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Friday, 3 May, 2024
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21 द्वीपों का नामकरण करने पर CM ममता का PM मोदी पर वार- ‘नाम बदलने का मकसद लोकप्रियता हासिल करना’

गौरतलब है कि अंडमान में नील तथा हैवलॉक द्वीपों का नाम 2018 में केंद्र द्वारा ‘शहीद’ द्वीप और ‘स्वराज’ द्वीप रखा गया था. स्वतंत्रता सेनानी को सम्मानित करने के लिए रॉस द्वीप का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा गया.

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नई दिल्लीः पराक्रम दिवस के मौके पर भारतीय इतिहास में महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

सरकार ने साल 2021 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्‍मदिन 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी.

मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘आज पराक्रम दिवस पर मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और भारत के इतिहास में उनके अद्वितीय योगदान को याद करता हूं. औपनिवेशिक शासन का कड़ा विरोध करने के लिए उन्हें याद किया जाएगा. उनके विचारों से प्रभावित होकर, हम भारत के लिए उनके दृष्टिकोण को साकार करने के लिए काम कर रहे हैं.’’

इस मौके पर मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों का नाम 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर नामकरण किया.

नेताजी की 126वीं जयंती पर नामकरण कार्यक्रम को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी पर तंज कसा- ‘‘नेताजी ने जिस स्वराज द्वीप पर तिरंगा फहराया था…आज कुछ लोग उसका नामकरण कर रहे हैं.’’

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‘सेना के नाम से देश की पहचान’

बनर्जी ने आरोप लगाया कि अंडमान-निकोबार में द्वीपों का नाम बदलने का मकसद केवल ‘लोकप्रियता हासिल’ करना है क्योंकि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने खुद ही 1943 में इन द्वीपों का नाम ‘शहीद’ और ‘स्वराज’ रखा था.

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ने कहा, ‘‘आज केवल लोकप्रियता हासिल करने के लिए कुछ लोग अंडमान के शहीद और स्वराज द्वीप के नाम उनके द्वारा रखे जाने का दावा कर रहे हैं. इन द्वीपों का नाम असल में बोस ने ही रखा था जब वह सेलुलर जेल का दौरा करने गए थे.’’

वहीं, अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, ‘‘हर मौके और हर मोर्चे पर हमारी सेनाओं ने अपने शौर्य को सिद्ध किया है. ये देश का कर्तव्य था कि राष्ट्र रक्षा के अभियानों में स्वयं समर्पित करने वाले जवानों को व्यापक स्तर पर पहचान दी जाए. आज जवानों और सेना के नाम से देश को पहचान दी जा रही है.’’

बनर्जी ने कहा, “पहले राजनीति में मिठास थी, गर्व था, लड़ाई थी, सम्मान था लेकिन अब नहीं है. अब ना विश्वसनीयता है, ना सच्चाई है. आज देश बहुत असहाय हो गया है.”

गौरतलब है कि अंडमान में नील तथा हैवलॉक द्वीपों का नाम 2018 में केंद्र द्वारा ‘शहीद’ द्वीप और ‘स्वराज’ द्वीप रखा गया था. स्वतंत्रता सेनानी को सम्मानित करने के लिए रॉस द्वीप का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा गया.

ममता बनर्जी ने केंद्र पर महान स्वतंत्रता सेनानी द्वारा परिकल्पित योजना आयोग को खत्म करने का भी आरोप लगाया.

‘नेताजी एक ध्रुव तारे की तरह हैं’

वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी सोमवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और अंग्रेज़ों से लड़ने के उनके साहस को सलाम किया.

शाह ने ट्वीट किया, “अपनी अद्वितीय नेतृत्व क्षमता से नेताजी ने लोगों को संगठित किया और ‘आज़ाद हिंद फौज’ बनाकर आज़ादी के लिए सशस्त्र आंदोलन किया. उनके साहस और संघर्ष को पूरा देश नमन करता है.”

उन्होंने कहा, “आज नेताजी की 126वीं जयंती पर उनका स्मरण कर देशवासियों को ‘पराक्रम दिवस’ की बधाई देता हूं.”

गृह मंत्री रविवार रात ‘पराक्रम दिवस’ के अवसर पर कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह पहुंचे.

शाह ने कहा, “मोदी जी ने अंडमान-निकोबार के 21 बड़े द्वीपों को परम वीर चक्र से सम्मानित जवानों का नाम देकर उनकी वीरता को सम्मानित करने व तीनों सेनाओं का उत्साहवर्धन करने का काम किया है. विश्व के किसी भी देश ने अपने जवानों के लिए ऐसा कदम नहीं उठाया.”

फोटोः ट्विटर- @AmitShah

बोस ने 30 दिसंबर 1943 को जिस स्टेडियम में तिरंगा फहराया था, वहां से अपने संबोधन में शाह ने कहा, ‘‘नेताजी एक ध्रुव तारे की तरह हैं. उनको भुलाने के अनेक प्रयास किये गये. मगर मोदी जी ने नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मानना हो, कर्तव्य पथ पर उनकी प्रतिमा लगाना हो, सुभाष द्वीप पर उनका भव्य स्मारक बनाना हो, जैसे कई कदम उठाकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देने का काम किया.’’

सीएम ममता ने नेताजी को श्रद्धाजंलि अर्पित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान एक नारा देकर कहा, “देश के नेता कैसा हो? गांधी जी जैसा हो…नेताजी जैसे हों…आंबेडकर जैसे हों… देशबंधु जेसा हो…”

बनर्जी ने कहा, ‘‘कई लोग हैं जो एजेंसियों के डर से भाग जाते हैं, हम नहीं भागेंगे. जो कुछ कर सकते हो करो और हमारा सब कुछ ले लो लेकिन देश को मत बेचो. मेरे ऊपर जितनी चाहो उतनी एजेंसियां लगा दो लेकिन देश का नुकसान पहुंचाना बंद कर दो. संविधान का उल्लंघन करने का मतलब लोगों के अधिकारों का उल्लंघन करना है.”

बनर्जी ने कई गणमान्य लोगों और बोस के परिवार के सदस्यों के साथ रेड रोड कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानी को श्रद्धांजलि दी.


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