लखनऊ: यूपी के बिजली विभाग में पीएफ (प्राॅविडेंट फंड) को लेकर चल रहे बवाल में कांग्रेस ने प्रेस काॅन्फ्रेंस कर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा पर तमाम आरोप लगाए हैं. कांग्रेस के यूपी चीफ अजय लल्लू ने कहा है कि डिफाॅल्टर कंपनी डीएचएफएल के लोग श्रीकांत शर्मा से अक्सर मिला करते थे. वहीं डीएचएफएल के मालिक वाधवान ने व्यक्तिगत तौर पर भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा चंदा लगभग बीस करोड़ रूपये दिये थे.
अजय लल्लू ने कहा कि लखनऊ स्थित शक्ति भवन में 15वीं मंजिल पर मंत्री का कार्यालय व मंत्री आवास सहित श्रीकांत शर्मा के मथुरा के आवास राधा वैली के विजिटर बुक को जनता के सामने लाया जाए, ताकि पता चले कि कौन-कौन से लोग इस भ्रष्टाचार में जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के 45हजार से ज्यादा कर्मचारियों के जीवन भर की कमाई मौजूदा योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार के कारण डूब गयी है.
‘प्रियंका गांधी के ट्वीट के बाद जागी सरकार’
अजय लल्लू के मुताबिक इस मामले में सरकार ने प्रियंका गांधी के ट्वीट के बाद ही कुछ नीचे के अधिकारियों पर नाम मात्र की कार्यवाही की गयी जबकि 10 जुलाई को गुमनाम शिकायत के बाद 28 अगस्त 2019 को ही घोटाले की पुष्टि हो गयी थी फिर भी सरकार ने इस पर कोई कार्यवाही समय से जानबूझकर नहीं की. बिना सरकार के संरक्षण के इतना बड़ा घोटाला नहीं हो सकता. सरकार खुद को बचाने में लगी रही.
क्यों मचा है बवाल
दरअसल मुंबई स्थित विवादास्पद कंपनी दीवान हाउसिंग फायनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) में यूपी विद्युत निगम लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने एक विवादास्पद निर्णय के तहत कथित रूप से अपने कर्मचारियों के 2,600 करोड़ रुपये के फंड का निवेश किया है. इस कथित सौदे की जानकार मिलते ही लखनऊ में बिजली विभाग के कर्मचारियों में हड़कंप मचा जिसके बाद शनिवार दोपहर कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर सरकार को घेरा.
उप्र भाजपा सरकार ने राज्य के पॉवर कार्पोरेशन के कर्मियों की भविष्य निधि का पैसा DHFL जैसी डिफाल्टर कम्पनी में फँसा दिया है।
किसका हित साधने के लिए कर्मचारियों की 2000 करोड़ से भी ऊपर की गाढ़ी कमाई इस तरह की कम्पनी में लगा दी गई?
कर्मचारियों के भविष्य के ये खिलवाड़ क्या जायज है?
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 1, 2019
ईडी ने हाल ही में की थी डीएचएफएल से पूछताछ
डीएचएफएल के प्रमोटरों से हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ने दाऊद इब्राहिम के एक पूर्व सहयोगी इकबाल मिर्ची की एक कंपनी के साथ संबंधों को लेकर पूछताछ की है.
पुलिस ने की कार्रवाई
देर शाम इस मामले में पुलिस ने इस मामले में यूपीपीसीएल के दो अफसरों निदेशक वित्त सुधांशु त्रिवेदी और महाप्रबंधक कॉमर्शियल पीके गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. पुलिस ने बताया कि इस फर्जीवाड़े में और भी कई बड़े अफसर शामिल हो सकते हैं. मामले के संज्ञान में आते ही मुख्यमंत्री के निर्देश पर शनिवार देर शाम मुकदमा दर्ज किया गया और चंद घंटों में ही कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.
प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार ने मीडिया को बताया कि निजी कंपनी के पास बची रकम को वापस लाने के लिए सभी जरूरी वैधानिक कदम उठाए जाएंगे. कुमार ने बताया कि निवेश में अनियमितताओं पर ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव व महाप्रबंधक वित्त प्रवीण कुमार गुप्ता को 10 अक्टूबर को ही निलंबित कर दिया गया था. वह इनदिनों आगरा के दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में महाप्रबंधक (लेखा एवं सम्प्रेक्षा) के पद पर कार्यरत थे.
मंत्री बोले- सपा सरकार में शुरू हुआ था खेल
यूपी के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने रविवार को इस मामले पर प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा, ‘फाइनेंस कंपनियों में निवेश का निर्णय एक दिन में नहीं लिया गया. इसकी पटकथा 2014 में सपा राज में लिखी गई थी. मामले में ईडी भी जांच करेगी. उन्होंने कहा कि 21 अप्रैल 2014 को हुई ट्रस्ट बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि बैंक से इतर अधिक ब्याज देने वाली संस्थाओं में भी निवेश किया जा सकता है.’ इसी फैसले को आधार बनाकर हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में निवेश की प्रक्रिया दिसंबर 2016 में प्रारंभ की गई.