नई दिल्ली: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता वसुंधरा राजे ने अशोक गहलोत के दावों पर पलटवार करते हुए कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री 2023 का विधानसभा चुनाव हारने के डर से झूठ बोल रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘उनके झूठे आरोप बताते हैं कि वह राज्य कांग्रेस इकाई में विद्रोह से बौखला गए हैं.’
कांग्रेस के भीतर विरोधियों पर निशाना साधते हुए, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दो अन्य नेताओं को साल 2020 के संकट के दौरान उनकी सरकार को बचाने में मदद करने का श्रेय दिया था. साल 2020 में कांग्रेस के कुछ विधायकों ने विद्रोह किया था और अशोक गहलोत की सरकार को गिराने की कोशिश की थी. वसुंधरा राजे ने कहा, ‘मेरे खिलाफ गहलोत का बयान एक साजिश है. गहलोत ने जितना मेरा अपमान किया है, उतना किसी और ने नहीं किया है. वह 2023 के विधानसभा चुनाव में हार के डर से झूठ बोल रहे हैं और इस तरह के झूठे आरोप लगा रहे हैं, क्योंकि वह अपनी ही पार्टी में बगावत से बौखलाए हुए हैं.’
धौलपुर में रविवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा कि 2020 के संकट की साजिश बीजेपी सरकार के केंद्रीय मंत्रियों ने रची थी. साथ ही उन्होंने दावा किया कि वसुंधरा राजे, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल और विधायक शोभरानी कुशवाहा चुनी हुई कांग्रेस सरकार को गिराने के पक्ष में नहीं थे.
गहलोत ने कहा, ‘राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, शोभा रानी और कैलाश मेघवाल को पता था कि उनकी पार्टी के लोग पैसे के बल पर सरकार गिराने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने सरकार गिराने वालों का साथ नहीं दिया जिससे हमारी सरकार बची.’
गहलोत ने कहा, ‘अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान, और गजेंद्र शेखावत ने मिलकर यह साजिश रची थी और उन्होंने राजस्थान सरकार के अंदर पैसे बांटे. मैंने अपने विधायकों (जिन्होंने विद्रोह किया) को सलाह दी कि अगर उनके द्वारा लिए गए पैसे में से कुछ पैसा खर्च हो गया है, तो भी वे हमें सूचित करें. मैं कोशिश करूंगा. मैंने उनसे कहा कि आप पैसे वापस दे दो और एआईसीसी को बताओ, लेकिन बीजेपी के पैसे मत लो. यदि आप उनका पैसा रखेंगे, तो वे आपको बाद में डराएंगे, आपको धमकाएंगे. अमित शाह बहुत खतरनाक खेल खेलते हैं.’
अशोक गहलोत ने जुलाई 2020 में बीजेपी पर आरोप लगाया था कि वह कांग्रेस सांसदों को रिश्वत देकर उनकी सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है. हालांकि बीजेपी ने इसमें किसी भी संलिप्तता से इनकार किया था.
गहलोत और पायलट का झगड़ा 2020 के पहले से ही चल रहा है. पायलट को डिप्टी सीएम के पद से बर्खास्त कर दिया गया था और राज्य इकाई प्रमुख के पद से हटा दिया गया था.
इसके बाद पायलट ने फिर से पार्टी के भीतर अपने पुराने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी गहलोत के खिलाफ एक नया मोर्चा खोला, और आरोप लगाया कि राज्य सरकार राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के शासन के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच कराने में विफल रही.
इसी बीच कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच तनातनी को हल करने के लिए एक बैठक बुलाई है. इसकी पुष्टि पार्टी सूत्रों ने की है.
हालिया संकट इस साल के अंत में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सामने आया है.
पायलट राज्य का मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं जबकि गहलोत, जिन्होंने हाल में हुए कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ा था, पायलट को राज्य की बागडोर सौंपने के इच्छुक नहीं हैं.
2020 में गहलोत के खिलाफ ‘विद्रोह’ का नेतृत्व करने वाले पायलट के साथ दोनों के बीच मतभेद तेजी से सामने आए थे.
दोनों नेता पहले भी कई मौकों पर एक-दूसरे पर निशाना साध चुके हैं.
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