लखनऊ : असम में एनआरसी लागू किए जाने के बाद इसे अब दूसरे राज्यों में भी लागू करने का राग अलापा जाने लगा है. हरियाणा के सीएम मनोहरलाल खट्टर के बाद अब उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनथ भी इसे लागू करने की बात कर दी है. योगी ने असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू किए जाने की सराहना करते हुए कहा कि अगर आवश्यकता पड़ी तो वह उत्तर प्रदेश में इसे लागू कर सकते हैं.
एक अंग्रेजी समाचार पत्र के साथ एक साक्षात्कार में, आदित्यनाथ ने कहा कि एनआरसी लागू कराना एक अहम और साहसपूर्ण कदम है.
मुख्यमंत्री ने समाचार पत्र से कहा, ‘इन बातों को चरण-वार लागू किया जा रहा है और मुझे लगता है कि जब उत्तर प्रदेश को एनआरसी की जरूरत होगी, हम ऐसा करेंगे. पहले चरण में, यह असम में हुआ है और जिस तरह से इसे लागू किया जा रहा है, यह हमारे लिए एक उदाहरण हो सकता है.’
आदित्यनाथ ने कहा कि इसे लागू किया जाना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण था और अवैध आव्रजन के कारण गरीबों को होने वाली समस्याओं का भी अंत होगा.
बता दें कि पिछले महीने, असम सरकार ने राज्य में अंतिम एनआरसी सूची जारी की, जिसमें 19 लाख से अधिक लोग बाहर हो गए. असम से अवैध रूप से बसे लोगों को बाहर निकालने के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर यह अभियान चलाया गया.
इससे पहले, दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने राजधानी के लिए एनआरसी की मांग की थी और रविवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि वह अपने राज्य में इसी तरह के नियम के क्रियान्वयन के लिए कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं.
एनआरसी हरियाणा में भी लागू होगा : खट्टर
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार को कहा था कि असम की तरह ही इस राज्य में भी नागरिक राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य में एक विधि आयोग के गठन पर भी विचार किया जा रहा है, जबकि इसी कड़ी में समाज के बुद्धिजीवियों की सेवाओं का लाभ उठाने के लिए एक अलग स्वैच्छिक विभाग भी स्थापित किया जाएगा.
राज्य सरकार द्वारा किए गए कार्यों को जनता के बीच पहुंचाने के इरादे से कराए जा रहे महा जनसंपर्क अभियान के आखरी दिन मुख्यमंत्री पंचकूला में लोगों को संबोधित कर रहे थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य परिवार के पहचान पत्र पर तेजी से कार्य कर रहा है और इसके डॉटा का इस्तेमाल एनआरसी के लिए भी किया जाएगा.
क्रिया में निहित गड़बड़ियां
एनआरसी सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया काफी लंबी थी जिसमें काफी संख्या में लोगों की जरूरत पड़ी. लेकिन फाइनल सूची से इस बात का पता चलता है कि इस प्रक्रिया में काफी खामियां थी.
इस सूची की सबसे ख़राब बात यह है कि इसकी वजह से कई लोगों के परिवार टूटे हैं. इस सूची ने भारतीय नागरिक और विदेशी नागरिक के बीच बहस पैदा कर दी है.
ऐसे मामले हर एक धर्म के लोगों के साथ जुडे़ हुए हैं जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय में मुस्लिम और बंगाली हिंदू भी शामिल हैं. परिवार द्वारा एक ही तरह के डाटा उपलब्ध कराए जाने के बावजूद सूची में एक ही परिवार के कई लोगों को शामिल किया गया तो कई को बाहर कर दिया गया.
प्रशासन का कहना है कि दस्तावेजों में टेक्निकल दिक्कतों के कारण ऐसा हुआ है और परिवार की तरफ से अगर जानकारी नहीं दी गई तब भी ऐसा हुआ है. प्रशासन की तरफ से इस तरह के बयान एनआरसी से शुरू हुए परेशानी को सुलझा नहीं रही है.