले की तुमकुहीराज विधानसभा सीट विधायक अजय कुमार लल्लू को प्रदेश अध्यक्ष के साथ कई और जिम्मेदारियां भी निभानी होगी. जिसमें सबसे अहम होगा प्रियंका गांधी के साथ मिलकर पूरे यूपी के संगठन को फिर से खड़ा करना. लल्लू को ये जिम्मेदारी मिलने के पीछे राहुल गांधी की अहम भूमिका बताई जा रही है.

कांग्रेस कार्यकर्ताओं में इस बात की खुशी है कि पार्टी ने अपनी पिछली गलतियों से सबक लेते हुए एक ज़मीनी नेता को संगठन खड़ा करने की जिम्मेदारी दी है. कई कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे ‘कांग्रेस में अब नई जान आएगी.’

यूपी में कांग्रेस के बारे में अब तक यही कहा गया है कि यहां बड़े चेहरों की ही चलती है. किसी दौर में जितिन प्रसाद यहां ताकतवर रहे तो कभी संजय सिंह तो कभी श्रीप्रकाश जायसवाल. इसके बाद सलमान खुर्शीद, निर्मल खत्री, राजबब्बर का नाम भी इस फेहरिस्त में जुड़ा. यूपी कांग्रेस में फिल्म अभिनेता से राजनेता बने राज बब्बर का कार्यकाल भी समाप्त हो गया. वह करीब तीन वर्षो तक प्रदेश अध्यक्ष रहे.

गिने-चुने 6-7 नेताओं के इर्द-गिर्द ही यूपी कांग्रेस पिछले दो दशक से चलती रही. न कांग्रेस का हाल बदला न नतीजों में कुछ सुधार हुआ. बल्कि 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी महज एक लोकसभा सीट पर ही सिमट गई.

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कांग्रेस को संबोधित करते हुए अजय कुमार लल्लू । प्रशांत श्रीवास्तव

दिलचस्प है लल्लू के विधायक बनने की कहानी

40 वर्षीय अजय कुमार लल्लू फिलहाल कुशीनगर जिले की तुमकुहीराज विधानसभा सीट से विधायक हैं. पाॅलिटिकल साइंस से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद से ही राजनीति में सक्रिय हो गए. उन्होंने छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ा जिसमें पहली बार में उन्हें हार मिली लेकिन, दूसरी बार उन्हें जीत हासिल हुई. इसके बाद वह सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे और जनता से जुड़े मुद्दों पर अधिकारियों का घेराव व धरना प्रदर्शन भी करते रहे.


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अजय लल्लू बताते हैं, ‘साल 2007 विधानसभा में चुनाव लड़ने का फैसला किया. किसी पार्टी से टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय ही लड़ गए. इस चुनाव में उन्हें महज़ 3200 वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई.’

किसान परिवार से ताल्लुख रखने वाले अजय लल्लू के सामने रोजी रोटी का संकट आ गया.

‘निराश लल्लू चुनाव हारने के बाद 2007 में ही दिल्ली चले गए और नोएडा में नौकरी की. नौकरी भी ऐसी जिसमें मजदूरी करनी पड़ी. वह कंस्ट्रक्शन के व्यापार से जुड़े अपने लोगों के साथ काम करने लगे जिसमें कई बार मजदूरों के साथ सरिया तक उठाना पड़ता था. लगभग आठ महीने बाद कुछ पैसे कमाकर अपने गांव लौटे तो गांव वालों ने उन्हें रोक लिया और राजनीति में दोबारा आने को कहा.’

फिर यूं बदल गई जिंदगी

लल्लू ने तुमकुहीराज की जनता की आवाज फिर से उठानी शुरू कर दी. धरना प्रदर्शन किए और कई बार जेल भी गए. इसी बीच 2012 विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस से टिकट मिल गया. इस चुनाव में वह भाजपा उम्मीदवार को 5 हजार से अधिक वोटों से हराकर विधायक बने. साल 2017 विधानसभा चुनाव में उन्होंने फिर जीत हासिल की जिसके बाद उन्हें कांग्रेस विधानमंडल का नेता चुना गया.

इसके बाद गुजरात व मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की स्क्रीनिंग कमेटी में भी उन्हें जगह दी गई और अब माना जा रहा है कि राहुल गांधी की सलाह पर प्रियंका गांधी ने उन्हें अपनी टीम का सबसे अहम सदस्य बना लिया है.

लल्लू पर अब कांग्रेस को यूपी में दोबारा से खड़ा करने की जिम्मेदारी है. लल्लू ये भी बखूबी समझते हैं कि यूपी में कांग्रेस का हाल और अंदरूनी राजनीति के कारण उनकी राह आसान नहीं होने वाली है. हालांकि, लल्लू का कहना है, ‘वह इस जिम्मेदारी के लिए तैयार हैं.’

‘आलाकमान ने उन पर जो भरोसा जताया है उस पर वह खरे उतरने की कोशिश करेंगे.’

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