गुरुग्राम: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य में भाजपा विधायकों को जनता की शिकायतों के समाधान के लिए कम से कम पांच जन संवाद बैठकें आयोजित करने का निर्देश दिया है. लेकिन इसमें एक पेंच है: विधायकों को ये बैठकें अपने निर्वाचन क्षेत्रों के बाहर आयोजित करनी होंगी.
यह घटनाक्रम, विशेष रूप से, खट्टर सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर विधायकों को “खुले दरबार” बुलाने या सरकारी अधिकारियों के साथ बैठकें आयोजित करने से प्रतिबंधित करने के ठीक दो महीने बाद आया है.
खट्टर द्वारा विधायकों को यह निर्देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी मीटिंग के एक दिन बाद दिए गए.
हरियाणा सरकार के मीडिया सचिव प्रवीण आत्रेय के अनुसार, विधायकों को इन जन संवाद बैठकों के लिए अपने विधानसभा क्षेत्रों के अलावा अन्य विधानसभा क्षेत्रों का चयन करने का निर्देश दिया गया है ताकि सरकार अधिकतम लोगों तक पहुंच सके.
उन्होंने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य सरकार की पहुंच का विस्तार करना और आबादी के बड़े वर्ग से जुड़ना है ताकि उनकी चिंताओं को बेहतर ढंग से समझा जा सके.
उन्होंने कहा, “विधायकों को कम से कम पांच बैठकें आयोजित करने के लिए कहा गया है, हालांकि वे चाहें तो अधिक बैठकें भी कर सकते हैं. लोगों की शिकायतों का मौके पर ही समाधान करने के लिए उनके साथ स्थानीय अधिकारी भी होंगे.”
हालांकि, विधायकों को शिकायत बैठकें आयोजित करने के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्रों से बाहर जाने का निर्देश सवाल उठाता है. क्या इससे विधायक एक-दूसरे के क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं करेंगे और संभावित रूप से राजनीतिक तनाव पैदा नहीं होगा?
फतेहाबाद का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा विधायक दुड़ा राम ने बताया कि इस निर्देश के पीछे का कारण भाजपा को अपने प्रभाव का विस्तार करने की अनुमति देना है, यहां तक कि अन्य दलों के विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में भी.
उन्होंने कहा, “90 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भाजपा के पास केवल 41 विधायक हैं. हमारे 49 निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां विधायक या तो अन्य राजनीतिक दलों से हैं या वे निर्दलीय हैं. सीएम ने हमें सभी 90 विधानसभा सीटों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा है.
हरियाणा स्थित राजनीतिक विश्लेषक पवन कुमार बंसल ने इस कदम का एक और कारण भी बताया.
उन्होंने कहा, “विधायकों को अक्सर इस बात का अच्छा अंदाज़ा होता है कि उनके क्षेत्र में कौन उनका समर्थन करता है और कौन उनका विरोध करता है. जब कोई विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्र में बैठक करता है, तो यह उनके समर्थकों को आकर्षित करता है. वे अपने विरोधियों की शिकायतों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं, और वे विरोधी विधायक से संपर्क करने में रूचि नहीं लेते हैं. ”
उन्होंने कहा, “हालांकि, जब तटस्थ विधायक जन संवाद आयोजित करेंगे तो इस बात की बेहतर संभावना होती है कि जो लोग स्थानीय विधायक से असहमत हैं वो इन बैठकों में भाग लेकर अपनी शिकायतें बता सकेंगे. इससे पार्टी को यह समझने का अवसर मिलता है कि कुछ लोग असंतुष्ट क्यों हैं और उनकी चिंताओं का समाधान कैसे किया जा सकता हैं.”
बंसल ने बताया कि 2024 के संसदीय और विधानसभा चुनावों से पहले यह मीटिंग पार्टी के लिए मूल्यवान होगी.
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‘खुले दरबार’ पर प्रतिबंध
आत्रेय ने कहा, अब तक, सीएम खट्टर पूरे राज्य में जमीनी स्तर पर जन संवाद बैठकें करते रहे हैं और उम्मीद है कि वे ऐसा करना जारी रखेंगे.
राज्य के सूचना और जनसंपर्क विभाग द्वारा बुधवार को जारी एक प्रेस नोट में सीएम की जन संवाद बैठकों की सराहना की गई.
इसमें कहा गया है, “भ्रष्ट आचरण के खिलाफ तत्काल कार्रवाई से लेकर पेंशन प्रमाण पत्र और वित्तीय सहायता के मौके पर वितरण तक, मनोहर लाल की संवाद पहल उन लोगों की किस्मत बदल रही है जिन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनके मुख्यमंत्री व्यक्तिगत रूप से उनकी चिंताओं का समाधान करेंगे.”
अब, एक आधिकारिक निर्देश द्वारा उन्हें ऐसा करने से प्रतिबंधित करने के कुछ ही महीनों बाद विधायक सीएम के नेतृत्व का अनुसरण करने के लिए तैयार हैं.
हरियाणा सरकार के राजनीतिक और संसदीय विभाग द्वारा जारी 25 अगस्त के पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि “कोई भी विधायक अधिकारियों की बैठक नहीं बुला सकता है या खुले दरबार की अध्यक्षता नहीं कर सकता है”.
दिप्रिंट द्वारा प्राप्त पत्र में कहा गया है कि एक विधायक जनता से संबंधित मामलों पर सरकारी कार्यालयों और अधिकारियों का दौरा “उचित सूचना” के बाद ही कर सकता है.
एक सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि यह पत्र कुछ विधायकों द्वारा खुलेआम कुछ अधिकारियों को अपमानित करने और उनके निलंबन का आदेश देने के मद्देनजर जारी किया गया था.
ऐसी ही एक घटना मई में “जनता दरबार” के दौरान हुई थी, जहां जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के टोहाना विधायक देवेंदर बबली ने एक बिजली उपयोगिता उप-विभागीय अभियंता को फटकार लगाई थी, साथ ही उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और उन्हें नौकरी से निलंबित करने की धमकी दी थी. इस घटना ने बिजली विभाग के अधिकारियों के बीच विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिससे विधायकों की सार्वजनिक आउटरीच गतिविधियों पर पुनर्विचार हुआ.
लेकिन पार्टी सूत्रों ने कहा कि राज्य और लोकसभा दोनों चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में आउटरीच महत्वपूर्ण है.
मंगलवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ बैठक में शामिल हुए एक भाजपा विधायक ने दिप्रिंट को बताया कि यह बैठक ढाई घंटे से अधिक समय तक चली और 2024 के चुनावों पर केंद्रित थी.
विधायक ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, “सीएम ने हमसे 2024 के चुनावों में जीत के रोडमैप पर हमारे विचार पूछे.” “हममें से कई लोगों ने जनसंवाद के लिए जिन निर्वाचन क्षेत्रों में जाना है, उनकी सूची मौके पर ही सीएम के स्टाफ को सौंप दी.”
उन्होंने कहा कि खट्टर ने विधायकों से प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से 50 लोगों की सूची उपलब्ध कराने को भी कहा, जिन्हें हरियाणा सरकार की कल्याण नीतियों से लाभ हुआ है.
विधायक ने कहा, “सीएम कार्यालय ऐसे लोगों से संपर्क करने की योजना बना रहा है ताकि उन्हें अगले साल के चुनावों में दूसरों के लिए लाभार्थियों के मुखर चेहरे के रूप में प्रस्तुत किया जा सके.”
राज्य भाजपा अध्यक्ष ओपी धनखड़ ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि वह बैठक में मौजूद नहीं थे, लेकिन उन्होंने नई जन संवाद पहल का स्वागत किया क्योंकि पार्टी चुनाव से पहले अधिक संख्या में लोगों तक पहुंचने में सक्षम होगी.
(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)
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